tag:blogger.com,1999:blog-21831489488884504202024-03-06T07:55:12.985+05:30गठरीअजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.comBlogger79125tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-27997903933156617742019-11-21T10:04:00.000+05:302019-11-21T10:04:31.663+05:3079- भाषा का कोई धर्म नहीं होता (अजय की गठरी) <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
BHU में संस्कृत के प्रोफेसर डाॅ. फिरोज खान का विरोध करने वालों, तुम्हें वेदों और उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराने वाले दारा शिकोह और रामकथा पर रिसर्च करने वाले डाॅ. कामिल बुल्के से परिचित होने की जरूरत है. और हां तुम जैसे लोगों को धिक्कारने और भगाने की जरूरत है.<br />
(गठरी पर अजय कुमार) </div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-70335022645229867442019-11-19T12:22:00.000+05:302019-11-19T12:22:57.069+05:3078- शिक्षा का अधिकार (अजय की गठरी) <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
78- JNU छात्र आंदोलन<br />
<br />
सब्सिडी के नाम पर अनाप शनाप रेवड़ी बांटने से बेहतर है कि यही शुल्क व्यवस्था पूरे देश में लागू किया जाय...या कम से कम आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को पूरे देश में निःशुल्क शिक्षा दी जाय....लोगों को मुफ्तखोर नहीं शिक्षाखोर बनाइये.<br />
<br />
(गठरी पर अजय कुमार) </div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-80028067626707859812019-10-29T13:24:00.000+05:302019-10-29T13:24:09.838+05:30कलम दावात पूजा <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
77- (जय श्री चित्रगुप्ताय नमः)<br />
श्री चित्रगुप्त पूजा, जिसे आम बोलचाल की भाषा में कलम दावात पूजा भी कहते हैं, सिर्फ कायस्थों की पूजा नहीं है. यह हर उस व्यक्ति को करनी चाहिए जिसे शिक्षा और ज्ञान की महत्ता समझ में आती है... अर्थात यह सर्व समाज के लिए है.<br />
(सबको शिक्षा सबको ज्ञान )<br />
(गठरी पर अजय कुमार) </div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-47258547904616636362019-07-26T09:44:00.001+05:302019-07-26T09:44:43.315+05:30वो देखो... शेर मारा (अजय की गठरी) <div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(76)<br />
सस्ते शेर<br />
********<br />
कल भी, खुदा था<br />
आज भी, खुदा है!<br />
कल फिर खुदेगा,<br />
जो बाकी बचा है!!<br />
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गठरी पर अजय कुमार<br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-71466604045422249092017-03-12T10:39:00.000+05:302017-03-15T20:32:25.571+05:3075-चुनाव यू पी का --मिजाज होली का (अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
तो भईये किस्सा ये है कि दिल्ली के एक लड़के को उसकी मां ने साईकिल चलाने से मना कर दिया क्योंकी उसका पंजा कमजोर था और वो अपने कुर्ते की जेब भी फाड़ लिया करता था. हां उसे साईकिल पे बैठने की इजाजत थी. UP के एक लड़के को उसका बाप सायकिल चलाना सिखा रहा था... पीछे से कैरियर पकड़ के. एक दिन उसने बाप का हाथ झटका और साईकिल दौड़ा दिया, पकड़ने आये चाचा को दांत काट लिया और भाग गया. रास्ते में उसे दिल्ली का लड़का मिला उसने उसे बैठा लिया. रास्ते में एक हाथी भी जा रहा था जिस पे बहुत से लोग चढ़ उतर रहे थे.<br />
दोनों हाथी देखकर खुश हुएे और ताली बजाई, तभी उनके कान में आवाज आयी -"मितरों... कहां जा रहे हो" ऊन्हों ने उसकी तरफ देखा लेकिन सायकिल डगमगा गयी.. हड़बड़ी में दोनों ने हाथी की पूँछ पकड़नी चाही लेकिन हाथी अनियंत्रित था क्यों कि महावत चढ़ उतर रही सवारियों को adjust करने में मशगूल थी. आगे किसी अधूरे project के लिये खुदा हुआ गड्ढा था... डगमगाई सायकिल और अनियंत्रित हाथी उसी में गिर गये, बिना मौसम की बरसात हुई थी गड्ढे में भरपूर पानी था... कमल खिला था.<br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com0tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-66467374651217893442014-11-06T14:27:00.000+05:302014-11-06T14:32:11.494+05:30लोहा सिंह ,खदेरन की माई और फाटक बाबा (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(74)<br />
<br />
वर्षो पहले शायद छठी या सातवीं कक्षा में था ,एक किताब पढ़ी थी -<a href="http://myhindiforum.com/showthread.php?t=2067" target="_blank"><b>लोहा सिंह</b></a> | भोजपुरी भाषा में लिखित पुस्तक के लेखक थे<b> <a href="http://www.anjoria.com/v1/sahitya/rameshwar-kashyap.htm" target="_blank">श्री रामेश्वर सिंह कश्यप</a></b> | बहुत दिनों से इस पुस्तक की तलाश कर रहा हूँ लेकिन असफल ही रहा |<a href="https://www.youtube.com/watch?v=htF12mhetqk" target="_blank">यु ट्यूब</a> पर दो वृत्तांत ही मिले ,<a href="http://www.prabhatkhabar.com/news/bhole-bisre/loha-singh-now-memories/163300.html" target="_blank"> नेट </a>पर भी इक्का दुक्का स्थानों पर थोड़ा जिक्र मिला ,उन्हीं थोड़ी बहुत प्राप्त सूचनाओ और यादों के सहारे कुछ लिखने की कोशिश की है |<br />
लोहा सिंह जो की एक रिटायर्ड फौजी है ,अपनी पत्नी को खदेरन की माई कह कर सम्बोधित करता है , एक पाठक जी हैं जिन्हें फाटक बाबा कहा जाता है | फाटक बाबा घर में प्रवेश करते समय -जय हो जजमान का उद्घोष करते हैं और लोहा सिंह से मित्रवत सम्बन्ध रखते हैं |खदेरन , लोहा सिंह का पुत्र है ,और खदेरन के मामा हैं बुलाकी | लोहा सिंह कभी कभी खदेरन की माई को , खदेरन का मदर कहकर पुकारते हैं |<br />
खदेरन की माई का तकिया कलाम है . अ--मार बढ़नी रे -----<br />
लोहा सिंह अपनी बातचीत में अक्सर 'काबुल का मोर्चा पर ' का जुमला जोड़ते रहते हैं |<br />
किसी प्रसंग के समाप्त होने पर , फाटक बाबा ,लोहा सिंह से मुखातिब होकर अवश्य कहते हैं -" को नहिं जानत है जग में , संकट मोचन नाम तिहारो "<br />
इसी पुस्तक से कुछ प्रसंग----<br />
<b>1- खदेरन के मदर ,जानत बाड़ू ,मेहरारू के मोंछ काहे ना होला- आवर मरद के कपार के बार </b><b><b>काहे झर</b> जाला , </b><br />
<b>ता सुन,- मेहरारू लोग जबान से काम लेला ,एहसे मोंछ </b><b><b>झर जाला</b>। अउर मरद लोग ,
दिमाग से काम लेला ,</b><b><b>एहसे </b>कपार के बार झर जाला </b><br />
<b> 2-लोहा सिंह , खदेरन की माई से कहते हैं -</b><br />
<b> " तुम हुकुम देता है जैसे फौज का सरजंट है , ये नहीँ बूझा के हम लफ़्टंट का लफ़्टंट है <br /> मेम , मेमिन तुम नहीँ , तुम है जनानी गांव की ,हो के मेहरारू भला क्यों मर्द से रपटंट है</b> <b>|</b><br />
<br />
कुछ रचनाएँ धरोहर होती हैं और इन्हें आनेवाली पीढ़ियों तक पहुंचते रहना चाहिए |मेरे पास इसकी कुछ धुंधली सी याद ही है | समस्त साहित्य प्रेमियों को यह सहज रूप से उपलब्ध हो इसलिए मेरा निवेदन इस ब्लॉग के माध्यम से है कि, लोहा सिंह नाटक , पुस्तक अथवा रिकॉर्डिंग , कहाँ से और कैसे प्राप्त हो सकती है , ऐसी जानकारी किसी के पास है तो साझा करने का कष्ट करें |<br />
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<b>गठरी पर अजय कुमार </b><br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-14592485898713860842014-07-17T07:03:00.000+05:302014-07-17T07:08:25.339+05:30पुत्र "आयुष" का जन्मदिन ---एक पैगाम ,किशोर वय बच्चों के नाम (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<b> ( 73 ) </b><br />
<b>कुछ लोग बड़े ---होते हैं ,कुछ लोग बड़े --हो जाते हैं <br />कुछ लोग बड़े --बना दिये जाते हैं ,कुछ लोग बड़े --बताये जाते हैं </b><br />
<b><br />कुछ लोगों को ---बड़ा दिखने का, होता है मानसिक रोग |<br />अपने आस-पास रखते हैं , छोटे लोग ||<br />अपने से बड़ों को , करते हैं नापसंद |<br />क्षुद्र मानसिकता वालों के साथ ,रहते हैं एक दायरे में बंद || <br />ऐसा करना उनकी मजबूरी है|</b><br />
<b>बड़े हों न हों ------,दिखना जरूरी है || <br />क्योंकि ---जो जैसा दिखता है ,वैसा माना जाता है |<br />इस दौर का व्यक्ति <br />आतंरिक नहीं --बाह्य व्यक्तित्व से पहचाना जाता है ||</b><br />
<b><br />बेटे --हम कलयुग में निवास करते हैं |<br />लोग दूसरों की खबरें अपने पास रखते हैं || <br />अक्सर दूसरों के प्रगति-पथ पर खड़े हो जाते हैं |<br />किसी को नीचा दिखाकर ,क्षण भर को ,बड़े हो जाते हैं ||<br />ऐसे लोग ----,बड़े जरूर दिखाई पड़ते हैं |<br />लेकिन , ये --अपनी अंतरात्मा से रोज लड़ते हैं || </b><br />
<b><br />बेटे --अब तुम बड़े हो रहे हो <br />अच्छा लगेगा ,तुम्हारा बड़े हो जाना |<br />कितने भी बड़े हो जाओ ---<br />वक्त पर अपनो के साथ ,जरूर खड़े हो जाना || </b><br />
<b>सुख के अलावा ,दुःख में भी साथ निभाओगे |<br />तुम वास्तव में --बड़े हो जाओगे || </b><br />
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गठरी पर अजय कुमार <br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-52391865860010398012014-04-20T12:45:00.000+05:302014-04-20T12:45:06.274+05:30चुनावी मौसम में --चुनावी पैरोडी (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
(72)<br />
पैरोडी की तर्ज है --फ़िल्म 'गोपी' से<br />
"रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा<br />
हंस चुनेगा दान तिनका ,कौव्वा मोती खायेगा "<br />
********************************************<br />
<b>फिर चुनाव का मौसम आया ,सब नेता चिल्लायेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b><br /></b>
<b>बेटे को नौकरी मिलेगी ,बेटी की होगी शादी |</b><br />
<b>कर्जे से भी मुक्ति मिलेगी ,मंहगाई से आजादी ||</b><br />
<b>थोड़े से पैसों में ,घर का ,पूरा राशन आयेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b><br /></b>
<b>अपराधी जेलों में होंगे .फिर नैतिकता आयेगी |</b><br />
<b>उंच नीच का भेद मिटेगा ,सामाजिकता छायेगी || </b><br />
<b>हाथ में ,कोई ,लाठी लेकर ,भैंस न ले जा पायेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b><br /></b>
<b>अब ना झूठा वादा होगा ,सच होंगे सारे सपने |</b><br />
<b>धरती का सिरमौर बनायें , प्यारे देश को हम अपने || </b><br />
<b>अब विदेश में देश का पैसा ,कोई ना ले जा पायेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b><br /></b>
<b>इंतज़ार है चाँद दिनों का ,राम राज अब आ</b><b>ये</b><b>गा |</b><br />
<b>हर किसान अब फसल का अपने ,दाम भी पूरा पायेगा || </b><br />
<b>भूख कर्ज से ,व्याकुल कोई ,फांसी नहीं लगायेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b><br /></b>
<b>अब विकास की नदी बहेगी , देश के कोने कोने में | </b><br />
<b>अब प्रयास हो ,सभी योजना ,समय से पूरा होने में || </b><br />
<b>नहर ,सड़क,बिजली ,शिक्षा ,सब ,गाँव गाँव तक आयेगा |</b><br />
<b>भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||</b><br />
<b>********************************************</b><br />
<b>---------गठरी पर अजय कुमार -----</b><br />
<b>********************************************</b><br />
<b><br /></b>
<b><br /></b>
<b><br /></b></div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com2tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-79934423983991527852014-03-02T17:00:00.000+05:302014-03-03T13:32:51.873+05:30मेरी बेटी , परायी हो गयी है -- ( अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(71 )<br />
<br />
<b>खेलती थी ,मेरी गोदी में अक्सर |<br />चहकती थी ,जो घर आँगन में दिनभर ||<br />उसकी शादी , विदाई हो गयी है | <br />मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||<br /><br />मेरी तितली , मेरी नन्ही सी चिड़िया |<br />टहलती थी , लिए हाथों में गुड़िया ||<br />आँख मेरी , जुलाई हो गयी है | <br />मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||</b><br />
<b><br />बहुत व्याकुल , ह्रदय था ,कैसे कुछ बोल देता |<br />सिसक कर , मैं भी रोता ,अगर मुंह खोल देता ||<br />यूँ ही छुप छुप , रुलाई हो गयी है |<br />मेरी बेटी , परायी हो गयी है || </b><br />
********************************************<br />
डेढ़ साल के अंदर दो भतीजियों की शादी होने पर ये उदगार निकले <br />
---------गठरी पर अजय कुमार----------<br />
********************************************</div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-55444289040514578942013-12-31T12:43:00.000+05:302013-12-31T13:02:36.558+05:30क्या इस साल भी --तुम बदलोगे सिर्फ अपना नाम (अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(70)<br />
<br />
<b>नाम बदलने से --कोई नया हो जाता है ?</b><br />
<b>करवट बदलने से क्या हो जाता है ?</b><br />
<b>तुम-- दो हजार तेरह से , दो हजार चौदह हो जाओगे </b><br />
<b>तो क्या --भय,भूख,भ्रष्टाचार से मुक्त हो जाओगे ?</b><br />
<b>दल्ले ,देश बेचकर मालामाल हो रहे हैं |</b><br />
<b>योग्य,पलायन कर रहे हैं--या बदहाल हो रहे हैं || </b><br />
<b>दिन प्रतिदिन बढती बेरोजगारी ,नौकरी के लिए मारामारी ||</b><br />
<b>देश का युवा --गलत रास्ते पर जाने से कैसे बच पायेगा ? </b><br />
<b>क्या ईमानदारी गूँथ कर ,रोटी पकायेगा ?</b><br />
<b>लोगों की मरी हुई भावनाओं को जगाओ |</b><br />
<b>अच्छी सोच और संवेदनाओं को जगाओ || </b><br />
<b>गरीबों की अवस्था को बदलो --सड़ी हुयी व्यवस्था को बदलो || </b><br />
<b>क्या इस साल ---</b><br />
<b>भूख से कोई नहीं मरेगा ?</b><br />
<b>किसी दबंग से कोई नहीं डरेगा ?</b><br />
<b>क्या क़ानून कर पायेगा अपना काम ?</b><br />
<b>या --बीते सालों की तरह </b><br />
<b>क्या इस साल भी --तुम बदलोगे सिर्फ , अपना नाम ||</b><br />
<b>याद रखो ---जब चाल,चरित्र,और चेहरा बदल कर आओगे |</b><br />
<b>तभी अलविदा और स्वागत की सलामी हमसे पाओगे ||</b><br />
<b>यदि ,व्यवस्था नहीं सिर्फ नाम बदल कर आओगे |</b><br />
<b>तो सिर्फ ---एक और साल बन कर रह जाओगे ||</b><br />
<br />
********************************************<br />
आशा और उम्मीद के साथ कि नया वर्ष पुराने से बेहतर हो <br />
गठरी पर अजय कुमार <br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com1tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-91873136436342653542013-12-21T13:04:00.000+05:302013-12-21T13:04:49.959+05:30चंद कमरों का था ये मकां,आपने इसको घर कर दिया ----(अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(६९ )<br />
<div>
<b>सुबह मिलना था पर आपने,आज फिर दोपहर कर दिया |</b></div>
<div>
<b>चंद कमरों का था ये मकां,आपने इसको घर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>हुस्न से अपने थी बेखबर </b></div>
<div>
<b>जब जवानी की आहट हुई</b></div>
<div>
<b>खुशबू ऐसी बदन से उठी </b></div>
<b>
</b><div>
<b>शहर को बाखबर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>उनके गर्दन से लिपटा था जो </b></div>
<div>
<b>एक झोंके से लहरा गया </b></div>
<div>
<b>वो दुपट्टा उन्होंने तो बस </b></div>
<div>
<b>यूँ इधर का उधर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>कल मिलेंगे यहीं इस समय </b></div>
<b>
</b><div>
<b>कह के जाने लगे जब वो घर |</b></div>
<div>
<b>उसने बाहों में भर के उन्हें </b></div>
<div>
<b>गीला गीला अधर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>देखो कितना वफादार है </b></div>
<div>
<b>दुम हिलाये करे कूँ कूँ कूँ |</b></div>
<div>
<b>एक शादी ने इंसान को </b></div>
<b>
</b><div>
<b>पालतू जानवर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>बिन तुम्हारे मैं ढोता रहा </b></div>
<div>
<b>जिन्दगी का ये मुश्किल सफ़र |</b></div>
<div>
<b>साथ जब तुम मेरे आ गए </b></div>
<div>
<b>कितना आसां सफर कर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>सिर्फ फांसी है उनकी सजा </b></div>
<b>
</b><div>
<b>पैसा जिनके लिए है खुदा |</b></div>
<div>
<b>इन हवाओं में घोला जहर </b></div>
<div>
<b>थालियों में जहर भर दिया ||</b></div>
<div>
<b><br /></b></div>
<div>
<b>राह दिखलाते हैं अब हमें </b></div>
<div>
<b>दलाल ,बेईमान ,तस्कर ,डकैत |</b></div>
<div>
<b>खादी में जादुई है असर </b></div>
<b>
</b><div>
<b>लुच्चों को मान्यवर कर दिया ||</b></div>
<div>
**************************************************************</div>
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गठरी पर अजय कुमार </div>
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<div class="aju">
<div class="aCi">
<br /></div>
</div>
</div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-7046131506866066452013-10-24T10:56:00.000+05:302013-10-24T10:59:02.669+05:30‘‘जि़ंदगी कैसी है पहेली..’’---मन्ना डे नहीं रहे (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(६८) <br />
मन्ना डे के जाने के बाद संगीत के सुनहरे दौर के महान गायकों की आख़िरी कड़ी भी आज बिखर गयी | प्रबोध चन्द्र डे उर्फ मन्ना डे का जन्म एक मई 1920 को कोलकाता में हुआ था। <br />
संशाधन होते हुए भी उसका उपयोग न होना , इसका ज्वलंत उदाहरण थे "मन्ना डे" |संगीत के सुनहरे दौर में भी नायाब गायक का समुचित इस्तेमाल न होना एक त्रासदी से कम नहीं | फिर भी जो गाने इन्हें मिले वो अमर हो गए |जिस गाने को बड़े से बड़ा गायक छूने की हिम्मत नहीं करते थे , उन गानों के साथ समुचित न्याय मन्ना डे ने किया |हालांकि उनके ऊपर शास्त्रीय संगीत के गायक का ठप्पा लगा दिया गया था ,लेकिन जब भी उन्हें अलग तरह के गाने मिले उन्होंने चार चाँद लगा दिए |उन्होंने हरिवंश राय बच्चन की मशहूर कृति ‘मधुशाला’ को भी आवाज दी|इसके
अलावा 'पूछो न कैसे मैंने रैन बिताई', 'लागा चुनरी में दाग़', 'आयो कहां से
घनश्याम' 'सुर न सजे', 'कौन आया मेरे मन के द्वारे', 'ऐ मेरी
जोहर-ए-जबीं', 'ये रात भीगी-भीगी', 'ठहर जरा ओ जाने वाले', 'बाबू समझो
इशारे', 'कसमे वादे प्यार वफा' जैसे गीत भी काफी पंसद किए गए| फिल्मों में उल्लेखनीय योगदान के लिए वर्ष 1971 में पद्मश्री पुरस्कार और
वर्ष 2005 में पद्म भूषण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अलावा वह
वर्ष 1969 में फिल्म 'मेरे हुजूर' के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्र्वगायक, 1971
में बंगला फिल्म 'निशि पदमा' के लिये सर्वश्रेष्ठ पार्श्र्वगायक और 1970
में प्रदर्शित फिल्म 'मेरा नाम जोकर' के लिए फिल्मफेयर के सर्वश्रेष्ठ
पार्श्र्वगायक पुरस्कार से सम्मानित किये गये। वर्ष 2007 में उन्हें फिल्मों के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होंने न केवल रागों पर आधारित गीत गाए बल्कि कव्वाली और तेज संगीत वाले गीतों को भी अपनी आवाज से सजाया।मन्ना डे की आवाज कई पीढ़ियों की पसंदीदा रही है और आने वाली पीढ़ियों तक रहेगी |<br />
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गठरी पर अजय कुमार <br />
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<div id="new_selection_block0.7299318237420843" style="background-color: transparent; border: medium none; color: black; overflow: hidden; text-align: left; text-decoration: none;">
<br /></div>
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</div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-70998575291169764852013-09-08T18:07:00.000+05:302013-09-08T18:07:49.211+05:30सोचता हूँ कि तुम्हें ,प्यार इतना न करूं (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
( ६७ )<br />
सोचता हूँ कि तुम्हें ,प्यार इतना न करूं |<br />
छुपके देखा न करूं ,फूल से मारा न करूं ||<br />
अदाएं हुश्न की , तेरी हैं ,इस कदर कातिल<br />
कि मैंने सोच लिया , वक्त को जाया न करूं ||<br />
<br />
मैंने सोचा कि तुम्हें प्यार से देखूं न कभी |<br />
कोई तस्वीर तेरी , पास में रक्खूं न कभी |<br />
अपने हाथों से तेरे जुल्फ ,संवारा न करूं ||<br />
<br />
तुम जो आओ तो , किसी काम में मसरूफ रहूँ |<br />
तुमसे जाने को कहूं ,और अकेला ही रहूँ |<br />
देखकर तुमको कभी ,आह ठंडी न भरूं ||<br />
<br />
तुमको देखा तो लगा ,वक्त कटेगा अब तो |<br />
ये न सोचा कि कोई,तंग करेगा मुझको |<br />
कितना चाहा कि तुम्हें ,प्यार से देखा न करूं ||<br />
<br />
************************************<br />
गठरी पर अजय कुमार<br />
************************************ </div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com4tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-66401189747490217462013-08-18T17:37:00.002+05:302013-08-18T17:37:46.918+05:30महाबलेश्वर-पंचगनी की हसीन वादियाँ (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<div>
(66)<br />
बात होती थी और बस बात ही होकर रह जाती थी ,लेकिन जहां चाह - वहाँ राह की तर्ज पर एक दिन बात बन ही गयी ,और फिर चार ऊर्जावान मित्रों की टोली , सपत्नीक ,मय बाल-बच्चों के कूच कर गयी --महाबलेश्वर और पंचगनी के लिए | ये तारीख थी २३ नवम्बर २०१२ की |</div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgko3Zppzw0e9lLmf6cgqvazFZGH3hu37ELIxb8sl2vpDfOfHCPPeimq4oAXOKVD-54D-vKQKfP-cEOn3ykQVTvKPa1BnLmrEkXCU3-KYj75XONn_iRaTFrXEp7XWzUnrTWnsull52OUso/s1600/DSCN0019.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgko3Zppzw0e9lLmf6cgqvazFZGH3hu37ELIxb8sl2vpDfOfHCPPeimq4oAXOKVD-54D-vKQKfP-cEOn3ykQVTvKPa1BnLmrEkXCU3-KYj75XONn_iRaTFrXEp7XWzUnrTWnsull52OUso/s320/DSCN0019.JPG" width="320" /></a></div>
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सफर की शुरुआत<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifFJ1GxzZVBmXsGCYEt-1BSqQuYC8-T647GOmGKoRVr2wvrxtN_xVXIXZve8R8_4NjkGc0nTKwDnUuYLf-yJMOWY5C8SuT7ALFa7lv6G4VtrhyphenhyphenRExZRFyBeWwkxHbNMzLbm6FDf0xwY0g/s1600/IMG_0029.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEifFJ1GxzZVBmXsGCYEt-1BSqQuYC8-T647GOmGKoRVr2wvrxtN_xVXIXZve8R8_4NjkGc0nTKwDnUuYLf-yJMOWY5C8SuT7ALFa7lv6G4VtrhyphenhyphenRExZRFyBeWwkxHbNMzLbm6FDf0xwY0g/s320/IMG_0029.JPG" width="320" /></a></div>
कौन क्या खायेगा ? (फाइनल आर्डर से पहले सेमीफाईनल )<br />
<br /></div>
<div>
प्रस्थान के पहले रहने -खाने की व्यवस्था के लिए होटल के स्थान पर एक बंगला लिया गया ,जो बहुत ही सुविधाजनक और मितव्व्यता की दृष्टी से काफी अनुकूल रहा |इसमें ३ बेडरूम ,एक ड्राईंग रूम किचन और बड़ा सा कैम्पस था --मन को भानेवाला |<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjynStH-WLLzzTUzW_j88yNBx8DZDp63l_bUmqmX2fjBIPuJI_8nXrU8zjsjXnfI_94IWxfNp8Mdr5GLQzVebbbqciGLamp0ayNW9lK4ELpzuXvisNbCChOGNwseapsleT6zIc88lEqS10/s1600/IMG_0041.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjynStH-WLLzzTUzW_j88yNBx8DZDp63l_bUmqmX2fjBIPuJI_8nXrU8zjsjXnfI_94IWxfNp8Mdr5GLQzVebbbqciGLamp0ayNW9lK4ELpzuXvisNbCChOGNwseapsleT6zIc88lEqS10/s320/IMG_0041.JPG" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
</div>
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbecfuG5fbOVd79pSNXXveHE5AR3XIwmfu_DNC12uxhAwM8fNby9Fz8cKc-g0L5bR_UqajX45jUWePO5hVW7cddAJUzrKsWdW2Su385mW_KeXicNrt90bPJN0dx0NfhbvZqorDb358kos/s1600/IMG_0052.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbecfuG5fbOVd79pSNXXveHE5AR3XIwmfu_DNC12uxhAwM8fNby9Fz8cKc-g0L5bR_UqajX45jUWePO5hVW7cddAJUzrKsWdW2Su385mW_KeXicNrt90bPJN0dx0NfhbvZqorDb358kos/s320/IMG_0052.JPG" width="320" /></a></div>
</div>
<div>
बाएं से -मैं ,विमल वर्मा जी ,संजय मिश्र जी और सरोज झा जी<br />
( ऊपर के फोटो में हमारी पत्नियां भी इसी क्रम में बैठी हैं )<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEinKlA85JkcPnHfJ05RNu1slFG0XYRwOqhIsjFbqf6tWQwi__i_3l3LSvMCwsCpqVghImYs-jDtEKzbNVnOy9R1u7WeuX1t6-6HOqJ1U8lSRS2ZOQQsTNdOOzNxcbZH54rJVLIusmXgaHI/s1600/IMG_0043+(2).JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEinKlA85JkcPnHfJ05RNu1slFG0XYRwOqhIsjFbqf6tWQwi__i_3l3LSvMCwsCpqVghImYs-jDtEKzbNVnOy9R1u7WeuX1t6-6HOqJ1U8lSRS2ZOQQsTNdOOzNxcbZH54rJVLIusmXgaHI/s320/IMG_0043+(2).JPG" width="320" /></a></div>
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<br /></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjv1b0uwiT_rCdQAi5eFapLvw2Cj74n5qpZEUIyrlNEbZttbIPpGi2QuZA8XWBqKB3oEe0lsAPVGVKNPE8I1yIlWO29imL1VqHlcN6T6XYF8A0E1n4UWzXXKlaCpTtScoKJ25-VK4ftQ7w/s1600/DSCN0048.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjv1b0uwiT_rCdQAi5eFapLvw2Cj74n5qpZEUIyrlNEbZttbIPpGi2QuZA8XWBqKB3oEe0lsAPVGVKNPE8I1yIlWO29imL1VqHlcN6T6XYF8A0E1n4UWzXXKlaCpTtScoKJ25-VK4ftQ7w/s320/DSCN0048.JPG" width="320" /></a></div>
झूले और क्रिकेट का आनंद<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHW7zzpdA3iTEJnivimm_azM8QPjhQaNVEmfiVCNLRXJNgLakE1qM-yEDXJv1OqOBXjnHTufHwsGfWCuhH6KJNryKzJM9VQ6D1GuUd-bo9gH-PbdkBRKYzosjtsYOMfHLUgs9kixx-Fuo/s1600/IMG_0046+(2).JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjHW7zzpdA3iTEJnivimm_azM8QPjhQaNVEmfiVCNLRXJNgLakE1qM-yEDXJv1OqOBXjnHTufHwsGfWCuhH6KJNryKzJM9VQ6D1GuUd-bo9gH-PbdkBRKYzosjtsYOMfHLUgs9kixx-Fuo/s320/IMG_0046+(2).JPG" width="320" /></a></div>
आप की खुशी --हमारी खुशी<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyFqtmMrtFopRsXM63Ic4QfcKqJg8Z9LLgC1P0LBA8bhZJ2eGuP1BSNMxDvi1qQhFh4F0u82MCE6dFRicBcfqHFb0XbMjqYvagP_dzncOuaezCfy412rVoZyVXgNRzugo2W86FD_aBNiI/s1600/IMG_0258.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgyFqtmMrtFopRsXM63Ic4QfcKqJg8Z9LLgC1P0LBA8bhZJ2eGuP1BSNMxDvi1qQhFh4F0u82MCE6dFRicBcfqHFb0XbMjqYvagP_dzncOuaezCfy412rVoZyVXgNRzugo2W86FD_aBNiI/s320/IMG_0258.JPG" width="320" /></a></div>
दिन में सूना है --रात को गुलजार था ( हम यहाँ बैठे थे )<br />
<br />
<br /></div>
<div>
समुद्र तल से लगभग १४०० मीटर की ऊंचाई पर स्थित महाबलेश्वर की दूरी मुम्बई से लगभग २५० कि.मी. है |२३ नवम्बर की सुबह हम ६ बजे मुम्बई से चलकर दोपहर १ बजे के आस पास पंचगनी पहुँच गए |<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNlT_3MRrZNBWo6Po4WRrZ985EmNWirICWf9USmCeQ9WPCijff8ODKh5AELJhpsYvC9Yu7FPiDGV5TML-FOszxvaME8uTx_TYM2oEZ8s5TYEHEFmRiH_YR7WPq1LsIRo68bTw8EVm24zQ/s1600/IMG_0314.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgNlT_3MRrZNBWo6Po4WRrZ985EmNWirICWf9USmCeQ9WPCijff8ODKh5AELJhpsYvC9Yu7FPiDGV5TML-FOszxvaME8uTx_TYM2oEZ8s5TYEHEFmRiH_YR7WPq1LsIRo68bTw8EVm24zQ/s320/IMG_0314.JPG" width="320" /></a></div>
<br />
<br />
अगले दिन दोपहर में हमारी वापसी मुम्बई के लिए थी , तो इस कम समय में हमें काफी कुछ देख लेना था | चूंकी हमारे पास अपना वाहन मौजूद था तो कोई समस्या नहीं हुयी |<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMgWMqVujPf1UK4YLvlMvENLewhkSdJ7nEbfSBLTuNgbR2cJES0tMcu3Yq8PX5SbS0ymdDHjHiT2wvZxFruGTlsXDF2xi2MuckD193vCBGX-8WjOY2b-6110vPFa0swedFtE9Wgx5zsAQ/s1600/IMG_0395.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMgWMqVujPf1UK4YLvlMvENLewhkSdJ7nEbfSBLTuNgbR2cJES0tMcu3Yq8PX5SbS0ymdDHjHiT2wvZxFruGTlsXDF2xi2MuckD193vCBGX-8WjOY2b-6110vPFa0swedFtE9Wgx5zsAQ/s320/IMG_0395.JPG" width="320" /></a></div>
कुछ खाते रहो ---सुस्ताते रहो<br />
<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-NOyeQBNq89V6PNdpqlDXiCVqRxP-w-31H91LSM_UET83WkHZIMlRxFYUr-piOxfAqt0omQPwWFTGT0AiMF6PNRUi14bttNqUFCW3dP5qnvULaDFBiUglPuTEd5RgdgOZr3oysen5zfI/s1600/IMG_0103.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg-NOyeQBNq89V6PNdpqlDXiCVqRxP-w-31H91LSM_UET83WkHZIMlRxFYUr-piOxfAqt0omQPwWFTGT0AiMF6PNRUi14bttNqUFCW3dP5qnvULaDFBiUglPuTEd5RgdgOZr3oysen5zfI/s320/IMG_0103.JPG" width="320" /></a></div>
ई है दूरबीन--देखो नजारा हसीन<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiElgTsoh73yyNn7CnFgrZguaUSbf_rFS1gFxw_fzxZN_X65rifTluKjoIiXzS_jqQ1O6IsPstnvYQepnh06dXeAXriX1M8NKNF_ZSFxtJ_-6udwtZQjBy0C8dgP6wDb7Zy6xe72tPQnfU/s1600/IMG_0168.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiElgTsoh73yyNn7CnFgrZguaUSbf_rFS1gFxw_fzxZN_X65rifTluKjoIiXzS_jqQ1O6IsPstnvYQepnh06dXeAXriX1M8NKNF_ZSFxtJ_-6udwtZQjBy0C8dgP6wDb7Zy6xe72tPQnfU/s320/IMG_0168.JPG" width="320" /></a></div>
एतना मोलभाव --घोड़ा भी फ्रस्टेट हो गया<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9QviM7WaPvbQBd3-lQPhAzqd86XoUxKTYP6OS9Gm1QiG1c5v8awY8J1EjbasPSIkUr3TZsgWWHN3PlXh-NCy8nxGF673MwcL6EZQvhrG_KcZ1GvwtCguVQ1ro6Dt5cj51R4_P7-g_5P0/s1600/DSCN0101.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEh9QviM7WaPvbQBd3-lQPhAzqd86XoUxKTYP6OS9Gm1QiG1c5v8awY8J1EjbasPSIkUr3TZsgWWHN3PlXh-NCy8nxGF673MwcL6EZQvhrG_KcZ1GvwtCguVQ1ro6Dt5cj51R4_P7-g_5P0/s320/DSCN0101.JPG" width="320" /></a></div>
चल मेरे घोड़े , टिक टिक टिक<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTKUOI7w8ccbmpAwSENlwek1AX1H1ROglRFP3iaNbAQ9-DvX1KBqAEftCioZekGg92J1LQiP5FPEIo3KwXUIKTTRxWxcM7Fw-co0YcW1t3PK212sa7ZM_SAYak-4p9G4l359np2Zywj4A/s1600/IMG_0415.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhTKUOI7w8ccbmpAwSENlwek1AX1H1ROglRFP3iaNbAQ9-DvX1KBqAEftCioZekGg92J1LQiP5FPEIo3KwXUIKTTRxWxcM7Fw-co0YcW1t3PK212sa7ZM_SAYak-4p9G4l359np2Zywj4A/s320/IMG_0415.JPG" width="320" /></a></div>
पूर्वजों की सेवा<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_XpBt-gHz75yUDr5suSXML9QThZuIDZu_2K7jx0_olUV3ip8YqNx0Hkwa9mijTw7KB7f3pFeOd-JQHgrTI-EIDHDG1sfryIJg33UtavpbTqHanuYEFKDiYylglSNPO6l_O-n3wWze9ag/s1600/DSCN0180.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_XpBt-gHz75yUDr5suSXML9QThZuIDZu_2K7jx0_olUV3ip8YqNx0Hkwa9mijTw7KB7f3pFeOd-JQHgrTI-EIDHDG1sfryIJg33UtavpbTqHanuYEFKDiYylglSNPO6l_O-n3wWze9ag/s320/DSCN0180.JPG" width="320" /></a></div>
प्राकृतिक जल स्रोत<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixWZH37H8s6qnaRjj5QA-Ht3RlNIPIBmy37MaFjV94Go3RJpAm5asmWBqpwtXAO5VUSaE7D2iOJgCBdHRK4ut6uoIGC8UlGjwEORUydpRCqKm1xIiG4C0iO9qh6j8uhJ1IZ3i3k4BNrC8/s1600/IMG_0457.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEixWZH37H8s6qnaRjj5QA-Ht3RlNIPIBmy37MaFjV94Go3RJpAm5asmWBqpwtXAO5VUSaE7D2iOJgCBdHRK4ut6uoIGC8UlGjwEORUydpRCqKm1xIiG4C0iO9qh6j8uhJ1IZ3i3k4BNrC8/s320/IMG_0457.JPG" width="320" /></a></div>
स्ट्राबेरी<br />
<br />
बच्चों के उत्साह और हम सब की इच्छाशक्ति ने तो इसे और भी आसान कर दिया<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguezKZSCRb0921ZkRWqD4m4os8RnLAswyvQUnZ8-KM_OIqNDkDkuXeEs6QAHzNeyasIRDy-rcjuYv42ND2-0n_5xbAzmgBERrpbKnAKmUWW4bJmfX-hfQlPByDlvncMvLY8QnIl-ouzIk/s1600/IMG_0202.JPG" imageanchor="1" style="clear: left; float: left; margin-bottom: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEguezKZSCRb0921ZkRWqD4m4os8RnLAswyvQUnZ8-KM_OIqNDkDkuXeEs6QAHzNeyasIRDy-rcjuYv42ND2-0n_5xbAzmgBERrpbKnAKmUWW4bJmfX-hfQlPByDlvncMvLY8QnIl-ouzIk/s320/IMG_0202.JPG" width="320" /></a></div>
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjRdGSKOuJZF5zUG68OiUsXgwk6fhRIR0_IW1oHvEddeEi_IJggy2YcBXWTQ0tcFRyTmZU9WazS8JhQbyGJ8fmR1a6oMyr0Q9ZuOuxNOY_xTs2JjcFIKN366NuaE8amHbO3aYiiDkS_syo/s1600/IMG_0203.JPG" imageanchor="1" style="clear: right; float: right; margin-bottom: 1em; margin-left: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjRdGSKOuJZF5zUG68OiUsXgwk6fhRIR0_IW1oHvEddeEi_IJggy2YcBXWTQ0tcFRyTmZU9WazS8JhQbyGJ8fmR1a6oMyr0Q9ZuOuxNOY_xTs2JjcFIKN366NuaE8amHbO3aYiiDkS_syo/s320/IMG_0203.JPG" width="320" /></a></div>
जोश और जूनून के साथ ये दिन ख़त्म हुआ |<br />
<div class="separator" style="clear: both; text-align: center;">
<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicf3BgBa_wyARS2aZG3jv12zOi6KeT7ya859ROuCBH0tycnOLQb1koR-Xsux80p8njE2s4PcZ4hDNTprKavgym5YdIKP42JXp5gn1Q_K6ycO4sQuNfxVcxNRA-anIGa1LHW3ucr7AL4vc/s1600/DSCN0114.JPG" imageanchor="1" style="margin-left: 1em; margin-right: 1em;"><img border="0" height="240" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEicf3BgBa_wyARS2aZG3jv12zOi6KeT7ya859ROuCBH0tycnOLQb1koR-Xsux80p8njE2s4PcZ4hDNTprKavgym5YdIKP42JXp5gn1Q_K6ycO4sQuNfxVcxNRA-anIGa1LHW3ucr7AL4vc/s320/DSCN0114.JPG" width="320" /></a></div>
सांझ ढली --और हमारी टोली वापस चली<br />
<br />
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गठरी पर अजय कुमार<br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-63873777077064132142013-07-07T13:00:00.000+05:302013-07-07T13:00:53.575+05:30आहें भरकर क्यों गुजरेगी , अब रात हमारे सावन की ( अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
(६५)<br />
हर शाम हो जैसे गजलों का ,हर रात हो जैसे पूनम की |<br />
दिल मेरा तेज धड़कता है , जब झलक दिखे मेरे साजन की ||<br />
<br />
इक गीत प्यार का होठों पर<br />
इक जाम प्यार का आँखों में |<br />
साँसों में फूलों की खुशबू ,<br />
अंदाज प्यार का बातों में ||<br />
मिल गया मुझे पूरा सागर ,ख्वाहिश थी केवल शबनम की ||<br />
<br />
मैंने इक सपना देखा था<br />
जब मुझे मिले वो राहों में |<br />
जब नजर मिली तो दिल भी मिले<br />
फिर डाल दी बाहें , बाहों में ||<br />
आहें भरकर क्यों गुजरेगी , अब रात हमारे सावन की ||<br />
<br />
तुम्हें प्यार मैं कितना करता हूँ<br />
ये पूंछ रही हो मुझसे तुम |<br />
मेरा जवाब मिल जाएगा<br />
ज़रा पूंछ के देखो खुदसे तुम ||<br />
मेरे दिल की बातें छोड़ो ,तुम बात करो अपने मन की ||<br />
<br />
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गठरी पर अजय कुमार<br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-1613251153472379952013-05-17T11:28:00.000+05:302013-05-17T11:28:00.308+05:30मैंने तुम्हे दिल में क्यों बसाया----- (अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
( ६४ ) <br />
मैंने तुम्हे दिल में क्यों बसाया <br />
तुमने --<br />
कभी रुलाया तो कई बार , हंसाया <br />अनगिनत बार तुम मेरे सुख -दुःख का कारण बने <br />चाहकर भी मैं तुमसे विमुख नहीं हो सकता <br />क्यों की <b>हे क्रिकेट</b> तुम नहीं हो गंदे -----<br />गंदे हैं तुम्हारे चंद नुमाइन्दे----<br />
हम उस दौर में जी रहे हैं <br />जहां --पैसा ,व्यक्ति और व्यक्तित्व का मूल्यांकन करता है<br />
पद प्रतिष्ठा ,सम्मान दिलाता है <br />यही सोच हमें गुनाह के दलदल में ले जाता है <br />
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गठरी पर अजय कुमार <br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-13090147879490196442013-02-10T11:13:00.000+05:302013-02-10T11:13:17.568+05:30कहते हैं मेरे घर में , सामान बहुत है (अजय की 'गठरी ' )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
जब तुम नहीं तो ये शहर, वीरान बहुत है |<br />
तुम हो तो इस शहर में भी , जान बहुत है ||<br />
<br />
मुझको बताओ दिल में मेरे दर्द क्यूं उठा<br />
सुनते है तुम्हें दर्द की पहचान बहुत है ||<br />
<br />
करना है आपको ही मेरे दर्द का इलाज |<br />
बस मुस्कुराके देखिये , आसान बहुत है ||<br />
<br />
रहती है इस गली में , कोई शोख हसीना |<br />
कमसिन सी , अपने हुश्न से , अनजान बहुत है ||<br />
<br />
हो जाय मयस्सर कभी जुल्फों की घनी छाँव |<br />
भेजूं किसी को फूल ये अरमान बहुत है ||<br />
<br />
इन इश्क की गलियों में बहुत लोग मिलेंगे |<br />
किसी का नाम बहुत है , कोई बदनाम बहुत है ||<br />
<br />
पूछा किसी आशिक से , की आराम है कहाँ<br />
बोला उन्हीं की बांह में आराम बहुत है ||<br />
<br />
जब सो गए बच्चे तो ,उन्हें प्यार से चूमा |<br />
बोले की हटो , छोड़ो , सुबह काम बहुत है ||<br />
<br />
तुम्हारे ख़त , तुम्हारी याद , तुम्हारी तस्वीर |<br />
कहते हैं मेरे घर में , सामान बहुत है ||<br />
<div>
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"गठरी" पर अजय कुमार</div>
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-37092814224179277082013-01-06T10:54:00.000+05:302013-01-06T10:54:06.995+05:30--------"वो"---------(अजय की 'गठरी' )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
जीवन की आपाधापी में ,कोई मुझसे मिला अनजाना सा |<br />
उसकी आँखें , उसकी वो अदा ,उसका चेहरा पहचाना सा ||<br />
<br />
वो थोड़ा सा शरमाया भी<br />
देखा मुझको ,मुस्काया भी<br />
मुस्कान लगा मुझको जैसे<br />
कुछ फूलों का खिल जाना सा ||<br />
<br />
आँखों में उसके राज नया<br />
बातों का इक अंदाज नया<br />
आँखों में अपनापन देखा<br />
अंदाज लगा पहचाना सा ||<br />
<br />
वो ऐसे ही हर बार मिला<br />
जैसे की , पहली बार मिला<br />
हर बार लगा अनजाना सा<br />
पर आज लगा पहचाना सा ||<br />
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गठरी पर अजय कुमार<br />
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अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-4835236445847113702012-12-23T15:13:00.000+05:302012-12-23T15:13:22.266+05:30तुम्हें अपना पुरुषत्व गंवाना होगा-----(अजय की गठरी )<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<br />
किसी की मां , बहन , बेटी ,<br />
किसी का प्यार --लड़की<br />
गर्भ में असुरक्षित<br />
घर में भेदभाव का शिकार --लड़की ||<br />
बेटियों की ह्त्या , गर्भ में की जाती है<br />
भ्रूण-ह्त्या तो अपराध है |<br />
ये हत्यारे कोई सजा नहीं पाते ,<br />
हे व्यवस्था तुझे साधुवाद है -------<br />
<br />
एक लड़की इन सबसे बचकर , आगे बढ़ रही थी<br />
दो- चार सीढियां चढ़ रही थी<br />
उसकी इज्जत तार -तार हो गयी<br />
इंसानियत भी शर्मसार हो गयी<br />
ऐसे हादसे पहले भी होते रहे हैं |<br />
कड़ी कार्रवाई का भरोसा देकर<br />
हमारे कर्ता-धर्ता सोते रहे हैं ||<br />
<br />
पूरी संसद ,<br />
शासन-प्रशासन के लोग , भावनावों में बह रहे हैं |<br />
कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए<br />
चीख चीख कर कह रहे हैं ||<br />
मेरी मंद-बुद्धि एक सवाल करती है<br />
जब सारा अधिकार तुम्हारे पास है |<br />
सजा देने के लिए क्या किसी और की तलाश है ???<br />
क्यों चीख रहे हो चिल्ला रहे हो ?<br />
किससे तुम्हारा ये , संवाद है ?<br />
हे व्यवस्था तुझे साधुवाद है ---<br />
<br />
मां -बहनों का सम्मान करो , इन अधम-पिशाचों को बताना होगा |<br />
म्रत्युदंड नहीं --तुम्हें अपना पुरुषत्व गंवाना होगा ||<br />
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गठरी पर अजय कुमार<br />
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</div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-87989806312462292172012-08-26T11:04:00.000+05:302012-08-26T11:04:59.756+05:30तुम सदा ऐसे ही मुस्कुराना--(अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
चांदनी का शमां ये सुहाना , जाने किसको बनाये दीवाना ।<br />
देखकर मुझको तिरछी नजर से , दिल में सीधे उतरती हो जांनां ॥<br />
<br />
मैं हूं आशिक तेरा हुश्नवाले , अपनी आंखों में मुझको बसा ले ।<br />
ये निगाहें तेरी जादुई हैं , ये निगाहें तेरी कातिलाना ॥<br />
<br />
आज पीने दे जी भर के साकी , कल से छोड़ुंगा पीना मैं साकी ।<br />
आज प्याले को रख दो बगल में , आज नजरों से मुझको पिलाना ॥<br />
<br />
मैं इबादत करुंगा तुम्हारी , दौलत-ए-हुश्न मुझको है प्यारी ।<br />
हुश्न तेरा गजब ढा रहा है , फिदा तुझ पर है तेरा दीवाना ॥<br />
<br />
लब पे मुस्कान मासूम चेहरा ,ख्वाब को मेरे कर दो सुनहरा ।<br />
हुश्न का गहना है मुस्कुराहट , तुम सदा ऐसे ही मुस्कुराना ॥<br />
<br />
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अजय कुमार (गठरी पर)<br />
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<br /></div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-15884471146324599022012-08-05T11:25:00.000+05:302012-08-10T09:54:34.205+05:30आइये--ले जाइये<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
है बहारों का शमां , ऐ सनम आ जाइये ।<br />
मुस्कुराना हुश्न का जेवर है , कुछ मुस्काइये ॥<br />
<br />
आप के बिन महफिलों में , आती नहीं बहार है ,<br />
शाम-ए-महफिल में जरा , कुछ देर को आ जाइये ॥<br />
<br />
आप आती हैं तो रौनक , दिल में मेरे आती है ,<br />
दिल का कहना है कि बस , कुछ और ठहर जाइये ॥<br />
<br />
पास मेरे कुछ नहीं है ,धड़कते दिल के सिवा<br />
आइये पहलू में मेरे , दिल मेरा ले जाइये ॥</div>अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com20tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-6579056948430809422011-10-26T11:32:00.000+05:302011-10-26T11:32:10.660+05:30करे प्रकाशित अंतर्मन को-----(अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
आज समाज में रावणों की संख्या बढ़ रही है , तरह तरह के रावण सामने आ रहे हैं । लगता है जैसे इनके दस नहीं असंख्य सिर हो गये हैं । ऐसे समय में दीपावली की महत्ता और विस्तार से तथा नये अर्थों में परिभाषित करने की जरूरत है ,जिससे आने वाली पीढ़ियां इससे लाभ उठा सकें ।<br />
आज दीपावली के शुभ अवसर पर सब के लिये शांति ,सुख ,संतुष्टि की मंगल कामना के साथ दो रचनाकारों की रचना प्रस्तुत है ,आशा है पसंद करेंगे आप सब ।<br />
<br />
<strong> मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम </strong><br />
<strong></strong><br />
<span style="color: red;">छोड़कर चल दिए रस्ते सभी फूलों वाले</span> , <span style="color: red;">चुन लिए अपने लिए पथ भी बबूलों वाले</span> <br />
<span style="color: red;">उनके किरदार की अज़मत है निराली शाहिद,</span><br />
<span style="color: red;">दोस्त तो दोस्त, हैं दुश्मन भी उसूलों वाले</span><br />
<br />
<strong>क़ुदरत का पैग़ाम</strong><br />
<br />
<span style="color: lime;">हमको क़ुदरत भी ये पैग़ाम दिए जाती है,जश्न मिल-जुल के मनाने का सबक लाती है|</span><br />
<span style="color: lime;"></span><br />
<span style="color: lime;">अब तो त्यौहार भी तन्हा नहीं आते शाहिद ,साथ दीवाली भी अब ईद लिए आती है||</span><br />
<br />
<strong>रोशनी और ख़ुशबू</strong> <br />
<span style="color: #783f04;">दीपमाला में मुसर्रत की खनक शामिल है,</span><br />
<span style="color: #783f04;">दीप की लौ में खिले गुल की चमक शामिल है| </span><br />
<span style="color: #783f04;">जश्न में डूबी बहारों का ये तोहफ़ा शाहिद , </span><br />
<span style="color: #783f04;">जगमगाहट में भी फूलों की महक शामिल है </span> <br />
<br />
<strong>शुभ दीपावली </strong><br />
<br />
<span style="color: red;">आओ अंधकार मिटाने का हुनर सीखें हम,</span><span style="color: red;">कि वजूद अपना बनाने का हुनर सीखें हम</span><br />
<span style="color: red;">रोशनी और बढ़े, और उजाला फैले,</span> <span style="color: red;">दीप से दीप जलाने का हुनर सीखें हम</span><br />
*********************************<br />
रचनाकार-<strong>श्री शाहिद मिर्ज़ा शाहिद जी</strong><br />
<br />
**********************************<br />
<span style="color: blue;">जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना </span><br />
<span style="color: blue;"></span><br />
<span style="color: blue;">अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए। </span><br />
<br />
<span style="color: blue;">नई ज्योति के धर नए पंख झिलमिल, उड़े मर्त्य मिट्टी गगन स्वर्ग छू ले,</span><br />
<span style="color: blue;">लगे रोशनी की झड़ी झूम ऐसी,निशा की गली में तिमिर राह भूले,</span> <br />
<span style="color: blue;">खुले मुक्ति का वह किरण द्वार जगमग,ऊषा जा न पाए, निशा आ ना पाए</span> <br />
<span style="color: blue;">मगर दीप की दीप्ति से सिर्फ जग में,नहीं मिट सका है धरा का अँधेरा,</span> <br />
<span style="color: blue;">उतर क्यों न आयें नखत सब नयन के,नहीं कर सकेंगे ह्रदय में उजेरा,</span><br />
<span style="color: blue;">कटेंगे तभी यह अँधरे घिरे अब,स्वयं धर मनुज दीप का रूप आए</span><br />
<span style="color: blue;">जलाओ दिए पर रहे ध्यान इतना</span><br />
<span style="color: blue;">अँधेरा धरा पर कहीं रह न जाए।।</span><br />
**********************************<br />
रचनाकार- <strong>श्री गोपालदास "नीरज" जी</strong><br />
**********************************<br />
<span style="background-color: magenta;">और अंत में मेरी तरफ से शुभकामना सहित ये चंद पंक्तियां------</span><br />
<br />
<strong><span style="background-color: magenta;">मिले प्रतिष्ठा ,यश ,समृद्धी ,जीवन में खुशहाली हो ।</span></strong><br />
<strong><span style="background-color: magenta;">करे प्रकाशित अन्तर्मन को ,ऐसी शुभ दीवाली हो ॥</span></strong><br />
<br />
<strong><span style="background-color: magenta;">********************************************************</span></strong><br />
<strong><span style="background-color: magenta;">आप सभी को सुंदर ,सुरक्षित एवं प्रदूषणमुक्त दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें </span></strong><br />
<strong><span style="background-color: magenta;"> (गठरी पर अजय कुमार)</span></strong><br />
<strong><span style="background-color: magenta;">**********************************************************</span></strong><br />
<strong><br /> </strong><br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
<br />
</div>अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com14tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-52190921336900332392011-10-09T09:51:00.000+05:302011-10-09T09:51:04.265+05:30इजहार-ए-इश्क तुमसे क्यूं कर न सके हम (अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on">
<strong>तुम बिन तुम्हारी याद में ,पीते हैं सदा गम ।</strong><br />
<strong>इजहार-ए-इश्क तुमसे ,क्यूं कर न सके हम ॥</strong><br />
<strong><br /></strong><br />
<strong>जब हो न सके मुझको ,दीदार तुम्हारा ।</strong><br />
<strong>दिन भर तेरी तस्वीर का करते हैं नजारा ।</strong><br />
<strong>रातों को तेरी याद में , जलते हैं सदा हम ॥</strong><br />
<strong><br /></strong><br />
<strong>आँखों से छलकते हैं तेरे ,जाम के प्याले ।</strong><br />
<strong>चेहरे की चमक से तेरे , फैले हैं उजाले ।</strong><br />
<strong>है ताज भी कुछ ऐसा ,यही सोचते हैं हम ॥</strong><br />
<strong><br /></strong><br />
<strong>होंठों पे तबस्सुम है या , बिजली की चमक है ।</strong><br />
<strong>सांसें हैं या ,सावन के हवाओं की महक है ।</strong><br />
<strong>दिल चाहता है तुम पे , निसारूं कई जनम ॥</strong><br />
<strong><br /></strong><br />
<strong>ज़ुल्फें बिखेर दी तो , घटा ऐसी छा गई ।</strong><br />
<strong>ये मन मयूर समझा कि , बरसात आ गई।</strong><br />
<strong>दिल नाचने लगा है , आ जाओ ऐ सनम ॥</strong><br />
<strong><br /></strong><br />
<strong>तारों की कसम मैंने , तुम्हें प्यार किया है ।</strong><br />
<strong>मैंनें तो तुम्हें कत्ल का ,अधिकार दिया है ।</strong><br />
<strong>जां निकले तेरी बांह में , ये चाहते हैं हम ॥ </strong><br />
<strong>***********************************</strong><br />
<strong>गठरी पर अजय कुमार</strong><br />
<strong>***********************************</strong></div>
अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com26tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-51220683061415553482011-09-19T13:11:00.000+05:302011-09-19T13:11:23.690+05:30दो साल की "गठरी" --और गुम हुई चवन्नी (अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"> -५६-<br />
<br />
आप सब के सहयोग और शुभकामनाओं के साथ <b>आज १९ सितम्बर २०११ को यह ब्लाग तीसरे वर्ष</b> में प्रवेश कर रहा है।आप सबका आभार प्रकट करता हूं तथा विश्वास दिलाता हूं कि अच्छा लिखने का प्रयास करता रहुंगा ।<br />
इस वर्ष हमारे देश से "चवन्नी" खत्म हो गयी । बाजार में तो पहले ही इसका चलन लगभग समाप्त हो चुका था,आधिकारिक घोषणा इस वर्ष हुई।आम जीवन का अहम हिस्सा थी "चवन्नी" , इससे जुड़ी बहुत सी यादें हैं ,कहावते हैं । कोई चवन्नी छाप था तो कोई चवन्नी कम और चवन्नी उछाल कर तो दिल भी मांगने का चलन था ।कोई मेहमान आया तो बच्चे पहाड़ा (Table), ककहरा(क ख ग घ),या फिर ABCD-- सुना कर चवन्नी हासिल कर लेते थे । चवन्नी का लालच दे कर कहा जाता था -सर दबा दो ,उंगली चटका दो--- आदि आदि । आज भी याद आ जाती है वो "चवन्नी भर मुस्कान" जिसमें सिर्फ होंठ फैलते हैं ,दंत पंक्तियां नहीं दिखतीं--------<br />
<br />
<b>मुझे देखकर के वो जब मुस्कुरायी ।</b><br />
<b>वो खोई चवन्नी बहुत याद आयी ॥</b><br />
<br />
<b>भाई-बहन में चवन्नी की अनबन ।</b><br />
<b>गुल्लक के अंदर चवन्नी की छनछन ।</b><br />
<b>भइया के पूरे बदन की घिसाई ॥ </b><br />
<br />
<b>कभी मूंगफलियां कभी खाये केले ।</b><br />
<b>चवन्नी मिलाकर बहुत मैच खेले ।</b><br />
<b>चवन्नी की लइया भुना कर के खायी ॥</b><br />
<br />
<b>चवन्नी की खातिर बहुत बेले पापड़ ।</b><br />
<b>चवन्नी गुमा कर बहुत खाये झापड़ ।</b><br />
<b>पहाड़ा सुना कर चवन्नी कमाई ॥</b><br />
<br />
<b>चवन्नी का सेनुर चवन्नी की टिकुली। (सेनुर=सिंदूर,टिकुली=बिंदी)</b><br />
<b>सजना के दिल पर हजारों की बिजली ।</b><br />
<b>चवन्नी उछाले बलम हरजाई ॥</b><br />
<br />
<b>नर लगता नारी ये कैसा सितम है ।</b><br />
<b>जिसके बदन में चवन्नी भर कम है।</b><br />
<b>हे भगवन चवन्नी कम क्यों लगाई ॥</b><br />
<br />
<b>चवन्नी में जादू ,चवन्नी में मेला ।</b><br />
<b>चवन्नी में देखा मदारी का खेला ।</b><br />
<b>चवन्नी हमारे दिलों में समायी ॥</b><br />
<b> *******************************</b><br />
<b>गठरी पर अजय कुमार </b><br />
<b>*******************************</b><br />
<br />
<br />
<br />
<br />
</div>अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com45tag:blogger.com,1999:blog-2183148948888450420.post-69101796114451143112011-08-28T12:49:00.000+05:302011-08-28T12:49:03.789+05:30फिर चाहत का घर टूटा है-----(अजय की गठरी)<div dir="ltr" style="text-align: left;" trbidi="on"><strong closure_uid_82pcol="146"> -५५-</strong><br />
<br />
<strong>दिन भर तेरी याद का आलम ,उलझन भी तन्हाई भी ।</strong><br />
<strong>उस पर ये पूनम की रातें ,सावन की पुरुवाई भी ॥</strong><br />
<div closure_uid_82pcol="147"><br />
</div><strong>अब तो वक्त कटेगा मेरा ,उन आँखों की चाहत में ।</strong><br />
<strong>जिनमें है खंजर की ताकत ,झीलों की गहराई भी ॥</strong><br />
<br />
<strong>तुम बतलाओ क्या बोलूं मैं , करूं शुक्रिया या शिकवा ।</strong><br />
<strong>तुमसे मिलकर चैन भी आता , तुमने नींद उड़ाई भी ॥</strong><br />
<br />
<strong>कैसे तुमने दिल को लूटा , किसका किसका जिक्र करें ।</strong><br />
<strong>कातिल आँखें ,नागिन जुल्फें ,मस्त मस्त अंगड़ाई भी ॥</strong><br />
<br />
<strong>इश्क में दवा वही देता है , दर्द बढ़ाने वाला जो ।</strong><br />
<strong>जिसने आग लगाई तन में , उसने आग बुझाई भी ॥</strong><br />
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<strong>मुझसे मिलने की खातिर तो ,था उसका बेताब भी दिल ।</strong><br />
<strong>हाथ छुआ तो , नजर झुकाकर , मुस्काई सकुचाई भी ॥</strong><br />
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<strong>वक्त बदल जाता है पल में , वक्त को किसने बांधा है ।</strong><br />
<strong>वक्त को मुझसे प्यार आज है , कल होगी रुसवाई भी ॥</strong><br />
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<strong>कोई यहां पर नहीं किसीका , फिर किसका एतबार करें ।</strong><br />
<strong>अंधकार में खो जाती है , ये अपनी परछांई भी ॥</strong><br />
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<div closure_uid_82pcol="125"><strong>जुदा हुए दो प्यार भरे दिल , कुछ ऐसे हालात हुए ।</strong></div><strong>मिला रहे थे नजरें जिनसे , उनसे नजर चुराई भी ॥</strong><br />
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<strong>फिर चाहत का घर टूटा है , कहती हैं ये आवाजें ।</strong><br />
<strong>ठंडी आहें ,आँख के आंसू ,सिसकी भी शहनाई भी ॥</strong><br />
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<strong>मिले बिछड़कर दो प्यासे दिल , लिपट लिपट कर यूं रोये ।</strong><br />
<strong>होंठ कांपता हुआ जनवरी , आँखें बनीं जुलाई भी ॥</strong><br />
</div>अजय कुमारhttp://www.blogger.com/profile/15547441026727356931noreply@blogger.com24