सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी ।
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ।
मैं उसे हटा दुंगा , कुछ करीब आउंगा ।
अधरों से अधरों को , एक में मिलाउंगा ॥
बादलों के पीछे से , चाँद कैसे निकला था ।
ये अंधेरा रोशनी में , धीरे धीरे बदला था ।
लोगों को बताउंगा , करके मैं दिखा दुंगा ।
तेरे रुख से घूंघट को , धीरे से उठाउंगा ॥
वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !
ReplyDeleteबहुत ही बढ़िया!
ReplyDeleteपर माफ़ करना,अधूरी सी लग रही है!
मतलब और पढने को मन कर रहा था कि ख़त्म हो गयी!
कुंवर जी,,
रात , पूनम , प्रिये ---ये कहाँ आ गए हम !
ReplyDeleteप्रेम पत्री पढ़कर कहीं खो से गए हम ।
वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !
ReplyDeleteकर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी
ReplyDeleteमुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ..
बहुत खूब ... प्रेम की मस्ती में झूम कर लिखा ... दिल से निकला गीत .. बेहद लाजवाब है ...
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
ReplyDeleteसुन्दर रूमानी रचना
बेहतरीन्
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
ReplyDeleteऔर सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
बहुत सुन्दर !
वाह जी, बेहतरीन कल्पनालोक में परियोजना को उकेरा है..बढ़िया है.
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर श्रंगार रस में हमें भी डूबो दिया आपने ,,,
ReplyDeleteविकास पाण्डेय
www,vicharokadarpan.blogspot.com
बहुत खूब अजय जी! बेहतरीन्
ReplyDeleteसुंदर रचना !!!
ReplyDeleteकोमल एहसासों से भरी सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteसुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
ReplyDeleteसारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
बेहद खूबसूरत. शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
ReplyDeleteसारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
बहुत अच्छी कविता।
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
ReplyDeleteऔर सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
bahut hi khoob surat post.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
ReplyDeletemaza aa gaya
ReplyDeleteयुवकोचित बात अच्छी लगी। उपदेश देकर बूढे मत बनना। बधाई।
ReplyDeleteआज कल मुक्तछंद की कविता के दौर में आपकी गेय शैली की कविता ऋंगार रस से सराबोर एक अलग ही आनंद प्रदान करती हैं.
ReplyDeletearey to itne din se isliye gaayab the???
ReplyDeletewah pyar se sarbor bahut pyari rachna likh dali is antraal me...bahut khoob.
badhayi.
श्रृंगार रस को बहुत ही रसमय कर दिया आपने.. मज़ा आगया पढ़ कर अजय सर.
ReplyDeleteRomaani! Umda!
ReplyDeleteLekin mujhe bhi aisa laga ki anayaas hi rachna samaapt ho gayee!
Is paapi ko aur ummeed thi!
Shringaar-ras se sarabor hote-hote reh gaya!
raseeli.....rangeeli....aur mast rachna..........mazaa aa gaya
ReplyDeletekuch yaad aa raha hai...."maikade band karde laakh jamaane waale.........shahar me kam nahi hai ankho se pilaane waale"!!!!!!!!!
बहुत ही शानदार लिखा आपने। मज़ा आगया
ReplyDeleteअजय कुमार जी
ReplyDeleteआप ने मिलने जब आउगा बहुत good लिखा
lovly...........
ReplyDeleteरास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे
ReplyDeleteऔर सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
बहुत ताकतवर है भाई आपका प्यार
और उसे बयाँ करने का ये मासूम अंदाज
thanx
ReplyDeleteshandar prastuti aur shabdon ke umda chayan ke liye badhai.
क्या बात है अजय जी खासा रोमांटिक मूड है ।
ReplyDeleteबहुत ही उम्दा रचना है.
ReplyDeletebahut sunder cha gaye sirji
ReplyDeleteacha hai zanab
ReplyDeleteओफ्फो आप ने ग़दर ढा दिया ... कातिल लेख !!!
ReplyDeleteबहुत खूब । प्यार का रस छलकाते रहिये । बधाई ।
ReplyDeleteआपकी गठरी में बहुत कीमती सामान है ....ढेरों शुभकामनायें
ReplyDeleteअजय जी!
ReplyDeleteआप की अगली रचना का इंतज़ार है।
अजय जी आपमे बहुत पोटेंशियल है , कुछ नई चीज़ों को लेकर रचना कीजिये ।
ReplyDeletenice one
ReplyDeletergds
alok
मैं क्या हूँ ? इसकी तलाश जारी है----
ReplyDeleteये तलाश आप कबीर की अनुराग सागर
पङे..पङकर आप को ठीक लगे.. लेकिन लिखे
हुए को प्राप्त कैसे करे..तो मुझसे मिल लेना
सभी मैं माना हुआ है इसके हटते ही सत्य
नजर आने लगता है..मेरी बात के संदर्भ
में आप कबीर की इस रचना को...तेरा
मेरा मनुआ एक कैसे होई रे..मान सकते
है वैसे खुद को जानना सब से आसान है