Saturday, July 3, 2010

कौव्वे की कांव कांव , जाग उठा सारा गांव

गांव में सुबह से ही हलचल शुरु हो जाती है ।लोग अपने काम में लग जाते हैं । यहां मुम्बई में भी लोग भोर में चहल पहल शुरू कर देते हैं और नौकरी अर्थात दूसरे के काम में लग जाते हैं ।हां तो बात का रुख बदले इससे पहले बता दूं कि आज भी गांव में ग्रामीण-अलार्म की व्यवस्था काम कर रही है । नहीं समझे , अरे भाई ग्रामीण-अलार्म माने काग भुसुण्डी जी । काग भुसुण्डी भी नहीं जानते !!! अच्छा--- कौवा (Crow ) तो समझेंगे । याद आया सुबह की कांव कांव ,बिला नागा सही समय पर ।
अब ज्यादातर घरों में सुबह सुबह सुनाई देता है-’अरे उठिये--आफिस नहीं जाना । खुद तो सोये हैं ,उसका भी स्कूल-बस छुड़ायेंगे ।नहाना नहीं है क्या ? पानी चला जायेगा । चाय ठंढी हो रही है .मैं पी लूं क्या ?? आदि आदि (पता नही कितने लोग डर के मारे असहमत होंगे )
ये आवाज किसकी होती है ,नहीं लिखुंगा ।आखिर वो भी तो ब्लाग पढ़ती हैं ।

काग भुसुण्डी (कौवा),समय का पाबंद और सजग

इस तरह हम भी सुबह उठ गये ,लेकिन करें क्या आफिस तो जाना नहीं ,तो हमने सोचा चलो ताजी सब्जियां ले आयें । हालांकि गर्मी का मौसम था लेकिन पूरा खेत सब्जियों से हरा भरा था -               

सब्जियों की हरियाली (भिंडी ,अरवी ,तरोई )

मेहनत का फल हरा-भरा

सबसे पहले तो मैंने बेटे को सारी सब्जियों की पहचान कराई ।उसने उत्सुकता से सब देखा ।तब तक फावड़ा (कुदाल) आ गया और अरवी (घुइया) को खोद कर निकालना शुरु हो गया । इस बीच भिण्डी ,तोरई और लौकी भी तोड़े जाने लगे ,और मैं बेटे के साथ फोटो खींचने में व्यस्त हो गया 
         
सुबह सुबह नाश्ते का मजा


 

अरवी (घुइयां)
"थोड़ा सब्र करिये , तराजू से उतरकर आपके ही पास आउंगी "
अब हम झोला लटका कर घर आ गये ।अरे हां एक बात तो बताना ही भूल गया अरवी के पत्तॊं की बहुत ही जायकेदार पकौड़ी बनती है ,लेकिन अभी विराम ले रहा हूं ।अगले पोस्ट में इसकी चर्चा करुंगा ---------------

भरे रहे खलिहान अन्न से
खेतों में हो हरियाली ।
पूर्ण विकास तभी होगा
जब
गांव में होगी खुशहाली॥

(सभी चित्र बेटे आयुष ने खींचे)
                  
                                                             

29 comments:

  1. apka lekh yatharth ki ek jhaanki prastut karne mein safal raha hai jis karan aap vaakai badhai ke paatr hain.

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  2. आजकल गाँव की सैर हो रही है ?
    बहुत खूब ।
    फोटो देखकर मन भी हरा हो गया ।
    बहुत बढ़िया लगा ।

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  3. आपने हमे भी गाँव की याद दिला दी कई दिन हो गये गये हुये -- वैसे दखा जाये तो सही सरल जी वन तो गावौं मे है मगर अब वहाँ भी काफी बदलाव देखने को मिल रहा है। तस्वीरें बहुत अच्छा हैं। धन्यवाद्

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  4. भैया आपने तो मुह में पानी लाया बहोत ही बेहतरीन तस्बीर और लिखावट हैं आपकी आपका ब्लॉग देखकर और पढ़ कर बहोत अच्छा लगा आप और तरक्की करे यही शिरडी के साईबाबा से प्रार्थना ।

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  5. कौए की काव कांव..वैसे आजकल शहरों में कौए दिखते नहीं हैं .. गाँव की फोटो बढ़िया लगी...बहुत बढ़िया अजय जी...

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  6. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    इसे ०४.0७.10 की चर्चा मंच (सुबह 06 बजे) में शामिल किया गया है।
    http://charchamanch.blogspot.com/

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  7. बहुत बढ़िया अलार्म का काम करता है जी ये तो गाँव में और खेतों को देख कर तो सच में गाँव की याद आ गयी.
    सुन्दर ताजगी से भरी पोस्ट.

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  8. yahan sabhi sabjiyan milti hain....siwaay arvee [ghuiyan] ke

    aapne yaad dila di..

    saliva secrition ho gaya..

    bhookh badh gayye..

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  9. मनोहारी प्रस्तुति

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  10. सही कहा ... गाँव म४इन खुशहाली आने से देश खुशहाल होगा ... फोटो जबरदस्त हैं बहुत ....

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  11. बढ़िया है गांव की सैर चल रही है।

    आवाज हम क्या हर कोई बता सकता है कि किसकी होती है "अजी सुनते हो "

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  12. सुन्दर पोस्ट, सुन्दर ब्लोग, "सच में" (www.sacmein.blogspot.com) पर पधारने और पसंद करने के लिये आभार!स्नेह बनाये रखें!

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  13. आपने चित्र अच्छे लिए है और कई तो बिलकुल प्राकृतिक है आपकी अची फोटोग्राफी के लिए बधाई म्य्जीरा पर लगातार आये

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  14. shahar aur gaanv kee subah ka sundar chitran kar diyaa aapne. lage haath kuchh aur cheezen bhi dekh-dakh li. sundar..laalityapoorn lekhan ke liye badhai.

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  15. bahut hi sundar chitr aur usse bhi badhiya unki prastuti !

    titles rochak hain :)

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  16. Bilkul taza hawa ke jhonke ki tarah lagi yah post.

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  17. भाई मेरे, गाँव की खूब सैर करा रहे हैं आप। बहुत महत्त्वपूर्ण है कि आप अपने बेटे का परिचय उस सब से करा रहे हैं, जिन्हें आज के अधिकांश बच्चे सिर्फ सजे-धजे बाजार में देखते हैं। अरबी के पत्तों के पतोड़ का जिक्र सुनकर मुँह में पानी आ गया। अब तो सावन शुरू हो ही गया है। मैं भी तलाश करता हूँ अरबी के पत्तों की ... अगर पत्नी बना सकी तो ..

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  18. प्रिय बंधू, आप के गांव का चित्रण मन को छु लेने वाला है, यह बताता है की विकास और प्रकृति में समंज्ष्य होना सुकून के लिए नितांत आवश्यक है. सुहानी यादों को ताजा करने के लिए धन्यवाद.

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  19. अजय जी मजा आ गया सुबह सुबह गांव की हरियाली देखकर ऐसा लगा हम भी आपके साथ घूम आये

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  20. प्रिय अजय जी,
    गाँव की याद दिला दी आपने.... मैं भी उत्तर प्रदेश का ही रहने वाला हूँ....
    आपके बेटे ने बहुत संदर तस्वीरें ली हैं....
    उसको भी मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई दीजियेगा इन "खुशहाल तस्वीरों की "
    सादर व साभार !

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  21. yatharth se judi jaankaria
    :P
    www.meriankahibate.blogspot.com

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  22. Gaanv ke darshan karane ka shukriya.

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  23. अगली बार कागा बोले तो समझना हम आ रहे हैं ।

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  24. आपने तो प्रकृति की असली कविता का आस्वादन करा दिया.पूरा परिवेश मन में रूपायित हो गया -कैमरा और क़लम दोनो में महारत हासिल है आपको !
    साधु!

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  25. फोटो जबरदस्त हैं बहुत .......

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  27. गाँव के जीवन की सुंदर तस्वीर शब्दों में आपने और
    कैमरे पर आपके नन्हें आयुष ने उतारी है . मुझे भी मेरे
    गाँव की याद दिला दी आपने और चिरंजीव आयुष ने .
    बहुत -बहुत धन्यवाद .हम शहर वाले गांवों से अपना रिश्ता
    इसी तरह हमेशा जोड़ कर रखें.
    शुभकामनाओं सहित यही कामना है मेरी .
    कृपया देखें 'दिल की बात ' में 'फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी '

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