Monday, October 18, 2010

क्या जीवन का अंत हो गया ?कुछ सपने यदि टूट गये (अजय की गठरी)

क्या बतलायें क्या मिलता है , दिल चोरी हो जाने में ।
और मजा कितना आता है , दिल की बात सुनाने में ॥

मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥

मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
हाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥

कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥

कितनी रातें तारे गिनते गिनते ,काटी जाती हैं ।
दीवाने पागल हो जाते , इश्क में ,इश्क निभाने में ॥

कभी शर्म से , कभी सहम कर , सिमटे टूटे ,बिखर गये ।
जाने कितने ख्वाब अधूरे ,इस बेदर्द जमाने में ॥

मम्मी-पापा मान गये हैं , पंचायत से डरते हैं ।
उनसे क्या उम्मीद , लगे हैं जो सरकार बचाने में ॥

जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥

क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥

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                                   अजय कुमार ( गठरी पर )
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64 comments:

  1. behtreen rachna

    badhai kabule
    \

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  2. कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
    कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
    उफ़ क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...

    इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
    एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
    कृपया जरूर आएँ...

    सुनहरी यादें ....

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  3. अच्छा सन्देश! अच्छे विचार !
    सराहनीय !

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  4. आपकी गठरी पहली बार खोली है ..बहुत अच्छा लगा ..बहुत खूब !!

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  5. ajay bhayi alfaazon ki itni or itni sundr gthri bhyi vaah bhyi vaah mza aa gya bs is gthri ko pdhte rhne ko ji chahta he . akhtar khan akela kota rajsthan

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  6. बेहतरीन प्रस्तुति।

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  7. रचना अच्छी है, भाव गहरे हैं..........
    बढ़िया प्रयास, हार्दिक बधाई..........

    चन्द्र मोहन गुप्त

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  8. सुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम.

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  9. जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥

    बहुत सुन्दर गज़ल .. शानदार

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  10. मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
    तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥

    ...बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ...बधाई..

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  11. जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
    बहुत खूब !

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  12. बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है । बेहतरीन ।

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  13. उम्दा प्रस्तुती ...

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  14. बेहतरीन रचना !

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  15. बहुत खूब.... सुंदर भाव और प्रभावी प्रस्तुति

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  16. बढ़िया भावप्रधान रचना ...
    दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  17. मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
    हाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥
    इस ग़ज़ल का हर शे’र लाजवाब है। मैं तो दो बार गा चुका हूं।

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  18. पहले पहले और ताज़े ताज़े इश्क़ की पूरी तस्वीर सामने रख दी है आपने.. अजय जी! हर शेर लाजवाब!!

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  19. इसे गुनगुना कर देखा सर जी.. मंच पर पढेंगे तो शर्तिया धमाल मचा देंगे...

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  20. दीपक की बात --सोलह आने सच...

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  21. क्या जीवन का अंत हो गया एक सपना टूट जाने में ...
    बिलकुल नहीं ...
    अच्छी कविता ...!

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  22. अच्छी ग़ज़ल है आपकी.

    आपकी ग़ज़ल के तारतम्य में ये भी कहूँगा की:-

    अपनी रचनाओं पर मैंने पढ़ीं आपकी टिप्पणियाँ,
    मुझको भी अच्छा लगता है अन्य ब्लॉग पर जाने में.

    मिलते रहेंगे.

    कुँवर कुसुमेश
    ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com

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  23. मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
    तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
    अच्छा लगा ..बहुत खूब !

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  24. जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥

    क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
    जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥

    आज तो इस रचना मे पूरी ज़िन्दगी उतार कर रख दी……………लयबद्ध है तो सच गुनगुनाने मे तो बहुत ही बढिया लगेगी।

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  25. अति उत्तम अजय जी

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  26. बेहतरीन रचना. चंद पंक्तियों में अपने कितनी भावनाएं समेट दी हैं. लाजवाब.......

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  27. मम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
    उनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !

    बहुत खूब...........सुन्दर रचना !

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  28. कितने लम्हे बीत गए हैं........सुन्दर रचना !

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  29. अच्‍छी है जी।

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  30. जिनके दामन में खुशियां हैं कैसे उनको समझाएं
    कितना दर्द छिपाना पड़ता है एक तबस्सुम लाने में
    बेहतरीन पंक्तियां हैं....

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  31. Bahut hi payara likha hai......
    manna padega,,,dil se kalam se likhi baat hi bahut pyaari hoti hai...

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  32. हर एक शेर दिल को छू गया।
    जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
    वाह कमाल का शेर है। बधाई सुन्दर गज़ल के लिये।

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  33. जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥

    बेहतरीन ग़ज़ल!

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  34. जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……

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  35. जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……

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  36. जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……

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  37. आपकी गठरी तो बहुत काम की है।

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  38. जीवन का ख़ात्मा चंद सपने टूट जाने से नहीं होता,यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है ! बढ़िया प्रस्तुति !

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  39. ajay ji
    vastav me aapki gathari to bhanumati ka pitara hai.behatreen gazal.
    जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्दजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥ छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में
    bahut bahut achhi lagi aapki gazal
    poonam

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  40. बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी रचना का जादू है ये...
    इधर भी पधारें
    धर्म, अंधविश्वास या बेवकूफी

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  41. waoooo...bahot khub...bahot sundar rachna...

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  42. क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
    जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥


    shandaar, bas yahi shabd mere mann me aa raha hai.......:)

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  43. जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
    कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...

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  44. कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
    कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
    इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया.....शानदार भावाभिव्यक्ति

    बधाई स्वीकार करें.....

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  45. bhai ajayji vakai ek behtaren gazal padhkar dil khush ho gaya

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  46. सुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम

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  47. वाह ... बहुत ही कमाल लिखा है ... प्रेम की सरल सी बतियां ... कहीं हल्का सा व्यंग ... पर प्रेम को समर्पित लाजवाब रचना .,..

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  48. इतना तो तय है, अजय भाई कि आपने इस ग़ज़ल में बह्र की प्रवहमानता का पूरा ख़्याल रखा है...कहीं कोई झोल नहीं। भाव भी सुन्दर!

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  49. लाजवाब रचना !

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  50. बहुत खूब । एक बार पढ कर तो मन ही नही भरा । कई बार पदी । धन्यवाद

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  51. vah kya kvita hai, kitana achchha shabd vinyas hai. suchmuch maja aa gaya.

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  52. मम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
    उनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !
    क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...

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  53. आनर किलिंग पर शानदार कविता ,सटीक बातें कही हैं .

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  54. आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
    हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.

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  55. .

    मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
    तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥

    Lovely couplets !

    .

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  56. AJAY JEE AAPNE BAHUT ACHCHA LIKHA HAI...

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