क्या बतलायें क्या मिलता है , दिल चोरी हो जाने में ।
और मजा कितना आता है , दिल की बात सुनाने में ॥
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
हाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥
कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
कितनी रातें तारे गिनते गिनते ,काटी जाती हैं ।
दीवाने पागल हो जाते , इश्क में ,इश्क निभाने में ॥
कभी शर्म से , कभी सहम कर , सिमटे टूटे ,बिखर गये ।
जाने कितने ख्वाब अधूरे ,इस बेदर्द जमाने में ॥
मम्मी-पापा मान गये हैं , पंचायत से डरते हैं ।
उनसे क्या उम्मीद , लगे हैं जो सरकार बचाने में ॥
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
******************************************
अजय कुमार ( गठरी पर )
******************************************
behtreen rachna
ReplyDeletebadhai kabule
\
कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
ReplyDeleteकितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
उफ़ क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...
इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
अच्छा सन्देश! अच्छे विचार !
ReplyDeleteसराहनीय !
आपकी गठरी पहली बार खोली है ..बहुत अच्छा लगा ..बहुत खूब !!
ReplyDeleteajay bhayi alfaazon ki itni or itni sundr gthri bhyi vaah bhyi vaah mza aa gya bs is gthri ko pdhte rhne ko ji chahta he . akhtar khan akela kota rajsthan
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति।
ReplyDeleteरचना अच्छी है, भाव गहरे हैं..........
ReplyDeleteबढ़िया प्रयास, हार्दिक बधाई..........
चन्द्र मोहन गुप्त
सुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम.
ReplyDeleteजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत सुन्दर गज़ल .. शानदार
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
ReplyDeleteतन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
...बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ...बधाई..
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत खूब !
बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है । बेहतरीन ।
ReplyDeleteउम्दा प्रस्तुती ...
ReplyDeleteबेहतरीन रचना !
ReplyDeleteबहुत खूब.... सुंदर भाव और प्रभावी प्रस्तुति
ReplyDeleteबढ़िया भावप्रधान रचना ...
ReplyDeleteदशहरा पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं ...
मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
ReplyDeleteहाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥
इस ग़ज़ल का हर शे’र लाजवाब है। मैं तो दो बार गा चुका हूं।
पहले पहले और ताज़े ताज़े इश्क़ की पूरी तस्वीर सामने रख दी है आपने.. अजय जी! हर शेर लाजवाब!!
ReplyDeletebehtreen rachna
ReplyDeleteइसे गुनगुना कर देखा सर जी.. मंच पर पढेंगे तो शर्तिया धमाल मचा देंगे...
ReplyDeleteदीपक की बात --सोलह आने सच...
ReplyDeleteक्या जीवन का अंत हो गया एक सपना टूट जाने में ...
ReplyDeleteबिलकुल नहीं ...
अच्छी कविता ...!
अच्छी ग़ज़ल है आपकी.
ReplyDeleteआपकी ग़ज़ल के तारतम्य में ये भी कहूँगा की:-
अपनी रचनाओं पर मैंने पढ़ीं आपकी टिप्पणियाँ,
मुझको भी अच्छा लगता है अन्य ब्लॉग पर जाने में.
मिलते रहेंगे.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
ReplyDeleteतन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
अच्छा लगा ..बहुत खूब !
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
आज तो इस रचना मे पूरी ज़िन्दगी उतार कर रख दी……………लयबद्ध है तो सच गुनगुनाने मे तो बहुत ही बढिया लगेगी।
beautiful...!
ReplyDeleteअति उत्तम अजय जी
ReplyDeleteबेहतरीन रचना. चंद पंक्तियों में अपने कितनी भावनाएं समेट दी हैं. लाजवाब.......
ReplyDeleteमम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
ReplyDeleteउनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !
बहुत खूब...........सुन्दर रचना !
कितने लम्हे बीत गए हैं........सुन्दर रचना !
ReplyDeleteअच्छी है जी।
ReplyDeleteजिनके दामन में खुशियां हैं कैसे उनको समझाएं
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता है एक तबस्सुम लाने में
बेहतरीन पंक्तियां हैं....
Bahut hi payara likha hai......
ReplyDeletemanna padega,,,dil se kalam se likhi baat hi bahut pyaari hoti hai...
हर एक शेर दिल को छू गया।
ReplyDeleteजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
वाह कमाल का शेर है। बधाई सुन्दर गज़ल के लिये।
बेहतरीन प्रस्तुति.
ReplyDeleteजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बेहतरीन ग़ज़ल!
जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
ReplyDeleteजब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
ReplyDeleteजब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
ReplyDeleteआपकी गठरी तो बहुत काम की है।
ReplyDeleteजीवन का ख़ात्मा चंद सपने टूट जाने से नहीं होता,यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है ! बढ़िया प्रस्तुति !
ReplyDeleteajay ji
ReplyDeletevastav me aapki gathari to bhanumati ka pitara hai.behatreen gazal.
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्दजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥ छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में
bahut bahut achhi lagi aapki gazal
poonam
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी रचना का जादू है ये...
ReplyDeleteइधर भी पधारें
धर्म, अंधविश्वास या बेवकूफी
waoooo...bahot khub...bahot sundar rachna...
ReplyDeleteक्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
ReplyDeleteजीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
shandaar, bas yahi shabd mere mann me aa raha hai.......:)
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
ReplyDeleteकितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
ReplyDeleteकितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया.....शानदार भावाभिव्यक्ति
बधाई स्वीकार करें.....
nice
ReplyDeletevandana
bhai ajayji vakai ek behtaren gazal padhkar dil khush ho gaya
ReplyDeletebahut hi sundar rachna
ReplyDeleteसुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम
ReplyDeleteवाह ... बहुत ही कमाल लिखा है ... प्रेम की सरल सी बतियां ... कहीं हल्का सा व्यंग ... पर प्रेम को समर्पित लाजवाब रचना .,..
ReplyDeleteइतना तो तय है, अजय भाई कि आपने इस ग़ज़ल में बह्र की प्रवहमानता का पूरा ख़्याल रखा है...कहीं कोई झोल नहीं। भाव भी सुन्दर!
ReplyDeletebahut sundar dohe bhai ajay ji badhai
ReplyDeleteलाजवाब रचना !
ReplyDeleteखूबसूरत गज़ल ..
ReplyDeleteबहुत खूब । एक बार पढ कर तो मन ही नही भरा । कई बार पदी । धन्यवाद
ReplyDeletevah kya kvita hai, kitana achchha shabd vinyas hai. suchmuch maja aa gaya.
ReplyDeleteमम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
ReplyDeleteउनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !
क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...
wallah... kya baat hai sir
ReplyDeleteआनर किलिंग पर शानदार कविता ,सटीक बातें कही हैं .
ReplyDeleteआप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
ReplyDeleteहम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.
.
ReplyDeleteमुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
Lovely couplets !
.
AJAY JEE AAPNE BAHUT ACHCHA LIKHA HAI...
ReplyDelete