Wednesday, December 8, 2010

तुम्हारे प्यार में----(अजय की गठरी )

तुम्हारे प्यार में बरबाद हो कर ।
मैं फिर भी याद करता हूं तुम्हें ,दिन रात रो कर ॥

वो लम्हे प्यार के
जिसमें सजा लेते थे सपने ।
बिखर जाते थे पल में ,
तुम्हारा साथ खोकर ॥

इधर मैं भी हूं तंन्हां
उधर तुम भी अकेली ।
चांदनी जल रही है ,
बहुत ठंडा है बिस्तर ॥

ये अंदाजा किसी चेहरे से
कोई क्या लगाये ।
लगे इस जिंदगी में उसको
कितनी बार ठोकर ॥

मेरी मासूमियत का फायदा
सबको मिला है ।
मुझे सबने बना डाला
हर इक इल्जाम का दर ॥

मुझे मनहूस भी
तुमने कहा था ।
तबस्सुम से मेरे
अंजान हो कर ॥

न बाबूजी जी झिड़की
न अम्मा की नसीहत ।
तूं घर से दूर है तो
जरा भगवान से डर ॥

गुजारिश ,इल्तजा,
मिन्नत है ,भगवन ।
जरा लम्बी तो दे दो
सभी पैरों को चादर ॥

24 comments:

  1. अजय जी क्या लिखा है..कसम से...
    बहुत सुन्दर... कुछ पंक्तियाँ तो एकदम लाजवाब हैं...

    क्या क्या बदल गया है ....

    ReplyDelete
  2. गुजारिश ,इल्तजा,
    मिन्नत है ,भगवन ।
    जरा लम्बी तो दे दो
    सभी पैरों को चादर ॥

    Bahut sunder.... saarthak vichar ...

    ReplyDelete
  3. मेरी मासूमियत का फायदा
    सबको मिला है ।
    मुझे सबने बना डाला
    हर इक इल्जाम का दर ॥

    सच ऐसा ही होता है ...जो ज्यादा फ़िक्र करते हैं उन पर ही इलज़ाम लगते हैं

    गुजारिश ,इल्तजा,
    मिन्नत है ,भगवन ।
    जरा लम्बी तो दे दो
    सभी पैरों को चादर ॥

    बहुत अच्छी मिन्नत ....

    ReplyDelete
  4. सुंदर प्रेम कविता... कुछ ठोस प्रत्यक्ष और कुछ अप्रत्यक्ष विम्ब..

    ReplyDelete
  5. मेरी मासूमियत का फायदा
    सबको मिला है ।
    मुझे सबने बना डाला
    हर इक इल्जाम का दर ॥
    शायद मासूमियत का मुकद्दर यही है। बहुत गहरे एहसास हैं। अच्छी रचना के लिये बधाई।

    ReplyDelete
  6. अजय जी, छा गए आज तो आप... गठरी में नहीं समा रहे हैं आपके अशार.. प्रभवित हुआ इससे
    गुजारिश ,इल्तजा,
    मिन्नत है ,भगवन ।
    जरा लम्बी तो दे दो
    सभी पैरों को चादर॥

    मैंने तो कभी चादर लम्बी करने की भी दुआ नहीं माँगी. अपनी बस इतनी मिन्नत, गुज़ारिश रही
    और ज़ियादा मुझे दरकार नहीं है लेकिन,
    मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे!

    ReplyDelete
  7. ajay ji -bhagvan chahe kitni bhi chadar lambi kar de manav ki ichchhaon ke samaksh use chota hi rahne hai .badhiya abhivyakti .shubhkamnaye.

    ReplyDelete
  8. behtreen prastuti .......

    ReplyDelete
  9. मेरी मासूमियत का फायदा
    सबको मिला है ।
    मुझे सबने बना डाला
    हर इक इल्जाम का दर ॥
    xxxxxxxxxxxxxxxxx
    दुनिया की रीत ही यही है ...शुक्रिया

    ReplyDelete
  10. वो लम्हे प्यार के
    जिसमें सजा लेते थे सपने ।
    बिखर जाते थे पल में ,
    तुम्हारा साथ खोकर ...

    अजय जी ... विरह की प्यास नज़र आ रही है ... बेहतरीन लिखा है .. दिल के ज़ज्बात निकल कर सामने आ रहे हैं ...

    ReplyDelete
  11. इधर मैं भी हूँ तन्हाँ,उधर तुम भी अकेली ,
    चांदनी जल रही है ,बहुत ठंडा है बिस्तर !

    अजय जी ,बहुत प्यारी ग़ज़ल कही आपने ,
    खूब समां बाँधा है ! बहुत बधाई !

    ReplyDelete
  12. बाकी सब ठीक है लेकिन प्यार मे भगवान से डरना बिलकुल ज़रूरी नही है ...

    ReplyDelete
  13. बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

    ReplyDelete
  14. बेहद खूबसूरत अभिव्यक्ति।

    ReplyDelete
  15. दिल के ज़ज्बात निकल कर सामने आ रहे हैं|
    लाजवाब...

    ReplyDelete
  16. यादों की खूबसूरत अभिव्यक्ति करने में कामयाब रचना ! शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  17. अजय जी,
    इस शेर ने तो दिल को छू लिया ,
    मेरी मासूमियत का फायदा सबको मिला है ,
    मुझे सबने बना डाला हर एक इलज़ाम का घर !
    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति ,
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

    ReplyDelete
  18. achchha likhte hain aap ... likhte rahiye

    ReplyDelete
  19. आपको एवं आपके परिवार को क्रिसमस की हार्दिक शुभकामनायें !

    ReplyDelete
  20. आपको और आपके परिवार को मेरी और मेरे परिवार की और से एक सुन्दर, सुखमय और समृद्ध नए साल की हार्दिक शुभकामना ! भगवान् से प्रार्थना है कि नया साल आप सबके लिए अच्छे स्वास्थ्य, खुशी और शान्ति से परिपूर्ण हो !!

    ReplyDelete
  21. खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.

    अनगिन आशीषों के आलोकवृ्त में
    तय हो सफ़र इस नए बरस का
    प्रभु के अनुग्रह के परिमल से
    सुवासित हो हर पल जीवन का
    मंगलमय कल्याणकारी नव वर्ष
    करे आशीष वृ्ष्टि सुख समृद्धि
    शांति उल्लास की
    आप पर और आपके प्रियजनो पर.

    आप को सपरिवार नव वर्ष २०११ की ढेरों शुभकामनाएं.
    सादर,
    डोरोथी.

    ReplyDelete
  22. मैं यूं ही बेमानी हूँ
    फ़कत तुम्हारा होकर......

    नया अनुभव !

    ReplyDelete