Sunday, August 5, 2012

आइये--ले जाइये

है बहारों का शमां , ऐ सनम आ जाइये ।
मुस्कुराना हुश्न का जेवर है , कुछ मुस्काइये ॥

आप के बिन महफिलों में , आती नहीं बहार है ,
शाम-ए-महफिल में जरा , कुछ देर को आ जाइये ॥

आप आती हैं तो रौनक , दिल में मेरे आती है ,
दिल का कहना है कि बस , कुछ और ठहर जाइये ॥

पास मेरे कुछ नहीं है ,धड़कते दिल के सिवा
आइये पहलू में मेरे , दिल मेरा ले जाइये ॥

20 comments:

  1. सुन्दर अहसास .

    सावन गुजरने पर आई है बरखा
    आपने भी आने में देर लगाई है .

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  2. आप आती हैं तो रौनक , दिल में मेरे आती है ,
    दिल का कहना है कि बस , कुछ और ठहर जाइये ..

    बहुत खूब ... प्रेम का मीठा एहसास जगाती ... सुन्दर रचना ...

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  3. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल , मुबारक हो

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  4. वाह ...बहुत ही बढिया ...

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  5. कल 08/08/2012 को आपकी इस पोस्‍ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.

    आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!


    '' भूल-भुलैया देखी है ''

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  6. दिल का कहना है..कुछ देर और ठहर जाइए..
    सुन्दर गज़ल..

    अनु

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  7. बहुत बढ़िया सर!


    सादर

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  8. खुबसूरत रचना... वाह!
    सादर.

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  9. khoobsurat jajbaat! lijiye ham aapka dil lene aa hi gaye!

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  10. बहुत बहुत खुबसूरत प्रस्तुति....
    बहुत सुन्दर....
    :-)

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  11. खूबसूरत प्रस्तुति...

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  12. दिल मेरा ले जाइए!
    खूबसूरत ख्याल!
    आशीष
    --
    द टूरिस्ट!!!

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  13. मन को छू जाने वाले भाव।
    ईद की दिली मुबारकबाद।
    ............
    हर अदा पर निसार हो जाएँ...

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  14. मुस्कराना आवश्यक है ...
    आभार !

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  15. बहुत बढ़िया प्रस्तुति अजय जी -
    आपका लिंक यहाँ भी है |

    इन्तजार है हार को, आ बहार इस बार |
    बार बार सूखे लड़ी, होय प्यार की हार |
    होय प्यार की हार, लड़ी किस्मत से नजरें |
    बदकिस्मत बदहाल, गुजरता ताकूँ गजरे |
    *गटपट गजगामिनी, कहो अब क्या विचार है |
    चाल चलो या तेज, चाल का इन्तजार है ||
    *संयोग
    dineshkidillagi.blogspot.com

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  16. Bohot hi sundar ehsaas...wel done...

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  17. बहुत खुबसूरत ग़ज़ल...

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  18. Very appealing creation..

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  19. हुश्न का ज़ेवर है मुस्कुराना..!!

    बहुत ही बढ़िया कहा श्रीअजयजी.

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