Sunday, December 23, 2012

तुम्हें अपना पुरुषत्व गंवाना होगा-----(अजय की गठरी )


किसी की मां , बहन , बेटी ,
किसी का प्यार --लड़की
गर्भ में असुरक्षित
घर में भेदभाव का शिकार --लड़की ||
बेटियों की ह्त्या , गर्भ में की जाती है
भ्रूण-ह्त्या तो अपराध है |
ये हत्यारे कोई सजा नहीं पाते ,
हे व्यवस्था तुझे साधुवाद है -------

एक लड़की इन सबसे बचकर , आगे बढ़ रही थी
दो- चार सीढियां चढ़ रही थी
उसकी इज्जत तार -तार हो गयी
इंसानियत भी शर्मसार हो गयी
ऐसे हादसे पहले भी होते रहे हैं |
कड़ी कार्रवाई का भरोसा देकर
हमारे कर्ता-धर्ता सोते रहे हैं ||

पूरी संसद ,
शासन-प्रशासन के लोग , भावनावों में बह रहे हैं |
कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए
चीख चीख कर कह रहे हैं  ||
मेरी मंद-बुद्धि  एक सवाल करती है
जब सारा अधिकार तुम्हारे पास है  |
सजा देने के लिए क्या किसी और की तलाश है ???
क्यों चीख रहे हो चिल्ला रहे हो ?
किससे तुम्हारा ये , संवाद है ?
हे व्यवस्था तुझे साधुवाद है ---

मां -बहनों का सम्मान करो , इन अधम-पिशाचों को बताना होगा |
म्रत्युदंड नहीं --तुम्हें अपना पुरुषत्व गंवाना होगा ||
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           गठरी पर अजय कुमार
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11 comments:

  1. यही इनका इलाज है

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  2. शानदार लेखन, बधाई !!!

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  3. बहुत सही बात कही है आपने .सार्थक अभिव्यक्ति हार्दिक आभार हम हिंदी चिट्ठाकार हैं

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  4. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    --
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल सोमवार (24-12-2012) के चर्चा मंच-११०३ (अगले बलात्कार की प्रतीक्षा) पर भी होगी!
    सूचनार्थ...!

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  5. आँख नम है
    न्‍याय की माँग में
    जुल्‍म देख
    ...

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  6. ये इन नेताओं की बहाने बाजी है ... संसद में चिलाते हैं .. नाटक दिखाते हैं ... फिर म्म्मिल बाँट के खाते हैं ...

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  7. वाह . बहुत उम्दा,सुन्दर व् सार्थक प्रस्तुति . हार्दिक आभार आपका ब्लॉग देखा मैने और कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.

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  8. अरे मेरे साले साहब कब तक LOVER BOY रहोगे --

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