मेरे सामने था प्याला ,और आँख में नमी थी |
मेरी जिंदगी में शायद ,तेरे प्यार की कमी थी ||
मेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
मैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
मुझे दर्द-ए-दिल दिया है ,तूने रास्ता बदलकर |
तेरा प्यार तेरी चाहत ,मेरे साथ दिल्लगी थी ||
वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
बहुत ही अच्छा लिखा है बधाई ।
ReplyDeleteवाह!! अजय जी।बहुत बढिया गजल है।बधाई।
ReplyDeleteअजय जी ...........
ReplyDeleteकमाल की ग़ज़ल है ........ख़ास कर ग़ज़ल का आगाज़ लाजवाब है .......
एक सुन्दर रचना!
ReplyDeleteबढ़िया गज़ल है जी।
ReplyDeleteगुनगुनाते हुए मजा आ रहा है।
bahut khoob
ReplyDeleteखूब गा रहें है, अच्छा बजा रहें है.
ReplyDeleteदेख्नना है आगे क्या- क्या सुना रहें है.
बहुत खूब !
ReplyDeleteवैसे बुरा न माने तो एक सजेसन दूंगा कि गजल या नज्म लिखे तो जो सुरुआती आख़िरी अहब्द ले आप पकड़ कर चल रहे है उसी में अपनी गजल को समाने की कोशिश करे, उससे गजल ज्यादा प्रभावी और सुनने में सुन्दर लगते है जैसे आपकी इस रचना के सुरु की दो लेने कमी और नमी पर ख़त्म हुई, उसी तरह अगर आगे के चंदो में भी "जमी', 'थमी' 'लाजमी' जैसे सब्द प्रयोग होते तो रचना और भी प्रभावी लगती ! खैर, मुझे बड-बड करने की पुरानी बीमारी है, बुरा लगे तो क्षमा करना !
ReplyDeleteआदरणीय गोदियाल जी, आपने अपनेपन के साथ एक सुझाव दिया , अच्छा लगा | मुझे लगा की लय ठीक है तो लिख दिया था |भविष्य में ध्यान रखूँगा
ReplyDeletevah ji
ReplyDeletebahut achha pryog shayri ka andaj achha lga .
कहीं इश्क हो गया ........?बहुत उम्दा ख्याल बहुत
ReplyDeleteखुबसूरत है ........दिल जलता है तो जलने दे ...
रख मत होने देना ...
वाह वाह क्या बात है! बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने!
ReplyDeletesundar bhaav aur abhivyakti
ReplyDeletewo gazal..........shayri thi.
ReplyDelete'
wah. bahut khoob.
बहुत लाजवाब रचना.
ReplyDeleteरामराम.
gazal jaisee baate or geet jaisa chehra....chehre jaisee gazal...
ReplyDeleteAjay Ji Shaandar.. Achcha Blog hai
ReplyDeleteवाह वाह!! बहुत सही..मजा आया.
ReplyDeleteमेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
ReplyDeleteमैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
wow !!
kabhi ek she'r likha tha....
"Baal hai bikre hue,Chehra shikan aalod hai..."
uski phir yaad taaza ho aie...
"वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
"
ye baat to aapke liye bhi laago hoti hai...
pehli baar aapke blog main aaiya aur accha laga !!
खुबसूरत लगे यह एहसास ..शुक्रिया
ReplyDeleteबहुत ही आला तरीन अंदाज़ है। इतनी अच्छी लाइनें शाया करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।
ReplyDeleteWah ! Koyi sher kya kahega, wo khud shayaree thee..."
ReplyDeleteNape tule alfaaz lekin gazab ravaani!
वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
ReplyDeleteकोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
अच्छी उपमाएं. सुन्दर रचना.
बहुत सुन्दर !!!!!!!
ReplyDeleteवाह अजय जी, आग अभी बाकी है
ReplyDeleteवाह अजय जी, आग अभी बाकी है
ReplyDeleteBahut khoobsoorat bhavon ke sath behad umda rachna ban padi hai Ajay sir, aap nishchay hi badhai ke patra hain....
ReplyDeletejai Hind
सुन्दर है.
ReplyDeleteबहुत ही अच्छा लिखा है बधाई ।
ReplyDeleteमेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
ReplyDeleteमैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
लाजवाब बहुत सुन्दर रcचना है शुभकामनायें
प्यार का खूबसूरत फलसफा
ReplyDeletethanx ajay ji for visting n gve suggesn
ReplyDeletemere reading list me blog nahi hai
bt i lik reading
अच्छा लगा आपकी लेखनी पढ़्कर.
ReplyDeleteअरे वाह, अपने दिल की बात क्या इतने सलीके से और प्रभावी ढंग से भी कही जा सकती है? गजब किया है आपने। बधाई।
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
सुंदर रचना..... निरन्तरता बनाए रखें...
ReplyDeleteमन के भावों को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से बयां किया है। एकदम पानी की सी रवानी है।
ReplyDeleteबधाई।
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स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।
bahut hi achchha gajal hai.
ReplyDeletebadhai...
koi sher .........
ReplyDelete...... bahut khoob !!!!
सुन्दर गजल पढ़वाने के लिए आभार!
ReplyDeleteajai ji mere khayal se ab woh din door nahin jab aap ko kisi sangeetkar ka phone aaye ga ki bhai hamari film ke liye gana likhye aur film ke title pe likha hoga lyrics by ajai kumar........
ReplyDeleteajai ji woh din lagta hai ki ab door nahin hai jab koi producer ya sangeetkar aap ko phone kar ke kahega ki bhai mere film ke gane aap likhye aur film ke titles pe aap ka naam lyrics by ajai kumar likha aayega..........bhaut hi sunder kavitayen hain
ReplyDeleteवो गज़ल से अच्छी बातें और गीत जैसा चेहेरा,
ReplyDeleteक्या बात है, बहुत खूब ।
बढिया है लिखते रहिये ।
ReplyDeleteवो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
ReplyDeleteकोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
अजय जी बहुत खूब कहा और हमें भी अपनी गली में भटकने को मजबूर कर दिया है बधाई
मेरे ब्लॉग पर आने और ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया
रचना
बहुत ही अच्छा लिखा है बधाई ।
ReplyDeleteअजय जी बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है बधाई हो आपको .......
ReplyDeleteसुन्दर गजल पढ़वाने के लिए आभार
ReplyDeletei am a regular visitor of ur blog section....and the way u have written this..simply superb..
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