तन्हां तन्हां मैं रहता हूं ,आलम है तन्हाई का ।
याद में तेरे गूंज रहा है , सुमधुर स्वर शहनाई का ॥
रिमझिम रिमझिम , बरसे सावन ।
तुमको पुकारे , अब मेरा मन ।
तुम बिन , सूना सूना सावन ।
दिल में आग लगा ही देगा , मौसम ये पुरवाई का ॥
दिल को अच्छी लगीं , फुहारें ।
गुलशन में आ गयीं , बहारें ।
धड़कन तेरा नाम , पुकारें ।
एक झलक दिखला दो अपनी , मस्ती भरी अंगड़ाई का ॥
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ।
बिन सजनी के , कैसा साजन ।
आ भी जाओ फेंक के अपना , चोला ये रुसवाई का ॥
उमड़ घुमड़ कर , बरसे बादल ।
कर डाला , सबका मन चंचल ।
जोश जगाये ,वर्षा का जल ।
नव उमंग संचरित हुआ है , हर दिल में तरुणाई का ॥
(अच्छे मानसून की मंगलकामनायें )
143. अरविंद घोष
20 hours ago
76 comments:
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ।
मौसमी रचना .. सुन्दर भाव से भरा हुआ
सुन्दर भावों से भरी हुयी, बेहतरीन छंदमय कविता ...बधाई!
आखिर बारिस में मन मचल ही गया ।
बहुत सुन्दर सावन गीत लिखा है ।
दूसरी पंक्ति में --आती है आवाज़ की जगह कुछ और अच्छा लगेगा ।
जैसे --आता है आनंद ,या आता है नशा, या मज़ा आदि ।
बहुत सुंदर आप तो बीस साल पीछे लेकर चले गए सुंदर रचना
दराल सर ,अच्छा सुझाव है लेकिन ’याद आते ही शहनाई की आवाज सुनाई देना ,जीवन भर साथ होने की तरह है । ’आवाज’ के जगह कुछ और लिखने से ’शहनाई ’ भी हटाना पड़ेगा ,कोई अच्छा सा सूझ नही रहा है ।
ajay ji pehli baar aapke blog par aayaa ! kai kavitayen padhi ! sunder likhte hain aap ! sawan ka geet achha ban pada hai! achhe mansoon ke mangalkaamna me hum bhi aapke saath hain !
Thanks for coming on my blog . I shall try my best .
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ।
बिन सजनी के , कैसा साजन ।
आ भी जाओ फेंक के अपना , चोला ये रुसवाई का
ये मौसम तो सच में आग लगा जाएगा ... बहुत ही गहरे प्रेम, तड़प, और जुदाई का एहसास करा रही है आपकी रचना .. ग़ज़ब है ...
सुंदर वर्षा गीत.
पढ़ते-पढ़ते मन मगन हुआ.
..बधाई.
वाह बहुत बढ़िया मौसमी गीत ....
actualy blogging ka mujhe abhi abhi chaska laga hai and i see n your blog first time. behad sunder rachna ke sath aaye mausam ka swagat kare.........bhehad sunder
"आ कर छू लो कोरा है मन
वाह्………क्या भाव भरे हैं……………बहुत ही सुन्दर्।
सुन्दर भावों से भरी हुयी........है आपकी रचना .. .
बहुत खूबसूरत गीत
bahut romantic kavita likhi hai waise hai bahut achchi.dhnaywad
वन्दे मातरम !!
आपने मेरे ब्लॉग में प्रवेश कर मेरा मार्गदर्शन और स्वागत किया सादर आभार साथ ही आपने मुझे अपने शानदार ब्लॉग को पढने का अवसर भी प्रदान किया जिसके लिए आपको धन्यवाद प्रषित करता हूँ और यह {अधिकारपूर्ण} आग्रह करता हूँ, की आगे भी आप मेरे ब्लॉग को पढ़कर मुझ नवोदित ब्लॉगर को अपना मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद प्रदान करते रहेंगे...........वन्दे मातरम !!
बहुत सुन्दर रचा है आपकी ....
sawan ke aagman ke saath hi aapke is kore mna ke bulave ne vastava me sawan ki umango se man ko rijha didy hai.
poonam
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
बढ़िया रचना मानसून के आगत के लिए .... भावपूर्ण रचना ...
दिल को अच्छी लगीं , फुहारें ।
गुलशन में आ गयीं , बहारें ।
धड़कन तेरा नाम , पुकारें ।
एक झलक दिखला दो अपनी , मस्ती भरी अंगड़ाई का
बहुत बढियां ,इतना मीठा मनुहार
वाह! क्या बात है! बहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने!
sundar nazm!
ajay sir,
very beautiful poem, with feelings frm heart.
BAHUT BADIYA ! THE PRESENTATION OF WORDS MAKE IT LIVE . THANK U VERY MUCH FOR UR SUGGESTION.
भावों से भरी हुयी सुन्दर मौसमी रचना ..
आना जब भी , तुमको है आना
पर पैसो की गठरी संग लाना
रोना धोना , न कोई बहाना
इससे अच्छा तू मत आना
क्योंकि आलम है महगाई का ...
बहुत अच्छी रचना है
हम बहुत प्रभवित हुए आपका ब्लॉग देख कर......बहुत सुन्दर लिखा है
इसी लिए आता है "सावन झूम के"
अजय सर क्षमा चाहता हूँ मगर झूठ नहीं बोलूँगा... गीत बढ़िया भाव रख के भी.. मात्राओं की दृष्टि से ठीक नहीं है(जैसा मुझे लगता है).. और मुखड़े में कुछ ज्यादा गड़बड़ है. किसी विशेषज्ञ से बात कर लें, बढ़िया गीत बनेगा.. वैसे संभव है मैं ही गलत होऊं..
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ।
बिन सजनी के , कैसा साजन ।
आ भी जाओ फेंक के अपना , चोला ये रुसवाई का बहुत सुन्दर गीत है। इसे अपनी आवाज भी दें गीत धूम मचा देगा। बधाई
Shaandaar kavita hai........mujhe aap logon se jodne ke liye bahut bahut dhanyawaad,,
दीपक मशाल जी ,उपयोगी सुझाव के लिये धन्यवाद । सच कहूं तो मुझे गीत / गजल की शास्त्रीयता की समझ नहीं है , मैं सिर्फ़ ये देखता हूं कि गुनगुनाया जा सके ।
लेकिन मैं सीखने की कोशिश जरूर करुंगा ।
य़े सावन और ये आपकी सावनी सलोनी कविता बहुत सुंदर ।
सावन का मौसम लाता है अपने साथ खुशियाँ अपार ...
और फिर से तरुणाई का मौसम ...!
सुन्दर .!
जब पुरवाई चलती है ....दिल में
एक टीस तो उठती है ....लेकिन बूढों
के जोड़ों में दर्द भी जगती है .......
इश्क वह नशा है .....जो सावन में कुछ ज्यादा ही
फुफकारती है ..
agar bura na mane to parivartan kiya ja sakta hai karan aawaj ke sath shahnaae ka nahee jata .......
aata hai swar ,tumharee yado se shahnaaee ka .
iseme lay bhee banee rahegee aur sunne padne me bhee theek lagega.........
bahut bhavbheenee rachana hai.... ati sunder .
mai pahlee var hee aaee hoo aapke blog par accha lag raha hai.
bete ko bhee belated happy birthday.......
आदरणीया अपनत्व जी ,सुझाव के लिये धन्यवाद ।
दूसरी लाइन में परिवर्तन कर दिया है ।
Nice poems!
http://www.neelprerna.blogspot.com/
सुन्दर गीत ।
लयबद्ध सुन्दर गीत
Wah-2 ish kavita me to ham bhig hi gaye sir....badhai.
मित्रता दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ!
बहुत सुंदर कविता लिखी है आपने.
इस मानसून में आपके सूने मन की व्यथा बाया कर रही है कविता बहुत खूब बहुत खूब.
मेरे कोरे मन में बहुत कुछ लिख गयी आपकी कविता.
बहुत सुंदर ऐसे ही कुछ और अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखते रहिये.
ताकि मेरा मन कोरा कागज़ ना रहे.
धन्यवाद.
आपका अपना योगेश चन्द्र उप्रेती
बहुत सुंदर कविता ...
बधाई !!!
Sorry Sir, aapka comment kuchh din baad padh paya, jeevan ki uhapoh me vyast tha. Aap kafi achha likhte hain aur jankar hardik prasannata hui ki aap Siddharthnagar se hain....
Aapke putra ko meri taraf se bhi janmdivas ki hardik shubhkamnaye...
Vikash
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ।
सुंदर वर्षा गीत भावपूर्ण रचना
सावन की फुहारों के साथ मन उपजी में तड़प की अभिव्यक्ति.
सुंदर अभिव्यक्ति |बधाई |
आशा
बहुत सुंदर रचना।
बहुत गहरी अभिव्यक्ति है..
ajay ji bahut acchi rachna ke liye badhai...
हाँ भाई आप तो सिद्ध!र्थ नगर के हैं, खैर वाकई काफी अच्छी जगह है, आयुष बेटे को मेरा आशीर्वाद पहुंचाएं -
विद्वान बनो
आप मुम्बई में जड़ी बूटियाँ कहाँ खोजेंगे,मुझे बताएं कौन सी चाहिए
ये वर्षा का मौसम तो मुझे खिलखिलाने पर बार-बार मजबूर कर देता है ज्यों ही किसी जड़ी-बूटी के बीज से कोई अकुवा मिट्टी की परतें हटाकर बाहर आता है
सुन्दर रचना है
sunder ehsaaso se bhari khoobsurat abhivyakti.
bahut acha likha hai apne...kher, mera tazurba blog likhne ka itna nahi par...sabdon ka acha racha hai apne iss kavita mein
मेरा हौसला बढ़ाने के लिए शुक्रिया ...आपका ब्लॉग देखा बहुत खुबसूरत पन्तियाँ पढने को मिली
शुक्रिया
bahut sundar kavita likhi hai aapne..
Meri Nai Kavita padne ke liye jaroor aaye..
aapke comments ke intzaar mein...
A Silent Silence : Khaamosh si ik Pyaas
Ajai ji bahut achha likhte hain kora kora kah ke kakori yaad aa gayi bhai wah kya baat kya baat kya baat
bahut khoob ajai ji wah kya baat hai
bahut hi sundar ehsaas..
Meri Nayi Kavita Padne Ke Liye Blog Par Swaagat hai aapka......
A Silent Silence : Ye Paisa..
Banned Area News : Remo does a Vidhu Vinod Chopra, has a run-in with media
mene ek blog banaya h jisme m apni kuch rachnaye or vichar likhe hai plz aap dekh lijiye link h
www.deepti09sharma.blogspot.com
plz ek bar dekh lijiye
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bahut sundar bhai ajayji
स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई....
आपको स्वतन्त्रत्ता दिवस की बधाई ,जय हिन्द .
wah, bandhu
sunder pavas geet,
bhavpoorn rachna.
just beautiful!
ना कोई गम है ना तकदीर में जुदाई है,
हमारे प्यार की सदियों से आशनाई है,
मेरी नज़र में दिल में विश्राम है तेरा,
लिखा हुआ मेरे चेहरे पे नाम है तेरा..!
इस बारिश में , भीग रहा तन ।
आकर छू लो , कोरा है मन ........
bahut sundar!
bahut hi sunder kavita hai..... aur han shayad apki shubhkamnaye kaam kar rahi hain abki baar achhi barish ho rahi hai...... sabake chehre khile-khile hai.
अजय भाई,
कविताओं में शास्त्रीयता हमेशा जरूरी नहीं होती। भाव और संवेदनशीलता पहली शर्त होती है। आप संवेदनशील हैं। आप कविताओं को गुनगुनाने लायक बनाने की कोशिश करते हैं, यह सर्तकता काफी है। वैसे अतुकांत कविताएं अथवा छंद विहीन कविताएं भी भावों को पूरी ताकत के साथ संप्रेषित कर सकती हैं। आपने कभी आजमाया है क्या? मैं पढ़ना चाहूंगा।
केवलकृष्ण, रायपुर
छत्तीसगढ़
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
बस मन भीग गया.........
बहुत सुन्दर
अच्छा लेखन ,बधाई ।
अच्छा लेखन ,बधाई ।
aap kamal likhrte hain aisi rachana padh kar hum jaison ko likhane ki prerna milti hai likhte rahiyega isi bahane hum bhi kuch seekh lenge.....
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