Sunday, May 15, 2011

मेरी पचासवीं पोस्ट,तेरा चेहरा---मेरी चिंता(अजय की गठरी)

                       तेरा चेहरा
                   
तेरा चंदा जैसा चेहरा ,आते जाते लोग न देखें ।
तेरी आँखों में मस्ती है ।
इसमें छबि मेरी बसती है ।
आँखों से दिल को लूटे तूं
आँखों से बातें करती है ॥
इन आँखों का राज ये गहरा ,आते जाते लोग न देखें ॥

तुम बिन सावन सूना मेरा ।
बिन प्रियतम मन लगे ना मेरा ।
उड़े हवायें जुल्फ़ें छूकर ।
जुल्फ़ों में मन भटका मेरा ॥
इन जुल्फ़ों का रंग सुनहरा ,आते जाते लोग न देखें ॥

इस चेहरे को यूं न झुकाओ ।
अपना समझो मत शरमाओ ।
तोड़ के दुनिया की रस्मों को ।
मेरी बाहों में आ जाओ ॥
चेहरे पर ये तिल का पहरा ,आते जाते लोग न देखें ॥
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यह मेरी पचासवीं पोस्ट है , हौसला बढ़ाने के लिये सभी का शुक्रिया ।

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गठरी पर अजय कुमार