Saturday, March 19, 2011

अरे ई होली का है सुरूर----(अजय की गठरी)


अरे ई होली का है सुरूर ।
खा के भांग,नशे में चूर ॥

मनमोहन की बात बतायें ।
मैडम ,मैडम जी मिमयायें ।
होता है नित नया घोटाला
एड़ा बनकर पेड़ा खायें ।
हाथ में एतना ताकत
फिर भी बनते हैं मजबूर ॥
अरे ई होली का है सुरूर ----------

मंहगाई का दानव आया ।
मंत्री ने कारण बतलाया ।
"देश के सभी गरीबों ने भी
जब से अन्न खरीदा खाया ।"
कैटिल क्लास है जनता
ई ट्विटियाये शशि थरूर ॥
अरे ई होली का है सुरूर-----------

आय हाय मोरे ए राजा ।
टू जी ने बजवाया बाजा ।
तभी पकड़ में आये बच्चू
मीडिया ने जब डंडा भांजा ।
संसद से तिहाड़ में आकर
कैसा लगा हुजूर ॥
अरे ई होली का है सुरूर-------

अपनी मांगें यूं मनवाओ ।
ट्रेन रोक दो ,बस को जलाओ ।
बिगड़ेगा कुछ नहीं तुम्हारा
सम्मानित नेता कहलाओ ।
लोकतंत्र में वोट के आगे
शासन है मजबूर ॥
अरे ई होली का है सुरूर------
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सुरक्षित , शांतिपूर्ण और प्यार तथा उमंग में डूबी हुई होली की सतरंगी शुभकामनायें ।

अजय कुमार