क्या बतलायें क्या मिलता है , दिल चोरी हो जाने में ।
और मजा कितना आता है , दिल की बात सुनाने में ॥
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
हाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥
कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
कितनी रातें तारे गिनते गिनते ,काटी जाती हैं ।
दीवाने पागल हो जाते , इश्क में ,इश्क निभाने में ॥
कभी शर्म से , कभी सहम कर , सिमटे टूटे ,बिखर गये ।
जाने कितने ख्वाब अधूरे ,इस बेदर्द जमाने में ॥
मम्मी-पापा मान गये हैं , पंचायत से डरते हैं ।
उनसे क्या उम्मीद , लगे हैं जो सरकार बचाने में ॥
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
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अजय कुमार ( गठरी पर )
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146. लाला लाजपत राय
4 hours ago
64 comments:
behtreen rachna
badhai kabule
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कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
उफ़ क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...
इस बार मेरे नए ब्लॉग पर हैं सुनहरी यादें...
एक छोटा सा प्रयास है उम्मीद है आप जरूर बढ़ावा देंगे...
कृपया जरूर आएँ...
सुनहरी यादें ....
अच्छा सन्देश! अच्छे विचार !
सराहनीय !
आपकी गठरी पहली बार खोली है ..बहुत अच्छा लगा ..बहुत खूब !!
ajay bhayi alfaazon ki itni or itni sundr gthri bhyi vaah bhyi vaah mza aa gya bs is gthri ko pdhte rhne ko ji chahta he . akhtar khan akela kota rajsthan
बेहतरीन प्रस्तुति।
रचना अच्छी है, भाव गहरे हैं..........
बढ़िया प्रयास, हार्दिक बधाई..........
चन्द्र मोहन गुप्त
सुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम.
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत सुन्दर गज़ल .. शानदार
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
...बहुत सुन्दर भावपूर्ण गज़ल ...बधाई..
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत खूब !
बहुत सुन्दर गीत प्रस्तुत किया है । बेहतरीन ।
उम्दा प्रस्तुती ...
बेहतरीन रचना !
बहुत खूब.... सुंदर भाव और प्रभावी प्रस्तुति
बढ़िया भावप्रधान रचना ...
दशहरा पर्व पर हार्दिक शुभकामनाएं ...
मैंने तेरा तुमने मेरा ,छिप छिप कर दीदार किया ।
हाय जवानी बीत रही है ,छिपने और छिपाने में ॥
इस ग़ज़ल का हर शे’र लाजवाब है। मैं तो दो बार गा चुका हूं।
पहले पहले और ताज़े ताज़े इश्क़ की पूरी तस्वीर सामने रख दी है आपने.. अजय जी! हर शेर लाजवाब!!
behtreen rachna
इसे गुनगुना कर देखा सर जी.. मंच पर पढेंगे तो शर्तिया धमाल मचा देंगे...
दीपक की बात --सोलह आने सच...
क्या जीवन का अंत हो गया एक सपना टूट जाने में ...
बिलकुल नहीं ...
अच्छी कविता ...!
अच्छी ग़ज़ल है आपकी.
आपकी ग़ज़ल के तारतम्य में ये भी कहूँगा की:-
अपनी रचनाओं पर मैंने पढ़ीं आपकी टिप्पणियाँ,
मुझको भी अच्छा लगता है अन्य ब्लॉग पर जाने में.
मिलते रहेंगे.
कुँवर कुसुमेश
ब्लॉग:kunwarkusumesh.blogspot.com
मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
अच्छा लगा ..बहुत खूब !
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
आज तो इस रचना मे पूरी ज़िन्दगी उतार कर रख दी……………लयबद्ध है तो सच गुनगुनाने मे तो बहुत ही बढिया लगेगी।
beautiful...!
अति उत्तम अजय जी
बेहतरीन रचना. चंद पंक्तियों में अपने कितनी भावनाएं समेट दी हैं. लाजवाब.......
मम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
उनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !
बहुत खूब...........सुन्दर रचना !
कितने लम्हे बीत गए हैं........सुन्दर रचना !
अच्छी है जी।
जिनके दामन में खुशियां हैं कैसे उनको समझाएं
कितना दर्द छिपाना पड़ता है एक तबस्सुम लाने में
बेहतरीन पंक्तियां हैं....
Bahut hi payara likha hai......
manna padega,,,dil se kalam se likhi baat hi bahut pyaari hoti hai...
हर एक शेर दिल को छू गया।
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
वाह कमाल का शेर है। बधाई सुन्दर गज़ल के लिये।
बेहतरीन प्रस्तुति.
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बेहतरीन ग़ज़ल!
जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
जब भी आप लिखते है,कमाल का लिखते है……
आपकी गठरी तो बहुत काम की है।
जीवन का ख़ात्मा चंद सपने टूट जाने से नहीं होता,यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है ! बढ़िया प्रस्तुति !
ajay ji
vastav me aapki gathari to bhanumati ka pitara hai.behatreen gazal.
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्दजिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥ छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में
bahut bahut achhi lagi aapki gazal
poonam
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुति..आपकी रचना का जादू है ये...
इधर भी पधारें
धर्म, अंधविश्वास या बेवकूफी
waoooo...bahot khub...bahot sundar rachna...
क्या जीवन का अंत हो गया ? कुछ सपने यदि टूट गये ।
जीवन व्यर्थ गंवा मत देना , यूं ही अश्क बहाने में ॥
shandaar, bas yahi shabd mere mann me aa raha hai.......:)
जिनके दामन में खुशियां हैं ,कैसे उनको समझायें ।
कितना दर्द छिपाना पड़ता , एक तबस्सुम लाने में ॥
बहुत सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति...
कितने लम्हें बीत गये हैं , कितने लम्हे बीतेंगे ।
कितने लम्हों की देरी है और तुम्हारे आने में ॥
इन पंक्तियों ने बेहद प्रभावित किया.....शानदार भावाभिव्यक्ति
बधाई स्वीकार करें.....
nice
vandana
bhai ajayji vakai ek behtaren gazal padhkar dil khush ho gaya
bahut hi sundar rachna
सुंदर प्रस्तुतिकरण शब्द चयन भावों को सजीव करने में सक्षम
वाह ... बहुत ही कमाल लिखा है ... प्रेम की सरल सी बतियां ... कहीं हल्का सा व्यंग ... पर प्रेम को समर्पित लाजवाब रचना .,..
इतना तो तय है, अजय भाई कि आपने इस ग़ज़ल में बह्र की प्रवहमानता का पूरा ख़्याल रखा है...कहीं कोई झोल नहीं। भाव भी सुन्दर!
bahut sundar dohe bhai ajay ji badhai
लाजवाब रचना !
खूबसूरत गज़ल ..
बहुत खूब । एक बार पढ कर तो मन ही नही भरा । कई बार पदी । धन्यवाद
vah kya kvita hai, kitana achchha shabd vinyas hai. suchmuch maja aa gaya.
मम्मी पापा मान गए हैं पंचायत से डरते हैं,
उनसे क्या उम्मीद लगे हैं जो सरकार बचाने में !
क्या बेहतरीन कविता लिखी है मज़ा आ गया...
wallah... kya baat hai sir
आनर किलिंग पर शानदार कविता ,सटीक बातें कही हैं .
आप सब को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
हम आप सब के मानसिक -शारीरिक स्वास्थ्य की खुशहाली की कामना करते हैं.
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मुझसे कोई बात नहीं की ,झलक दिखाकर चले गये ।
तन्हां रातें बीत रही हैं , घायल दिल सहलाने में ॥
Lovely couplets !
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AJAY JEE AAPNE BAHUT ACHCHA LIKHA HAI...
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