Sunday, October 9, 2011

इजहार-ए-इश्क तुमसे क्यूं कर न सके हम (अजय की गठरी)

तुम बिन तुम्हारी याद में ,पीते हैं सदा गम ।
इजहार-ए-इश्क तुमसे ,क्यूं कर न सके हम ॥


जब हो न सके मुझको ,दीदार तुम्हारा ।
दिन भर तेरी तस्वीर का करते हैं नजारा ।
रातों को तेरी याद में , जलते हैं सदा हम ॥


आँखों से छलकते हैं तेरे ,जाम के प्याले ।
चेहरे की चमक से तेरे , फैले हैं उजाले ।
है ताज भी कुछ ऐसा ,यही सोचते हैं हम ॥


होंठों पे तबस्सुम है या , बिजली की चमक है ।
सांसें हैं या ,सावन के हवाओं की महक है ।
दिल चाहता है तुम पे , निसारूं कई जनम ॥


ज़ुल्फें बिखेर दी तो , घटा ऐसी छा गई ।
ये मन मयूर समझा कि , बरसात आ गई।
दिल नाचने लगा है , आ जाओ ऐ सनम ॥


तारों की कसम मैंने , तुम्हें प्यार किया है ।
मैंनें तो तुम्हें कत्ल का ,अधिकार दिया है ।
जां निकले तेरी बांह में , ये चाहते हैं हम ॥ 
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गठरी पर अजय कुमार
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26 comments:

रविकर said...

बहुत बढ़िया ||
बधाई ||

महेन्‍द्र वर्मा said...

शब्दों और भावों का सुंदर तालमेल।
बढि़या गीत।

महेन्‍द्र वर्मा said...

शब्दों और भावों का सुंदर तालमेल।
बढि़या गीत।

Atul Shrivastava said...

गहरे भाव।
सुंदर प्रस्‍तुति।

हास्य-व्यंग्य का रंग गोपाल तिवारी के संग said...

kya khoob likha hai aapne

vandana gupta said...

्वाह बहुत सुन्दर भाव संजोये हैं।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

एक व्यथित ह्रदय प्रेमी की ह्रदय से निकला अद्भुत गीत... शब्द और अभिव्यक्ति इस तरह पिरोई गयी है कि बस अपनी सी लगती है!!

संतोष त्रिवेदी said...

प्यार मे इतना भी गमगीन न हो जाओ कि गुम हो जाओ !

Unknown said...

प्रभावशाली प्रस्तुति

डॉ टी एस दराल said...

बहुत सुन्दर गीत है ।

मनोज कुमार said...

मन के भावों की आपने एक बेहतरीन अभिव्यक्ति दी है इस नज़्म में।

Pratik Maheshwari said...

मन के भाव शब्दों के साथ.. बेहतरीन!

सदा said...

वाह ..बहुत ही बढि़या ।

Arvind Mishra said...

तनहाई और विरह की एक यादगार अनुभूति और अभिव्यक्ति !

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण...

kanu..... said...

बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति

Maheshwari kaneri said...

गहन भावो के साथ सुन्दर रचना...

निवेदिता श्रीवास्तव said...

शब्दों और भावों का सुंदर तालमेल.......

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

मोहब्बत की इंतिहा.सारी कायनात में महबूब ही नज़र आ रहा है फिर भी मोहब्बत का इजहार नहीं कर पाना -संस्कारों की गठरी और प्रेम में शिष्टता का सुंदर समन्वय.

Urmi said...

बहुत बढ़िया लगा! बेहद ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना ! शानदार प्रस्तुती!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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shikha varshney said...

भावों का सुन्दर गठरी है.

रजनीश तिवारी said...

सुंदर गीत ...आभार

दिगम्बर नासवा said...

वाह ... प्रेम की गहरी अभिव्यक्ति ... लाजवाब गीत है ....

रविकर said...

रचना चर्चा-मंच पर, शोभित सब उत्कृष्ट |
संग में परिचय-श्रृंखला, करती हैं आकृष्ट |

FRIDAY

Charcha-Manch

Urmi said...

आपको एवं आपके परिवार के सभी सदस्य को दिवाली की हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
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लोकेन्द्र सिंह said...

बहुत ही सुन्दर....
आपको दीपोत्सव की शुभकामनाएं