Saturday, December 21, 2013

चंद कमरों का था ये मकां,आपने इसको घर कर दिया ----(अजय की गठरी )

                   (६९ )
सुबह मिलना था पर आपने,आज फिर दोपहर कर दिया |
चंद कमरों का था ये मकां,आपने इसको घर कर दिया ||

हुस्न से अपने थी बेखबर 
जब जवानी की आहट हुई
खुशबू ऐसी बदन से उठी 
शहर को बाखबर कर दिया ||

उनके गर्दन से लिपटा था जो  
एक झोंके से लहरा गया 
वो दुपट्टा उन्होंने तो बस 
यूँ इधर का उधर कर दिया ||

कल मिलेंगे यहीं इस समय 
कह के जाने लगे जब वो घर |
उसने बाहों में भर के उन्हें 
गीला गीला अधर कर दिया ||

देखो कितना वफादार है 
दुम हिलाये करे कूँ कूँ कूँ |
एक शादी ने इंसान को 
पालतू जानवर कर दिया ||

बिन तुम्हारे मैं ढोता रहा 
जिन्दगी का ये मुश्किल सफ़र |
साथ जब तुम मेरे आ गए 
कितना आसां सफर कर दिया ||

सिर्फ फांसी है उनकी सजा 
पैसा जिनके लिए है खुदा |
इन हवाओं में घोला जहर 
थालियों में जहर भर दिया ||

राह दिखलाते हैं अब हमें 
दलाल ,बेईमान ,तस्कर ,डकैत |
खादी में जादुई है असर 
लुच्चों को मान्यवर कर दिया ||
**************************************************************
 गठरी पर अजय कुमार
*************************************************************
 

6 comments:

वाणी गीत said...

रोमांटिक शायरी आखिर के शे'रों में व्यंग्य , रोष में तब्दील हुई।

kuldeep thakur said...

आप की ये सुंदर रचना आने वाले सौमवार यानी 23/12/2013 को नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है... आप भी इस हलचल में सादर आमंत्रित है...
सूचनार्थ।


एक मंच[mailing list] के बारे में---
एक मंच हिंदी भाषी तथा हिंदी से प्यार करने वाले सभी लोगों की ज़रूरतों पूरा करने के लिये हिंदी भाषा , साहित्य, चर्चा तथा काव्य आदी को समर्पित एक संयुक्त मंच है
इस मंच का आरंभ निश्चित रूप से व्यवस्थित और ईमानदारी पूर्वक किया गया है
उद्देश्य:
सभी हिंदी प्रेमियों को एकमंच पर लाना।
वेब जगत में हिंदी भाषा, हिंदी साहित्य को सशक्त करना
भारत व विश्व में हिंदी से सम्बन्धी गतिविधियों पर नज़र रखना और पाठकों को उनसे अवगत करते रहना.
हिंदी व देवनागरी के क्षेत्र में होने वाली खोज, अनुसन्धान इत्यादि के बारे मेंहिंदी प्रेमियों को अवगत करना.
हिंदी साहितिक सामग्री का आदान प्रदान करना।
अतः हम कह सकते हैं कि एकमंच बनाने का मुख्य उदेश्य हिंदी के साहित्यकारों व हिंदी से प्रेम करने वालों को एक ऐसा मंच प्रदान करना है जहां उनकी लगभग सभी आवश्यक्ताएं पूरी हो सकें।
एकमंच हम सब हिंदी प्रेमियों का साझा मंच है। आप को केवल इस समुह कीअपनी किसी भी ईमेल द्वारा सदस्यता लेनी है। उसके बाद सभी सदस्यों के संदेश या रचनाएं आप के ईमेल इनबौक्स में प्राप्त करेंगे। आप इस मंच पर अपनी भाषा में विचारों का आदान-प्रदान कर सकेंगे।
कोई भी सदस्य इस समूह को सबस्कराइब कर सकता है। सबस्कराइब के लिये
http://groups.google.com/group/ekmanch
यहां पर जाएं। या
ekmanch+subscribe@googlegroups.com
पर मेल भेजें।


चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

कमाल का रूमानी गीत है... इसे पढ़ते हुये बस गुंगुनाने को जी चाह रहा है!!

मेरा मन पंछी सा said...

बहुत खूब गजल .....
हर शेर बेहतरीन ...
वाह ...
:-)

दिगम्बर नासवा said...

रोमानी अंदाज़ ले लिखा ... सच के करीब जाता गीत ...

Onkar said...

सुन्दर ग़ज़ल