Sunday, March 12, 2017

75-चुनाव यू पी का --मिजाज होली का (अजय की गठरी)

तो भईये किस्सा ये है कि दिल्ली के एक लड़के को उसकी मां ने साईकिल चलाने से मना कर दिया क्योंकी उसका पंजा कमजोर था और वो अपने कुर्ते की जेब भी फाड़ लिया करता था. हां उसे साईकिल पे बैठने की इजाजत थी. UP के एक लड़के को उसका बाप सायकिल चलाना सिखा रहा था... पीछे से कैरियर पकड़ के. एक दिन उसने बाप का हाथ झटका और साईकिल दौड़ा दिया, पकड़ने आये चाचा को दांत काट लिया और भाग गया. रास्ते में उसे दिल्ली का लड़का मिला उसने उसे बैठा लिया. रास्ते में एक हाथी भी जा रहा था जिस पे बहुत से लोग चढ़ उतर रहे थे.
दोनों हाथी देखकर खुश हुएे और ताली बजाई, तभी उनके कान में आवाज आयी -"मितरों... कहां जा रहे हो" ऊन्हों ने उसकी तरफ देखा लेकिन सायकिल डगमगा गयी.. हड़बड़ी में दोनों ने हाथी की पूँछ पकड़नी चाही लेकिन हाथी अनियंत्रित था क्यों कि महावत चढ़ उतर रही सवारियों को adjust करने में मशगूल थी. आगे किसी अधूरे project के लिये खुदा हुआ गड्ढा था... डगमगाई सायकिल और अनियंत्रित हाथी उसी में गिर गये, बिना मौसम की बरसात हुई थी गड्ढे में भरपूर पानी था... कमल खिला था.
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गठरी पर अजय कुमार
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