त्योहारों का मौसम चल रहा है , इसका लुत्फ़ उठाएं ! नवरात्री समाप्त होने को है,दशहरा आने वाला है
सब तरफ़ गरबा और डांडिया की धूम है ! अभी अभी रमजान का पवित्र महीना समाप्त हुआ है ,
ईद की सेवईं हम खा चुके ! अब दीपावली का धमाल होगा ! कुल मिलकर ये की चारो तरफ़ मस्ती ही मस्ती !
पर ऐसे समय हमारी जिम्मेदारी है की बच्चों को इनका महत्व समझाएं ! सामाजिक सौहार्द और भाईचारा
बनाये रखने का माध्यम त्यौहार ही तो हैं !
पुराने ज़माने में जब शिक्षा का प्रतिशत बहुत कम था , उस समय हमारे पूर्वजों ने समाज को एक सूत्र में बांधने
के लिए इस तरह की बहुत सी परम्पराएँ शुरू की , जिनका धार्मिक और सामाजिक, दोनों महत्व था !
कितने भले और बुद्धिमान थे हमारे पूर्वज !
हे माँ शक्ति , दुर्गा माता , दुष्टों का संहार करो माँ
सबके मन का राछस मारो,
सबके दिल में प्यार भरो माँ !!
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
21 hours ago
7 comments:
aaj bhi ye tyohar hame ek dusre se milne ka mauka dete hain...warna jeevan ki aapadhaapi me kiske paas waqt hai...rasm hi sahi..ek dusre se milte hain,achhaa khna banate hain..har ki saaf safaai karte hain...
बिल्कुल सही लिखा है आपने अजय भाई,इन त्यौहारों से ही तो लोगों को एक दूसरे के बारे में जानने का मौका मिलता है...पर अब हम आपकी गठरी को ब्लॉगवाणी पर नहीं देख पायेंगे....समझ में नहीं आ रहा कि आखिर उन्हें क्यौं बन्द करना पडा...शायद ब्लॉगवाणी कुछ दिनों में हम फिर से देख पायेंगे ऐसी उम्मीद तो कर ही सकते हैं....
चिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. सार्थक लेखन के लिए धन्यवाद.
जारी रहें. शुभकामनाएं.
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समाज और देश के ज्वलंत मुद्दों पर अपनी राय रखने के लिए व बहस में शामिल होने के लिए भाग लीजिये व लेखक / लेखिका के रूप में ज्वाइन [उल्टा तीर] - होने वाली एक क्रान्ति!
त्यौहार ही तो जिवन को आनंदमय बनाती है इसलिए यह बहुत जरूरी उपकरण है.
बहुत बड़िया
बढ़िया है भाई
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
"सामाजिक सौहार्द और भाईचारा
बनाये रखने का माध्यम त्यौहार ही तो हैं !"
बिल्कुल सही कहा है अपने
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