उम्मीदों भरा क्या नया साल होगा ?
हर देशवासी क्या खुशहाल होगा ?
सभी को सुबह शाम रोटी मिलेगी
या मंहगाई का फिर महाजाल होगा ?
क्या अपराधियों की भी आयेगी शामत
या फिर पहुंच का उन्हें ढ़ाल होगा ?
करेगा दलाली वो काटेगा चाँदी
जो खेती करेगा क्या बदहाल होगा ?
मेरे देशवासी क्या सोयेंगे भूखे
कसाबों की थाली में तरमाल होगा ?
समझ लो नया साल अच्छा ही होगा
अब क्या इससे ज्यादा बुरा हाल होगा ?
151. क्रांतिकारी उग्रपंथ का आरंभ
2 hours ago
41 comments:
.....अब इससे भी ज्यादा क्या बुरा हाल होगा....
बहुत खूब, जो हो रहा है उससे बुरा और क्या हो सकता है ? बहुत सुन्दर भाव अजीत जी, नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को !
करेगा दलाली वो काटेगा चाँदी
जो खेती करेगा क्या बदहाल होगा ..
नये साल का अंत जबरदस्त कटाक्ष से किया है ..... सच में बहुत बुरा हाल है आज ........... लाजवाब व्यंग है ......
आपको और आपके पूरे परिवार को नये साल की बहुत बहुत शुभकामनाएँ ........
अजय जी आप का ये तराना एक बेहद सजीव "तराना" होने के साथ साथ एक संजीदा सवाल है माननीय मनमोहन सिंह ,सोनिजा जी और उनका भोंदू बेटे के नाम !
नये साल की आप को हर्दिक शुभकामनाये ऐसे ही
पूरे साल लिखते रहे
समझ लो नया साल अच्छा ही होगा
अब क्या इससे ज्यादा बुरा हाल होगा ?
सच कहा, अब तो जो होगा , अच्छा ही होगा।
आशा वादी रचना के लिए बधाई,अजय कुमार जी ।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
लोकतंत्र की बिगड़ी ऐसी चाल है
ईमानदार मेहनती जनता फटेहाल है।
चोर पुलिस नेता की तिकरी कमाल है
राजनीति जैसे लुटेरों का मायाजाल है।
Yah to puraani baat ho gayi.
समझ लो नया साल अच्छा ही होगा
अब क्या इससे ज्यादा बुरा हाल होगा ?
AAP SAHI FARMA RAHE HAIN.
आपको नूतन वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं.
- सुलभ जायसवाल सतरंगी
nav varsh ki shubhkamnayen....befikar rahe naya saal achha hi hoga ! saari ladaiyan to shayad khatam nahi ho jayengi par kuchh aur kadam to nishchit tor par hum aage badenge !
बहुत अच्छे भाव लिए है कविता |इस कदर असमानता बढती जा रही है हमारे देश में कही तो बड़ी बड़ी पार्टी आयोजित कि रही है ढेरो पकवानों और नाच गानों के साथ और कही दाल रोटी कि जुगाड़ भी मुश्किल हो रही है इस नये साल के आगमन में |कितु हम भी खाली संवेदना ही प्रकट कर सकते अपने स्तर पर |या इन पार्टियों का बहिष्कार |
सूरज तो सबको बराबर रौशनी देता है फिर कही अँधेरा कही उजाला क्यों ?
आने वाला साल इससे बेहतर हो यही कामना करते हैं, अपने लिए भी और आपके लिए भी।
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पुरूषों के श्रेष्ठता के जींस-शंकाएं और जवाब।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
अच्छा कटाक्ष है.....सुन्दर अभिव्यक्ति
सच में बहुत बुरा हाल है आज ...नये साल की आप को हर्दिक शुभकामनाये...
एक बहुत ही अच्छी रचना के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
नववर्ष आपके और आपके समस्त परिवार के लिए मंगलमय हो ..
उम्मीद पर ही तो दुनिया कायम है। नववर्ष की शुभकामनाएं॥
उम्मीद रखें और क्या .. आपके और आपके परिवार के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
NA BURA HAAL HOGA
SAB KO BHAR PAIT ROTI AUR SAAG HOGA
MEHNAT KASH INSAAN NA BHUKHA SOYEGA
CHOR-UCCHAKKA HI CHAKKI PISEGA.
UMEEDO KI DUNIYA HAI BADI NIRALI
SAB KO MILE KHUSH-HALI MERI DUA HO JAYE PURI..
AJAY JI AAPNE BAHUT ACCHHI RACHNA LIKHI. BADHAYI.
कटाक्ष है सीधा ये तराना!!
वर्ष २०१० मे हर माह एक नया हिंदी चिट्ठा किसी नए व्यक्ति से भी शुरू करवाने का संकल्प लें और हिंदी चिट्ठों की संख्या बढ़ाने और विविधता प्रदान करने में योगदान करें।
- यही हिंदी चिट्ठाजगत और हिन्दी की सच्ची सेवा है।-
नववर्ष की बहुत बधाई एवं अनेक शुभकामनाएँ!
समीर लाल
उड़न तश्तरी
नया साल मंगलमय हो ... 2010 हंसी और हंसी-ख़ुशी से भरा रहे !!!!
इस खुबसूरत रचना के लिए बहुत बहुत आभार
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ................
समझ लो नया साल अच्छा ही होगा
अब क्या इससे ज्यादा बुरा हाल होगा ?
सुन्दर अभिव्यक्ति.....
नव वर्ष की मंगल कामनाओं के साथ आपके लेखन को भी शुभ कामनाएं......
bahut umda..n happy new year!
समझना आसान है
मगर जनता की याददाश्त बहुत कम होती है
इससे बुरा और बुरा भी हो सकता है नया साल
मगर हम क्यों करें बवाल
इतना ही कहेंगे
नव वर्ष मंगलमय हो..
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति, नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ्ा बधाई ।
lagta to nahin kuchh badalne wala hai. nav varsh ki badhaai.
सभी को सुबह शाम रोटी मिलेगी
यही उम्मीद करते है
नया साल मंगलमय हो
Nav Varsh 2010 aapke aur aapke pariwar ke liye sukh, shanti, smridhi aur safalta lekar aaye. Ishwar aapki har manokamna purn kare aapka jiwan sukhmay ho. navvarsh mangalmay ho.
एक बहुत प्यारी अभिव्यक्ति कम शब्दों में एक अच्छा बधाई सन्देश
रचना पढने के बाद इस बात का यकीन हो गया कि देश में युवा वर्ग की निगाह अब ज्वलंत मुद्दों पर तीखी हो चुकी है और उसे रोमांस या थोथी देश भक्ति वाले गीतों के झुनझुने से बहलाया नहीं जा सकता. इस रचना और तुम्हारे विचारों की तारीफ के लिए मेरे पास शब्द कम हैं, केवल इतना ही कहूँगा--बहुत खूब.
बहुत बढिया सामयिक रचना है।बधाई।
बहुत सही प्रश्न उठाए हैं....लेकिन देश की वर्तमान राजनिति करने वालों से कोई उम्मीद नजर नही आती।
उम्मीदों भरा क्या नया साल होगा ?
हर देशवासी क्या खुशहाल होगा ?
सभी को सुबह शाम रोटी मिलेगी
या मंहगाई का फिर महाजाल होगा ?
अजय जी
अच्छी रचना......
अपनी ग़ज़ल में क्या खूब सवाल आपने उठाये हैं.........बिलकुल वजा फ़रमाया आपने...जब तक आदमी भूखा है...क्या नया क्या पुराना साल......
...... नव वर्ष 2010 की हार्दिक शुभकामनायें.....!
ईश्वर से कामना है कि यह वर्ष आपके सुख और समृद्धि को और ऊँचाई प्रदान करे.
सही कहा आपने..
बहुत ही सही प्रश्न .......
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामना !!
खूब लिखा ....कहाँ नसीब होता है पेटभर खाना
महगाई बढती जाएगी दो की जगह एक रोटी से काम चलाना होगा
इसी तरह चलता रहे गा ....दिन ब-दिन यह घटता जाएगा
कुछ ठीक करने के लिए ....आबादी पे पाबंदी लगानी होगी
और खेल -खेल में नहीं होगा ....कुछ तो जबरदस्त करना होगा ।
naya saal itne zabardast tarike se shuru hoga is ki mujhe aasha nahin thi ajai ji khoob likha aapne par is bhook ka kaya kareen amiroon aur ministeroon ki bhook toh khatam hone ka naam hi nahin le rahin toh garib ka number kab aayega
Dil se pasand aai aapki ..predadai rachna..badhai.
आपकी टिप्पणी हेतु धन्यवाद्। आपके सुझाव पर पूर्णतः अमल होगा एवं आपकी गठरी से इसकी शुरुवात करने का अवसर भी प्राप्त हो रहा है। नव वर्ष कि शुभकामनाओं के साथ आपसे आज्ञा लूँगा।
बड़े ही सरल शब्दों में आपने नव वर्ष की इस रचना को गूंथा है। ढेरों शुभकामनाएं।
sahi kaha hai jo haal ab hai usse bura or kya hoga bahut khoob likha wah wah ... nav varsh ki shubhkaamnaye
जरूर अच्छा होगा अजीत जी, भरोसा रखिये. उम्मीद पर दुनियां कायम है. बुरा है तो भला भी जरूर ही होगा, रात है तो सुबह भी जरूर ही होगी. परछाई आप से अधिक लम्बी हो जाए तो जान लीजिये, शीतल शाम आने वाली है. नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाये, आपको और आपके समस्त पारिवारिक जनो को भी !
देश के वर्तमान हालात कितने नाजुक हैं,अजयजी की ये पंक्तियां दर्शाती हैं-
समझ लो अच्छा ही नया साल होगा,
इससे ज्यादा और क्या बुरा हाल होगा?
कसाब की थाली में तर माल होगा,नाकारा सरकार के गाल पर थप्पड है।
करेगा दलाली वो काटेगा चाँदी
जो खेती करेगा क्या बदहाल होगा ?
क्या बात है साहब हम तो इसे कहते हैं काव्य . जिसमे समाज दिखे आप ने मेरे ब्लॉग को सराहा आप का शुक्रिया!
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