हांड़ तोड़ सर्दी------
कड़क सर्दी के मौसम में,
बदन अपना कंपा इतना ,
खुदा आकर के ख़ुद पूंछे,
रजाई- गद्दा भेजूं क्या ?
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सर्दी मुबारक
अजय कुमार (गठरी पर )
नोट- पूर्व में ’सस्ते शेर ’ब्लाग पर प्रकाशित हो चुका है , फिर से झेलिये ।
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
15 hours ago
21 comments:
बहुत सुन्दर सामयिक ...वाह
सच मे खुदा को अब तक पूछ लेना चाहिये था। अच्छा विचार है। शुभकामनायें।
:)खूब
हा हा हा ! सचमच इतनी ही ठण्ड है ।
स्लाइड प्रेसेन्टेशन बढ़िया लगा ।
बहुत बढ़िया. आपको भी ठण्ड मुबारक.स्लाइड शो काफी बढ़िया है. ठंडी में रजाई में बैठे-बैठे यहाँ भी आयें-
http://mkhomevideo.blogspot.com
bahut khub
is bar mere blog par
"main"
ख़ुदा भी आसमाँ से जब ज़मीं पर देखता होगा,
बनाई ठण्ड इतनी सर्द क्यूँ ये सोचता होगा!
वाह वाह........
:)
Happy winters !
बहुत बढ़िया| आपको भी ठण्ड मुबारक|
ha-ha
हा हा ... ठण्ड सच में ज्यादा है ...
यह वाकई सस्ता है यार ...बोर कर दिया :-))
sher se jyada maja chitr me aaya
sundar
बहुत खूब ....।
शेर ने सर्दी के ठिठुरन का अहसास करा दिया !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
:) :)
kya sardi hai
मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........
उम्दा ख़लाल,
पड़कर गरमाहट महसूस होने लगी।
ऊफ क्या सर्दी है जनाब......
good blog
Music Bol
Lyrics Mantra
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