सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥
लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ॥
इक दूजे पर अपना सारा प्यार लुटा दें ।
कभी तनिक बिंदास, कभी कुछ सहमी सहमी ॥
चलो आज आओ मेरा अन्तर्मन छू लो ।
छूने में कुछ कोमलता हो कुछ बेरहमी ॥
लब खोलो , कुछ बोलो मुझसे आँख मिलाकर ।
पिघला डालो बर्फ , भरो रिश्तों में गरमी ॥
149. बंगाल में स्वदेशी आन्दोलन
5 hours ago
49 comments:
इस सर्दी में भी गज़ब की गर्मी है....!!!!
Very nice. In this chilling cold, how much one need the warmth of love and relation, you showed it very well, may the warmth of love break the iceburg of the dieing relations.
-Dheeraj'
बहुत खूब की बेशर्मी ..इतनी खूबसूरत
पहली बार देखी .....
अंदाज कैसा हो ...रस होना चहिये .....
भर पूर है
वाह-वाह अजय कुमार जी बहुत खूब - लाजवाब. किस-किस की तारीफ़ करें, पाँचों एक से बढ़कर एक. शर्म-बेशर्मी, महक-नरमी, बिंदास-सहमी, कोमलता-बेरहमी और बर्फ-गर्मी सभी कुछ तो है - बधाई इस शानदार प्रस्तुति के लिए.
बहुत खूब अजय जी , सही मौका चुना आपने भी रचना गड़ने का :)
लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ..
तिठुरती हुई सर्दी में सच में गर्मी आ जाए ........ मौसम के अंदाज़ से लिखी पर भावनाओं को मिला कर प्रस्तुत करी ये रचना ....... बहुत खूब अजय जी ........
मुम्बई की गरमी मे भी आप सरदी का आन्नद ले रहे है साथी उत्तम रचना है
बहुत खूब, सर्दी में गर्मी की एक अच्छी रचना.
चलो आज आओ मेरा अन्तर्मन छू लो ।
छूने में कुछ कोमलता हो कुछ बेरहमी ॥
भाई ये अंदाज़ तो निराला है।
ये हुआ न सर्दी में भी गर्मी का अहसास।
सुन्दर।
kya baat hai !!! sach mein sardi mein garmi ka ahesaas dila diya aapne
Mumbai me sardi kahan se aa gai Ajay Sir :) ... sundar rachna..
Jai Hind...
wah bindas bol ke saath shaleenta bhari rachna, achchi lagi.
शानदार...बहुत खूब!!
वाह अजय भाई वाह , गजब की खूबसूरती ,उर्जा और उष्मा के साथ । मजा आ गया
अजय कुमार झा
कितनी खूबसूरती से बेशर्मी को भी खूबसूरत बना दिया सही मे लाजवाब प्रस्तुति है बधाई
अच्छा लिखा है आपने शुक्रिया
सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥
इस शेर में नमक का प्रयोग अनूठा है....कविता में लय का थोडा ध्यान रखा होता तो कविता की खूबसूरती और बढ़ जाती!
बेहतरीन रचना, शब्दों का चयन अनुपम ।
अजय जी
बहुत खूब
लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ॥
जोरदार रचना के लिए
बधाई ...........
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
Saare ashar gazab hain!
last lines r amazing sir
vah sardi k mahol ko garam kar gayi aapki gazel...bahut khoob...khuda kare ki aapka intzar jaldi khatm ho.
बहुत बढ़िया साहब .... मै आपके हिंदी के प्रति सम्मान और किये गए प्रोत्साहन की प्रशंसा करता हूँ . और हिंदी के प्रचार और प्रस्सर के लिए आपका सहयोग देने का आश्वासन दिलाता हूँ ....
khul gayi "gathari" to kaisi sardi,
bahut khoob ajay saahab.....
khul gayi "gathari" to kaisi sardi,
bahut khoob ajay saahab.....
बहुत अच्छा.....सर्दी मे भी गर्मी का अहसास.
krantidut.blogspot.com
sampoorn rachna sarahneey. Badhai!!
kohre aur sheet lehar mein garma garm gazal... achha likhte hain aap ! kuch rachnaayein pehli bhi padhi hain...
दिल कड के ले गए जी...बहुत खूब
आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने!
बहुत सुन्दर रचना ...
Sanvedanao ki bahut hi uttam abhivyakti hai...!!
achcha likha hai.
सर्दी में भी गर्मी का अहसास....
बहुत ही रसमय प्रणय अनुनय । पढ कर मज़ा आगया । सरदी में भी गरमी का अहसास कराने वाली रचना, मुझे ये गर्मी क्यूं लग रही है ?
अभी अभी श्याम सखा श्याम के ब्लॉग पर एक कहानी पढ़ी ये शेर उसका ही एक हिस्सा लग रहे हैं। अजय जी आप भी वो कहानी पढ़ें, शायद आपको भी ऐसा ही महसूस हो।
@ Rajey Sha
आप लिंक देते तो आसान होता । आप शायद ’एनकाउंटर ’कहानी की बात कर रहे हैं , अभी अभी पढ़ा । उसमें बहुत दिनों के बाद मिलन होता है । यहां पुकार है
सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥
आहा.................क्या नमक का प्रयोग कर ग़ज़ल नमकीन कर डाली.......!
नए प्रोयोगों के लिए बधाई.
अजय जी,
बहुत ही सुन्दर गजल है आपकी---
पूनम
सुन्दर गजल।
Bahut sunder abhivykti.........
Bahut sunder bhav...............
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......
आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!
अद्भुत, कमाल! और क्या कहूं. आपने चौंका दिया. इतनी सुंदर प्रेम रचना! आपकी लेखनी प्रगति के पथ पर अग्रसर है. मेरी कामना है ऐसे ही विकसित, पुष्पित, पल्लवित होते रहें.
'सहमी- सहमी'वाली पंक्तियों को फिर ध्यान दीजियेगा.
वाह! क्या बात है.
अजय जी ,इतना सुंदर लिखा है ,किन शब्दों से
आप की तारीफ करूं ....जो भी लिखा है सब सच
लिखा है .....
Wah! bahut bebak swar tha yeh. Yeh tha dil se nikla aur dil ko chchoota! Nothing superficial! Especially " namak si besharmi" is beautiful expression!
good one!
खूबसूरत...........
बहुत ही सुन्दर रचना|
मुझे आपकी लेखन-शैली काफी प्रभावित करती हैं| कहीं-न-कहीं मैं भी ऐसा लिखने की कोशिश करता रहता हूँ | :-)
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