Monday, January 18, 2010

सर्दी में तुम आ जाओ---

सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥

लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ॥

इक दूजे पर अपना सारा प्यार लुटा दें ।
कभी तनिक बिंदास, कभी कुछ सहमी सहमी ॥

चलो आज आओ मेरा अन्तर्मन छू लो ।
छूने में कुछ कोमलता हो कुछ बेरहमी ॥

लब खोलो , कुछ बोलो मुझसे आँख मिलाकर ।
पिघला डालो बर्फ , भरो रिश्तों में गरमी ॥

49 comments:

VIMAL VERMA said...

इस सर्दी में भी गज़ब की गर्मी है....!!!!

Dhairya said...

Very nice. In this chilling cold, how much one need the warmth of love and relation, you showed it very well, may the warmth of love break the iceburg of the dieing relations.

-Dheeraj'

भंगार said...

बहुत खूब की बेशर्मी ..इतनी खूबसूरत
पहली बार देखी .....
अंदाज कैसा हो ...रस होना चहिये .....
भर पूर है

Anonymous said...

वाह-वाह अजय कुमार जी बहुत खूब - लाजवाब. किस-किस की तारीफ़ करें, पाँचों एक से बढ़कर एक. शर्म-बेशर्मी, महक-नरमी, बिंदास-सहमी, कोमलता-बेरहमी और बर्फ-गर्मी सभी कुछ तो है - बधाई इस शानदार प्रस्तुति के लिए.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब अजय जी , सही मौका चुना आपने भी रचना गड़ने का :)

दिगम्बर नासवा said...

लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ..

तिठुरती हुई सर्दी में सच में गर्मी आ जाए ........ मौसम के अंदाज़ से लिखी पर भावनाओं को मिला कर प्रस्तुत करी ये रचना ....... बहुत खूब अजय जी ........

Unknown said...

मुम्बई की गरमी मे भी आप सरदी का आन्नद ले रहे है साथी उत्तम रचना है

dipayan said...

बहुत खूब, सर्दी में गर्मी की एक अच्छी रचना.

डॉ टी एस दराल said...

चलो आज आओ मेरा अन्तर्मन छू लो ।
छूने में कुछ कोमलता हो कुछ बेरहमी ॥

भाई ये अंदाज़ तो निराला है।
ये हुआ न सर्दी में भी गर्मी का अहसास।
सुन्दर।

Dev said...

kya baat hai !!! sach mein sardi mein garmi ka ahesaas dila diya aapne

दीपक 'मशाल' said...

Mumbai me sardi kahan se aa gai Ajay Sir :) ... sundar rachna..
Jai Hind...

Yogesh Verma Swapn said...

wah bindas bol ke saath shaleenta bhari rachna, achchi lagi.

Udan Tashtari said...

शानदार...बहुत खूब!!

अजय कुमार झा said...

वाह अजय भाई वाह , गजब की खूबसूरती ,उर्जा और उष्मा के साथ । मजा आ गया
अजय कुमार झा

निर्मला कपिला said...

कितनी खूबसूरती से बेशर्मी को भी खूबसूरत बना दिया सही मे लाजवाब प्रस्तुति है बधाई

रंजू भाटिया said...

अच्छा लिखा है आपने शुक्रिया

प्रकाश पाखी said...

सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥

इस शेर में नमक का प्रयोग अनूठा है....कविता में लय का थोडा ध्यान रखा होता तो कविता की खूबसूरती और बढ़ जाती!

सदा said...

बेहतरीन रचना, शब्‍दों का चयन अनुपम ।

Pushpendra Singh "Pushp" said...

अजय जी
बहुत खूब
लाना वो मुस्कान मुझे व्याकुल जो कर दे ।
वही महकता बदन वही हाथों की नरमी ॥
जोरदार रचना के लिए
बधाई ...........

Urmi said...

बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने! हर एक पंक्तियाँ बहुत अच्छी लगी ! इस लाजवाब और बेहतरीन रचना के लिए बधाई!

shama said...

Saare ashar gazab hain!

dr vikastomar said...

last lines r amazing sir

अनामिका की सदायें ...... said...

vah sardi k mahol ko garam kar gayi aapki gazel...bahut khoob...khuda kare ki aapka intzar jaldi khatm ho.

Navneet gautam said...

बहुत बढ़िया साहब .... मै आपके हिंदी के प्रति सम्मान और किये गए प्रोत्साहन की प्रशंसा करता हूँ . और हिंदी के प्रचार और प्रस्सर के लिए आपका सहयोग देने का आश्वासन दिलाता हूँ ....

Unknown said...

khul gayi "gathari" to kaisi sardi,
bahut khoob ajay saahab.....

Unknown said...

khul gayi "gathari" to kaisi sardi,
bahut khoob ajay saahab.....

arvind said...

बहुत अच्छा.....सर्दी मे भी गर्मी का अहसास.

krantidut.blogspot.com

Prem Farukhabadi said...

sampoorn rachna sarahneey. Badhai!!

अरुण चन्द्र रॉय said...

kohre aur sheet lehar mein garma garm gazal... achha likhte hain aap ! kuch rachnaayein pehli bhi padhi hain...

saurabh srivastava said...

दिल कड के ले गए जी...बहुत खूब

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को वसंत पंचमी और सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर रचना लिखा है आपने!

समयचक्र said...

बहुत सुन्दर रचना ...

रानीविशाल said...

Sanvedanao ki bahut hi uttam abhivyakti hai...!!

ritu raj said...

achcha likha hai.

संतोष त्रिवेदी said...

सर्दी में भी गर्मी का अहसास....

Asha Joglekar said...

बहुत ही रसमय प्रणय अनुनय । पढ कर मज़ा आगया । सरदी में भी गरमी का अहसास कराने वाली रचना, मुझे ये गर्मी क्यूं लग रही है ?

Rajeysha said...

अभी अभी श्‍याम सखा श्‍याम के ब्‍लॉग पर एक कहानी पढ़ी ये शेर उसका ही एक हि‍स्‍सा लग रहे हैं। अजय जी आप भी वो कहानी पढ़ें, शायद आपको भी ऐसा ही महसूस हो।

अजय कुमार said...

@ Rajey Sha
आप लिंक देते तो आसान होता । आप शायद ’एनकाउंटर ’कहानी की बात कर रहे हैं , अभी अभी पढ़ा । उसमें बहुत दिनों के बाद मिलन होता है । यहां पुकार है

Pawan Kumar said...

सर्दी में तुम आ जाओ लेकर कुछ गरमी ।
आँखों में कुछ शर्म,नमक जितनी बेशर्मी ॥
आहा.................क्या नमक का प्रयोग कर ग़ज़ल नमकीन कर डाली.......!
नए प्रोयोगों के लिए बधाई.

पूनम श्रीवास्तव said...

अजय जी,
बहुत ही सुन्दर गजल है आपकी---
पूनम

हर्षिता said...

सुन्दर गजल।

Apanatva said...

Bahut sunder abhivykti.........
Bahut sunder bhav...............
गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.......

Urmi said...

आपको और आपके परिवार को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें!

सर्वत एम० said...

अद्भुत, कमाल! और क्या कहूं. आपने चौंका दिया. इतनी सुंदर प्रेम रचना! आपकी लेखनी प्रगति के पथ पर अग्रसर है. मेरी कामना है ऐसे ही विकसित, पुष्पित, पल्लवित होते रहें.
'सहमी- सहमी'वाली पंक्तियों को फिर ध्यान दीजियेगा.

वन्दना अवस्थी दुबे said...

वाह! क्या बात है.

भंगार said...

अजय जी ,इतना सुंदर लिखा है ,किन शब्दों से

आप की तारीफ करूं ....जो भी लिखा है सब सच

लिखा है .....

Anonymous said...

Wah! bahut bebak swar tha yeh. Yeh tha dil se nikla aur dil ko chchoota! Nothing superficial! Especially " namak si besharmi" is beautiful expression!

good one!

anil gupta said...

खूबसूरत...........

SATYAKAM said...

बहुत ही सुन्दर रचना|
मुझे आपकी लेखन-शैली काफी प्रभावित करती हैं| कहीं-न-कहीं मैं भी ऐसा लिखने की कोशिश करता रहता हूँ | :-)