वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे !!
वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे!!
एक दिन दाब दिया गला पकड़कर तो छ्टपटाने लगे !
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(इससे पहले ’सस्ते शेर’ ब्लाग पर प्रकशित हो चुका है )
कुछ दिनों के लिये अपने गाँव जा रहा हूं , ब्लाग-जगत से दूर रहुंगा ।
19 comments:
हा हा!! मस्त!!
गांव घूम आईये, किस्सों का इन्तजार रहेगा भाई.
AAPKI YATRA MANGALMAI HO ?
:) :)...बढ़िया है
बहुत बढ़िया.. आदाब :)
aapki yatra mangalmay ho.......
.........प्रशंसनीय रचना - बधाई
बढ़िया है--आदाब :).
वाह क्या बात है
आदाब और आ दाब
मस्त ... गला दबा ही दो अब तो ... अच्छा है ..
आप अपने गाँव जा रहे हैं ... बहुत बहुत शुभकामनाएँ .....
बढ़िया अजय जी और गाँव भ्रमण के इस पावन कार्य के लिए मेरी शुभकामनाये !
क्या गज़ब लिख दिये अजय जी,
आदाब :)
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना! बधाई!
Very good....Sir g.
mere blog par...
तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
regards
http://i555.blogspot.com/
yahee shersuna tha abhee koee pandhara bees din pehale.
ska roop kuch aisa tha ki
we roj aadab aadab kehate rahe
daba diya to khafa ho gaye.
aaphee ka hoga . shayar ka nam nahee bataya tha.
इतना सस्ता भी नही है भाई
हा हा बहुत बडिया। यात्रा के लिये शुभकामनायें
bahut badiya!
mast hai.,.maine iska non-veg roop pehle suna tha:)
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