Friday, May 21, 2010

नासमझ

                   **माफ करना समझने में भूल हुई****



वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे !!

वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे!!



एक दिन दाब दिया गला पकड़कर तो छ्टपटाने लगे !


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    (इससे पहले ’सस्ते शेर’ ब्लाग पर प्रकशित हो चुका है )

कुछ दिनों के लिये अपने गाँव जा रहा हूं , ब्लाग-जगत से दूर रहुंगा ।




19 comments:

Udan Tashtari said...

हा हा!! मस्त!!


गांव घूम आईये, किस्सों का इन्तजार रहेगा भाई.

पी.एस .भाकुनी said...

AAPKI YATRA MANGALMAI HO ?

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

:) :)...बढ़िया है

विवेक रस्तोगी said...

बहुत बढ़िया.. आदाब :)

Anonymous said...

aapki yatra mangalmay ho.......

संजय भास्‍कर said...

.........प्रशंसनीय रचना - बधाई

डॉ टी एस दराल said...

बढ़िया है--आदाब :).

M VERMA said...

वाह क्या बात है
आदाब और आ दाब

दिगम्बर नासवा said...

मस्त ... गला दबा ही दो अब तो ... अच्छा है ..

आप अपने गाँव जा रहे हैं ... बहुत बहुत शुभकामनाएँ .....

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बढ़िया अजय जी और गाँव भ्रमण के इस पावन कार्य के लिए मेरी शुभकामनाये !

संजय @ मो सम कौन... said...

क्या गज़ब लिख दिये अजय जी,
आदाब :)

Urmi said...

बहुत ही सुन्दर और लाजवाब रचना! बधाई!

वीरेंद्र सिंह said...

Very good....Sir g.

Anonymous said...

mere blog par...
तुम आओ तो चिराग रौशन हों.......
regards
http://i555.blogspot.com/

Asha Joglekar said...

yahee shersuna tha abhee koee pandhara bees din pehale.
ska roop kuch aisa tha ki

we roj aadab aadab kehate rahe
daba diya to khafa ho gaye.

aaphee ka hoga . shayar ka nam nahee bataya tha.

शरद कोकास said...

इतना सस्ता भी नही है भाई

निर्मला कपिला said...

हा हा बहुत बडिया। यात्रा के लिये शुभकामनायें

मुकेश "जैफ" said...

bahut badiya!

RISHAV-VERMA......... said...

mast hai.,.maine iska non-veg roop pehle suna tha:)