Saturday, September 25, 2010

वो देखो शेर मारा !! (अजय की गठरी )

२००७ में २४ सितम्बर को भारत ने पाकिस्तान को हरा कर पहला टी२० वर्ड कप अपने नाम किया था। अंतिम ओवर की वो गेंद आज भी मिस्बाह उल हक के सपनों मे जरूर आती होगी ,आज उसकी याद को ताजा करिये ।


कितने तरह का होता है लक
जब ठीक है तो गुड लक.
जब बुरा है तो बैड लक.
लेकिन जब झंड हो तो -मिसबाह उल हक

(पूर्व में सस्ते शेर ब्लाग पर पोस्ट किया जा चुका है ,चित्र गूगल से साभार )
**************************************************************
अजय कुमार (गठरी ब्लाग पर)

28 comments:

ZEAL said...

.

Interestic post !

Good luck to you !

Regards,
Divya

.

मुकेश कुमार सिन्हा said...

jab jhand hota hai misbah-ul-hakk.....wow........:)
ye line yaad rahegi........

डॉ टी एस दराल said...

सही याद दिलाया ।
कमाल का क्षण था वह भी ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अच्छी याद दिलाई ...

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

अजय जी आपका मारा हुआ शेर तो बहुत अच्छा था, लेकिन बेचारा मिस्बाह उल हक़ तो गीदड़ बन गया बेचारा!!

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत सुंदर पलों की याद दिलाई आपने. शुभकामनाएं.

रामराम.

Anonymous said...

achha yaad dilaya aapne, .....
मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
जरूर आएँ.....

Milind Phanse said...

अजयजी, मेरे ब्लॉग "सुराही" पर आकर "अगर दे दो इजाज़त, आपकी ज़ुल्फोंसे खेलेंगे" इस गज़ल पर टिप्पणी देने के लिए धन्यवाद. वर्ड वेरिफिकेशन मैं इस लिए नहीं हटाता क्योंकी मेरा अनुभव यह है की ऐसा करने पर स्पॅम कमेन्ट्स बहुत ज्यादा आने लगते हैं.

दीपक 'मशाल' said...

मुश्किल है कि कोई क्रिकेट प्रेमी ये तारीख भूल पाए.. :) आप जिस तरह सस्ते शेर ब्लॉग का नाम लिखना नहीं भूले उसी को आदर्श ब्लोगिंग कहते हैं सर.

वाणी गीत said...

ये पल फिर से याद दिलाने का आभार ...!

अजय कुमार said...

@ दीपक मशाल जी
अपना ब्लाग शुरू करने के पहले मैं ’सस्ते शेर’ ब्लाग पर लिखा करता था । कुछ दिनों बाद मुझे लगा कि कुछ लोग सस्तेपन पर उतर आये हैं तो मैंने वहां लिखना बंद कर दिया और अपना ब्लाग बना लिया ।ये उसी दौरान लिखा गया था ।

संजय @ मो सम कौन... said...

अजय जी,
सच में नहीं भूल सकते वो बॉल. वो कैच और अब ये शेर भी।
चेतन शर्मा -जावेद मियांदाद पर भी कुछ लिखा है क्या?

निर्मला कपिला said...

चाहे कुछ भूल ज्क़ाये मगर ये नही भूलेंगे। बडिया। शुभकामनायें।

Aparna said...

बिलकुल सच कहा वोह पल वाकई में भूलने वाला नहीं है शुक्रिया याद दिलाने का .

Manoj Kumar said...

रोमांचक क्षण था वह ...

Urmi said...

वाह! बहुत अच्छा लगा! ख़ूबसूरत पलों की याद दिला दी है आपने !

tears n reflections said...

Welll Nicely written Sahab...I still remember that match...Lol...
उन फ़ारसी के कठिन शेरोन को समझने की नाकाम याबी से बेहतर तो सस्ते शेरोन की वाह है....और निदा तो यहाँ तक कहते हैं....की ...मीरो-ग़ालिब के शेरोन ने किसका दिल बहलाया है....सस्ते शेरों को लिख लिख कर हमने अपना घर बनवाया है...... Peace :)

भंगार said...

खूब याद दिलाया पुरानी यादो को धन्यबाद

भंगार said...

खूब याद दिलाया पुरानी यादो को धन्यबाद

भंगार said...

खूब याद दिलाया पुरानी यादो को धन्यबाद

दिगम्बर नासवा said...

वाह .. क्या लम्हा था वो ... आज भी आँखों के सामने आता है तो रोमांच आ जाता है ....

शरद कोकास said...

वाह क्या मारा है ..

शरद कोकास said...

वाह क्या मारा है ..

ज्योति सिंह said...

ye to sach hai ,majedaar post

Asha Joglekar said...

बढिया ।

lori said...

appreciable!!! really
plz cm to my blog...n suggest!!!!!

lori said...

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