Sunday, July 31, 2011

जिसने तेरी ज़ुल्फों में------(अजय की गठरी)

                        -५४-
जिसने तेरी ज़ुल्फों , में ये फूल लगाया है।
उसने तुम्हें चाहा है , दिल मेरा जलाया है॥

जी भर के मैंनें चूमा , जो फूल तुमने भेजा।
मैंनें तेरे तोहफे को , सीने से लगाया है॥

हर पूछने वाले से , इतना ही कहुंगा मैं।
मैंनें तुम्हें चाहा है , इस दिल में बसाया है॥

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।
अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥

वो जिससे उम्र भर , जलते रहे , फरेब किया।
वो शख्स आज अब , मरने पे याद आया है॥

24 comments:

vandana gupta said...

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥
वो जिससे उम्र भर , जलते रहे , फरेब किया।वो शख्स आज अब , मरने पे याद आया है॥

वाह शानदार ख्याल प्रस्तुत किया है।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

अजय जी!
प्यारी गज़ल है.. आखिर के दो शेर बहार से अलग हो गए हैं.. रूमानियत से भरी यह गज़ल दिल को सुकून देती है!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

खूबसूरत गज़ल

deepti sharma said...

behtreeb gajal

अजय कुमार said...

@सलिल जी ( चला बिहारी ब्लॉगर बनने) आपसे सहमत हूं (आखिर के दो शेर बहार से अलग हो गए हैं)।

Arvind kumar said...

बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल...

मेरे ब्लॉग पर भी आपका स्वागत है...

Unknown said...

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।
अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥
pasanda aayi

रेखा said...

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।
अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥

प्रेरक विचार के साथ शानदार ग़ज़ल .

Sunil Kumar said...

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।
अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥
खूबसूरत गज़ल...

मनोज कुमार said...

बहुत खूब कहा वो कभी खुशी से पागल नहीं हो सकता जिसने ग़म को गले लगाया है।
बहुत अच्छी रचना।

Yashwant R. B. Mathur said...

बहुत बढ़िया सर।
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आपकी एक पोस्ट की हलचल आज यहाँ भी है

Urmi said...

बहुत ख़ूबसूरत ग़ज़ल लिखा है आपने! हर एक शेर लाजवाब है!

डॉ टी एस दराल said...

खूबसूरत ग़ज़ल .
आखिरी शे 'र में कोई पुरानी शिकायत/ अदावत नज़र आ रही है .

सदा said...

वो कभी हो नहीं सकता है , खुशी से पागल।
अदब से जिसने भी , गम को गले लगाया है॥

बहुत खूब कहा है आपने इन पंक्तियों में ...बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

अजय कुमार said...

दराल सर ,कोई अदावत या शिकायत नहीं है
ये तो जमाने का दस्तूर हो गया है कि लोग
ज़िंदा रहने पर जिसे अहमियत नहीं देते ,मरने
पर उसी की झूठी तारीफ करते हैं |

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

क्या बात
बहुत सुंदर

अनामिका की सदायें ...... said...

behtareen gazal.

Dorothy said...

खूबसूरत गजल. आभार.
सादर,
डोरोथी.

ZEAL said...

Beautiful ghazal !

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

बहुत खूब।

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कम्‍प्‍यूटर से तेज़...!
सुज्ञ कहे सुविचार के....

महेन्‍द्र वर्मा said...

प्यार की खुशबू में भीगी एक प्यारी ग़ज़ल।
बहुत बढ़िया।

दिगम्बर नासवा said...

बहुत खूब अजय जी ... दिल में उतर जाती है आपकी ये गज़ल ... कुछ शेर तो कमाल के बन पड़े हैं ...

Dr Varsha Singh said...

खूब....बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है.....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.

Dr.Bhawna Kunwar said...

bahut khub !