-५५-
दिन भर तेरी याद का आलम ,उलझन भी तन्हाई भी ।
उस पर ये पूनम की रातें ,सावन की पुरुवाई भी ॥
अब तो वक्त कटेगा मेरा ,उन आँखों की चाहत में ।
जिनमें है खंजर की ताकत ,झीलों की गहराई भी ॥
तुम बतलाओ क्या बोलूं मैं , करूं शुक्रिया या शिकवा ।
तुमसे मिलकर चैन भी आता , तुमने नींद उड़ाई भी ॥
कैसे तुमने दिल को लूटा , किसका किसका जिक्र करें ।
कातिल आँखें ,नागिन जुल्फें ,मस्त मस्त अंगड़ाई भी ॥
इश्क में दवा वही देता है , दर्द बढ़ाने वाला जो ।
जिसने आग लगाई तन में , उसने आग बुझाई भी ॥
मुझसे मिलने की खातिर तो ,था उसका बेताब भी दिल ।
हाथ छुआ तो , नजर झुकाकर , मुस्काई सकुचाई भी ॥
वक्त बदल जाता है पल में , वक्त को किसने बांधा है ।
वक्त को मुझसे प्यार आज है , कल होगी रुसवाई भी ॥
कोई यहां पर नहीं किसीका , फिर किसका एतबार करें ।
अंधकार में खो जाती है , ये अपनी परछांई भी ॥
फिर चाहत का घर टूटा है , कहती हैं ये आवाजें ।
ठंडी आहें ,आँख के आंसू ,सिसकी भी शहनाई भी ॥
मिले बिछड़कर दो प्यासे दिल , लिपट लिपट कर यूं रोये ।
होंठ कांपता हुआ जनवरी , आँखें बनीं जुलाई भी ॥
दिन भर तेरी याद का आलम ,उलझन भी तन्हाई भी ।
उस पर ये पूनम की रातें ,सावन की पुरुवाई भी ॥
जिनमें है खंजर की ताकत ,झीलों की गहराई भी ॥
तुम बतलाओ क्या बोलूं मैं , करूं शुक्रिया या शिकवा ।
तुमसे मिलकर चैन भी आता , तुमने नींद उड़ाई भी ॥
कैसे तुमने दिल को लूटा , किसका किसका जिक्र करें ।
कातिल आँखें ,नागिन जुल्फें ,मस्त मस्त अंगड़ाई भी ॥
इश्क में दवा वही देता है , दर्द बढ़ाने वाला जो ।
जिसने आग लगाई तन में , उसने आग बुझाई भी ॥
मुझसे मिलने की खातिर तो ,था उसका बेताब भी दिल ।
हाथ छुआ तो , नजर झुकाकर , मुस्काई सकुचाई भी ॥
वक्त बदल जाता है पल में , वक्त को किसने बांधा है ।
वक्त को मुझसे प्यार आज है , कल होगी रुसवाई भी ॥
कोई यहां पर नहीं किसीका , फिर किसका एतबार करें ।
अंधकार में खो जाती है , ये अपनी परछांई भी ॥
जुदा हुए दो प्यार भरे दिल , कुछ ऐसे हालात हुए ।
मिला रहे थे नजरें जिनसे , उनसे नजर चुराई भी ॥फिर चाहत का घर टूटा है , कहती हैं ये आवाजें ।
ठंडी आहें ,आँख के आंसू ,सिसकी भी शहनाई भी ॥
मिले बिछड़कर दो प्यासे दिल , लिपट लिपट कर यूं रोये ।
होंठ कांपता हुआ जनवरी , आँखें बनीं जुलाई भी ॥
24 comments:
दर्द ए दिल को बयाँ करती सुन्दर ग़ज़ल ।
आपने तो पंक्तियों के माध्यम से पूरी कहानी बयां कर दी . बहुत खूब ...
दर्दे दिल की दवा भी मुहब्बत ही है खुबसूरत ग़ज़ल मुबारक हो .......
बहुत ही खूबसूरत,बहुत ही लाजवाब ग़ज़ल है...
मदहोश कर डाला....
www.kumarkashish.blogspot.com
tukbandi ke sath achchhi lagi gazal..
दर्द से सराबोर बहुत ही गज़ब की लाजवाब गज़ल है।
खूबसूरत गज़ल
क्या बात है भाई।
लगता है दिल है आवाज़ मेरी, और आपकी लेखनी।
जिनमें है खंजर की ताकत ,झीलों की गहराई भी ॥
कमाल का भाव।
तुमसे मिलकर चैन भी आता , तुमने नींद उड़ाई भी ॥
अद्भुत!!
कातिल आँखें ,नागिन जुल्फें ,मस्त मस्त अंगड़ाई भी ॥
लाजवाब!!!
अजय जी बहुत सुन्दर ग़ज़ल प्रस्तुति...बधाई...
वाह ...बहुत खूब कहा है ...बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
Beautiful ghazal !
अब इसे गज़ल कहूँ या गीत .. मगर जो भी है खुदा की कसम लाजवाब है!!
सबसे अच्छी उपमा तो होठ और आँखों की है.
सचिन को भारत रत्न नहीं मिलना चाहिए. भावनाओ से परे तार्किक विश्लेषण हेतु पढ़ें और समर्थन दें- http://no-bharat-ratna-to-sachin.blogspot.com/
बहुत सुंदर ,लाजवाब ग़ज़ल
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना
दिल की हालत बयान करती अच्छी ग़ज़ल।
दर्द की दास्तान अच्छी लगी. सुदर शब्द और भाव शोभा बढ़ा रहे हैं.लाजवाब प्रस्तुति
सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ लाजवाब ग़ज़ल लिखा है आपने ! आपकी लेखनी को सलाम!
aaj pehli baar aapke blog pe aana hua..behad accha laga.. aapki bahut bahut sari rachnayein padhin..aapke bibid kayva aayamon se parichit hone ka mauka mila...ghazlon ki bishay bastu aaur shandar radif aaur kafia ka prayog man moh leta hai,,aap mere blog pe aaye aaur mera hausla badhaya iske liye haridk dhanyawad...punah badhayee aaur sadar pranam ke sath
har sher bahut umdaa, shubhkaamnaayen.
बेहद खूबसूरत शेर हैं सभी ... दिल के हर अंदाज़ को अलग से बयान किया है ...
मन को उद्वेलित करने वाली मार्मिक ग़ज़ल...
http://premchand-sahitya.blogspot.com/
यदि आप को प्रेमचन्द की कहानियाँ पसन्द हैं तो यह ब्लॉग आप के ही लिये है |
यदि यह प्रयास अच्छा लगे तो कृपया फालोअर बनकर उत्साहवर्धन करें तथा अपनी बहुमूल्य राय से अवगत करायें |
सुंदर ग़ज़ल!
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