Sunday, March 2, 2014

मेरी बेटी , परायी हो गयी है -- ( अजय की गठरी )

                                           (71 )

खेलती थी ,मेरी गोदी में अक्सर |
चहकती थी ,जो घर आँगन में दिनभर ||
उसकी शादी , विदाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||

मेरी तितली , मेरी नन्ही सी चिड़िया |
टहलती थी , लिए हाथों में गुड़िया ||
आँख मेरी , जुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||


बहुत व्याकुल , ह्रदय था ,कैसे कुछ बोल देता |
सिसक कर , मैं भी रोता ,अगर मुंह खोल देता ||
यूँ ही छुप छुप , रुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||  

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डेढ़ साल के अंदर दो भतीजियों की शादी होने पर ये उदगार निकले 
---------गठरी पर अजय कुमार----------
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5 comments:

डॉ टी एस दराल said...

बेटी की शादी पिता के लिये सबसे बड़ा सपना होता है ! बहुत मार्मिक उद्गार !
बेटी की शादी की बधाई और शुभकामनाएं .

दिगम्बर नासवा said...

शादी हुई तो पराई नहीं बल्कि किसी दुसरे को अपना बना कर ले आएगी ... बिटिया की शादी की बधाई और हार्दिक शुभकामनायें ....

राजीव कुमार झा said...

बहुत मार्मिक रचना.
नई पोस्ट : आ गए मेहमां हमारे

राजीव कुमार झा said...

बहुत मार्मिक रचना.
नई पोस्ट : आ गए मेहमां हमारे

प्रतिभा सक्सेना said...

बधाई स्वीकारिये ,उसे परायी मत कहिये.अब पहलेवाली बात नहीं रही ,जब आयेगी नई खुशियों की सौगात लेकर आयेगी बेटी को सुखी-संतुष्ट देख कर कितना अच्छा लगेगा 1