२ अक्तूबर को दो महान सपूतों , महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है आज इन महापुरुषों को इस लिए याद कर रहा हूँ क्योंकि मैं एक राजनीतिक व्यक्ति हूँ ,और राजनीति में इन्हे अपना आदर्श बता कर अपना कैरियर बनाने का ट्रेंड है इसके लिए जन्मदिन या इनके बारे में जानना जरूरी नही है, इन्टरनेट पे मिल जाता है ,वैसे मीडिया भी बता ही देता है शास्त्री जी निर्धन परिवार से थे और संघर्ष कर के आगे आए थे संघर्ष मैं भी कर रहा हूँ , टिकट के लिए ,और यकीन मानिये दो साल पहले तक मैं भी गरीब था वो तो मंत्री जी ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मैं गरीबी से उबर गया गाँधी जी लाठी ले कर चलते थे ,लोग उन्हें महात्मा कहते हैं उस समय का जमाना और था, आज समय बदल गया है मैंने इसमे दो बदलाव किया है - एक तो लाठी की जगह रिवाल्वर और दूसरा ये की मैं नही मेरे आदमी ले कर चलते हैं मीडिया मुझे बाहुबली कहती है ,पता नही क्यों ?हमारे महापुरुष आजादी की लडाई में कई बार जेल गए मैं भी जेल जाता रहता हूँ अब चूँकि आजादी मिल चुकी है तो सिर्फ़ लड़ाई के कारण जाना पड़ता है स्वतंत्रता आन्दोलन में लोग गाँधी -टोपी पहनते थे , मैं ने बहुतों को टोपी पहनाया है लोग मुझे टोपीबाज कहते हैं जय जवान -जय किसान नारे का प्रचार मैंने बालीवुड में किया आज बड़े बड़े स्टार किसान बनने के लिए बेचैन है अंत में मैं कहूँगा की ये दोनों महापुरुष उन गिने चुने नामों में है जो राजनीति में बहुत उपयोगी हैं अब मैं इस बार अपना टिकट पक्का समझते हुए अपनी बात एक शेर के साथ ख़त्म करूँगा ---
इनके रास्ते पर चलूँ न चलूँ , इनका जिक्र जरूर करूंगा
देश का काम करूँ न करूँ , देश की फिक्र जरूर करूँगा
4 comments:
हे मेरे परम गांधीवादी मित्र आपको सत-सत नमन
वाह भई वाह क्या लिखा है, मज़ा आ गया पढ कर!
अब कुछ परिवर्तन तो लग रहा है,सारे बाहुबली लोकसभा हारे है!
उम्मीद है इक्कीसवी सदी में देश जागरूकों का हो!
अजय जी आप उन लोगो का ज़िक्र करते हैं
जिन लोगो की सुलझे लोगो में कोई मर्यादा
नहीं है ,कुछ इश्क के बारे में लिखे ...?
आज के नेता और उनकी नेतागिरी पर अच्छा व्यंग है .जिस गली में नेता रहता है वहाँ जाने का मन नहीं करता मगर जाना पड़ता है . क्योंकि इनके पास ताक़त है .और आम आदमी लाचार है . देश का भविष्य भी तो बहुत कुछ ये ही तय करते हैं .
Post a Comment