Thursday, October 15, 2009

कैसा दौर ?

इकरार भी होता है ,इंकार भी होता है |
तुम भी लगालो डुबकी ,ये प्यार का गोता है ||
पहले कभी-कभी था ,अब रोज ये होता है
मैं उसको जगाती हूँ ,वो मुंह फेर के सोता है ||
बच्चे से प्यारी बातें ,पत्नी से मुलाकातें
इस दौर में मुहब्बत , वीकेंड में होता है ||
सबकी उड़ा के खिल्ली ,तूने कहकहा लगाया
तुझ पर हंसा जमाना ,तो दर्द क्यों होता है ||
हो के रहेगा गन्दा ,तू बचाए लाख दामन
जब रास्ता गलत हो ,अंजाम ये होता है ||

22 comments:

संगीता पुरी said...

अच्‍छी रचना !!

Arshia Ali said...

रूमानी भावों का सुंदर प्रस्फुटन।
धनतेरस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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डिस्कस लगाएं, सुरक्षित कमेंट पाएँ

vandana gupta said...

bahut hi sundar likha .......kaisa daur aa gaya hai ........sab kuch hai insaan ke pass sirf waqt nhi hai.

डॉ टी एस दराल said...

हो के रहेगा गन्दा ,तू बचाए लाख दामन
जब रास्ता गलत हो ,अंजाम ये होता है ||

प्यार की बात करते करते, ज्ञान की बात कह गए. बहुत खूब.

दीपक 'मशाल' said...

bahut sundar tana bana buna hai shabdon ka aapne........... Pawan parv Deewali ki shubhkamnayen...

blog par upasthiti darz karane ke liye aabhari hoon aapka

दिगम्बर नासवा said...

बच्चे से प्यारी बातें ,पत्नी से मुलाकातें
इस दौर में मुहब्बत , वीकेंड में होता है ....

सच कहा है ........ काम के बोझ का मारा क्या करे बेचारा .....

Yogesh Verma Swapn said...

bahut khoob, behatareen, deepawali aur dhanteras ki hardik shubhkaamnayen ishwar apke hriday ko adhyatm ke deepak ke prakash se prakashit karen.

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर !!!!!!!!!!1

M VERMA said...

वाह क्या बात है. सुन्दर रचना

मनोज कुमार said...

सबकी उड़ा के खिल्ली ,तूने कहकहा लगाया
तुझ पर हंसा जमाना ,तो दर्द क्यों होता है ||
क्या खूब कहा आपने। ग़ज़ल में में व्यंग्य के तत्व की मौजूदगी के तेवर पर यथार्थ लेखन।

निर्मला कपिला said...

ांच्छी रचना है । दीपावली की शुभकामनायें

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

हो के रहेगा गन्दा , तू बचाए लाख दामन
जब रास्ता गलत हो , अंजाम ये होता है ||
सभी शेर भले लगे...

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दीपावली की शुभकामनायें!
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शिवम् मिश्रा said...

"मैं उसको जगाती हूँ ,वो मुंह फेर के सोता है ||
बच्चे से प्यारी बातें ,पत्नी से मुलाकातें
इस दौर में मुहब्बत , वीकेंड में होता है ||"




आज के दौर के इस आपा-धापी भरी दुनिया का यही कटु सत्य है !

आपको और आपके परिवार को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं !

वन्दना अवस्थी दुबे said...

बहुत सुन्दर.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

इकरार भी होता है ,इंकार भी होता है |
तुम भी लगालो डुबकी ,ये प्यार का गोता है ||

क्या बात है, बहुत सुन्दर
Happy Diwali !

विनोद कुमार पांडेय said...

बढ़िया रचना..दीवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!

alka mishra said...

गठरी जी, दीपोत्सव मुबारक ,आप तो मेरे बगल के जिले के हैं ,ज़रा अपना असली मुखडा और नाम तो दिखाईये ताकि हम आपसे परिचित हो सकें
वैसे तुकबंदी अच्छी की है आपने ,सच्चाई को छूती हुई

अजय कुमार said...

मेरे ब्लॉग पर आने और मेरा हौसला बढ़ाने के लिए आप लोगों का शुक्रिया | उम्मीद है आगे भी आप लोग मेरा हौसला अफजाई करते रहेंगे | अलका जी मेरा मुखडा वही है जो फोटो में है, एकदम असली और मेरा नाम अजय है ,
लेकिन नाम में क्या है

Unknown said...

वाह अजय जी वाह बातें बनाना तो कोई आप से सीखे

nagarjuna said...

...is daur mein muhabbat weekend mein hota hai...
achchi rachna hai.

भंगार said...

vबहुत सुन्दर बात कही आप ने ,हार्दिक शुभ कामना

अजय कुमार said...

आदरणीय पाबला जी सूचित करने के लिए धन्यवाद
तथा ब्लाग जगत के सभी सदस्यों का आभार व्यक्त करता हूँ