Tuesday, November 10, 2009

मेरा देश महान ??

                               (१)
राष्ट्रद्रोह का करें आचरण , नेताओं के वेश में |
कदम-कदम पर अपमानित है , हिंदी अपने देश में ||
                                (२)
हुआ खुलेआम , राष्ट्रगीत का अपमान है |
पहले कुरान , उसके बाद संविधान है ???
                                 (३)
लोकतंत्र की शामत आई , हुई सदन में हाथापाई |
आज इधर कल उधर मिलेंगे , चोर चोर मौसेरे भाई ||
                                  (४)
कुछ सिक्ख इसाई रहते हैं , कुछ तो दंगाई रहते हैं |
भाई-चारे का भाव नहीं , बस भाई भाई कहते हैं ||
विधान सभा और संसद में,कुछ देश के मुलजिम रहते हैं |
यहाँ हिन्दुस्तानी कोई नहीं ,बस हिन्दू मुस्लिम रहते हैं ||

32 comments:

Rohit Jain said...

dil jalta hai yeh sab dekhkar...

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

अंतिम चार पंक्तिया बहुत सुन्दर !

VIMAL VERMA said...

"यहाँ हिन्दुस्तानी कोई नहीं ,बस हिन्दू मुस्लिम रहते हैं" सही लिखा है आपने....इंसानियत पर धर्म और राज्य भारी पड़ रहे है ...ये आपकी ये त्वरित प्रतिक्रिया ही आपकी खासियत है ।

मनोज कुमार said...

वोटों की कुत्सित राजनीति, महात्वाकांक्षा की पराकाष्ठा, सत्तालोलुपता के कारण लोकतांत्रिक मान्यताएं सिकुड़ती जा रही हैं। यह लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक स्थिति है।

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

यह संविधान सम्मत आतंकवाद है, कृपया इसपर शोर न मचाएं।
जब तक इस देश के स्वघोषित राष्ट्रवादी इस पर कुछ न कह दें, तब तक आप अपना मुंह सी रखें।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

रंजू भाटिया said...

बहुत खूबसूरती से आपने अपने लफ्जों में सही बात कह दी ..मेरा देश वाकई महान है ..

भंगार said...

हमारे देश में यही सब चल रहा है
इसीको राजनित कहते हैं ? यह सभी लोग
रात में मिलेहोंगे .....पर आप को सोचने
पे मजबूर किया ....और आप ने मन की व्यथा
लिख दिया .....बहुत अच्छा है ..हमें ही कुछ
करना होगा ....

padmja sharma said...

अजय
कल जो कुछ महाराष्ट्र विधान सभा में (हिन्दी भाषा में शपथ पर हाथापाई )हुआ उसका दर्द यहाँ साफ झलक रहा है .

दिगम्बर नासवा said...

AAPKE CHAARON CHAANDON में DIL KA दर्द NUKAL KAR ATA है ......... BAHOOT SHARM AATI है DESH के HAALAAT DEKH KAR ......... HAALAAT से VIVASH हैं HUM AUR AAP ........

Satya Vyas said...

katu satya likh diya apne .

satya vyas

BAD FAITH said...

सत्य वचन .यहाँ हिन्दुस्तानी कोई नहीं.

सदा said...

यहाँ हिन्दुस्तानी कोई नहीं ,बस हिन्दू मुस्लिम रहते हैं

बिल्‍कुल सही कहा आपने, बहुत ही अच्‍छी प्रस्‍तुति ।

M VERMA said...

बहुत खूबसूरत
हालात का भरपूर जायजा और भाव सुन्दर

Unknown said...

धूमिल की एक छोटी सी कविता पेश कर रहा हूँ

हर लुटेरा जिस सडक को भागता है
वह सडक दिल्ली शहर को जा रही है

आप की चिंता जायज है

निर्मला कपिला said...

पूरी रचना ही बहुत सटीक अभिव्यक्ति है मगर पहली दो और तीसरे शेर की पंक्तियाँ तो लाजवाब हैं शुभकामनायें

हरकीरत ' हीर' said...

यहाँ हिन्दुस्तानी कोई नहीं बस हिन्दू-मुस्लिम रहते हैं .....

बहुत तीखे- तीखे प्रहार किये हैं .....देखें किस पर कितना असर होता है .....!!

दीपक 'मशाल' said...

Vishbujhe teeron ki tarah dohe taiyaar kiye hain aapne.. jo kisi bhi dushman ko maar sakte hain.. lekin afsos isbaar dushman dikhne me insaan magar wastav me patthar hain...
aakhiri dohe me 'Muljim' ki jagah 'Mujrim' theek lagega... meri samajh se..
Jai Hind..

Urmi said...

हमारा देश वाकई में महान है! बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने और बड़े ही सुंदर रूप से शब्दों में पिरोया है! रचना की हर एक पंक्तियाँ लाजवाब है!

Unknown said...

jaih hind jai bharat jai hindustan.

alok

prasann pranjal said...

namskar sir
sahi likha hai aapne
wastawikta ko aapne sabdo k jariye bataya hai

रश्मि प्रभा... said...

isse alag kuch mere bhi shabd.......



साल में दो बार,सुनते हैं -

"वो भारत देश है मेरा...."

फिर कोई डाल नहीं ,सोने की चिड़िया नहीं...

पंख - विहीन हो जाता है भारत....

शतरंज की बिसात पर,चली जाती हैं चालें...

तिथियाँ भी मनाई जाती हैं साजिश की तरह...

क्या था भारत?

क्या है भारत?

क्या होगा भारत?

इस बात का इल्म नहीं !!!

धर्म-निरपेक्षता तो भाषण तक है,

हर कदम बस वाद है...

आदमी , आदमी की पहचान,ख़त्म हो गई है...

गोलियाँ ताकतवर हो गई हैं,

कौन, कहाँ, किस गली ढेर होगा?

कहाँ टायर जलेंगे,आंसू गैस छोड जायेंगे?

ज्ञात नहीं है...

कहाँ आतंक है, कौन है आतंकवादी?

कौन जाने !!!

शान है "डॉन" होना,

छापामारी की जीती-जागती तस्वीर होना,

फिर बजाना साल में दो बार उन्ही के हाथों-

"वो भारत देश है मेरा"

रचना दीक्षित said...

अजय जी मेरा देश तो महान होना ही है जब वहां तरह तरह के लोग रहते हैं और क्या कहें लोगों के बारे में आपने तो कह ही दिया.मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद
आभार
रचना दीक्षित

वन्दना अवस्थी दुबे said...

sundar rachana. desh ki vyatha prakat ho rahi hai.

उम्दा सोच said...

लाजवाब लेख !!!
अति गंभीर मसले पर बहुत सहज तौर से आप ने अपनी प्रतिक्रिया दर्ज कराई है !

nareshsingh said...

very nice friend

प्रेम said...

सबसे पहले तो आपको इतनी सुंदर कविता के लिए धन्यवाद। आपने तो दिल की बात कह दी भाई। आप मेरे ब्लॉग पर आए, इसके लिए धन्यवाद।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अच्छे भाव हैं।

पंकज said...

क्या कटाक्ष है. हिला देने वाला.

Shiva Prakash said...

Excellent !

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ajay ji,

bahut sateek rachnayen hain....sach mann men aakrosh footata hai....bahut achchha likha hai...badhai

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

Shaandar prastuti. Aaina dikha diyaa.

चंचल पाण्डेय said...

AAPKI IS RACHNA NE DIL KO HILA DIYA HAI BADHAI HO