आज ठुमरी वाले विमलजी का जन्मदिन है , उनके दीर्घायु होने की कामना करते हुये ,आज की रचना उनको समर्पित करता हूं-
देखा है जिंदगी को कुछ कुछ करीब से ।
एहसास इस सफर में हुए हैं अजीब से ॥
रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥
देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ॥
दो वक्त की रोटी मिलेगी ,रहने को घर भी ।
नेताजी कर रहे हैं ,दिल्लगी गरीब से ॥
मुल्ला कहीं पंडित कहीं और पादरी कहीं ।
कैसे बचेंगे लोग ,मजहबी सलीब से ॥
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
10 hours ago
34 comments:
विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना और आप को सुन्दर लेख पर साधुवाद !!!
"देखा है जिंदगी को कुछ कुछ करीब से ।
एहसास इस सफर में हुए हैं अजीब से ॥"
विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें !! वाह !!बहुत अच्छी रचना है ....
रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥
BAHUT HI SUNDAR PANKTIYAN HAIN...VIMAL JEE KO JANMDIN KI HAARDIK SHUBHKAAMNAAYEN
बहुत खूब , सुन्दर सजाया आपने जिन्दगी के इस तराने को !
बहुत सुन्दर रचना
रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम,
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ।
बहुत ही सुन्दर रचना, और यह पंक्तियां तो बेहतरीन बन पड़ी हैं ।
दो वक्त की रोटी मिलेगी ,रहने को घर भी ।
नेताजी कर रहे हैं ,दिल्लगी गरीब से ॥
दो रूपये किलो मिलेंगे, चावल और दाल
८० रूपये किलो से हुए , हाल बे-हाल
बहुत अच्छी रचना लिखी, बधाई।
बहुत खूब अजय जी ....आप की सोच और कलम को सलाम
हमारी कोशिश :
चेहरा मेरा क्या दिख गया, मुंह फेर चल दिये
ऐसे तो तुम मिलते नहीं, किसी भी रकीब से
*रकीब-प्रतिद्वंद्वी
tmaam umar kaha koee sath deta hai....magar thori door sath chalo.....
इस अजीब ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ रंग ख़ूब नुमाया किये हैं आपने
पहली बार आपके ब्लाग में आने का मौका मिला। सच कह रहा हूं , आपकी रचनाएं देखकर दिल हर्ष से भर उठा है। शुभकामनाएं।
देता है कौन साथ यहाँ किसका उम्र भर
हम आप मिल गए हैं अच्छे नसीब से
-वाह! क्या खूबसूरत शेर है।
देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ...
बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल है ... अछे शेर हैं सब के सब .......... और यह पंक्तियां तो बेहतरीन हैं .....विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना
बहुत खूब , सुन्दर सजाया आपने जिन्दगी के इस तराने को !
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
SANJAY KUMAR
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Nice..
happy birthday, umda rachna.
Achchhi rachna hai. Ab toh khair manaate hain.....
विमलजी को जन्म दिन की शुभ कामना !!! बहुत ही सुन्दर पंकितान पेश की है सांड को चारा मिला ऐसे ही कहलाते रहिई सांड जरुर आयेगा , अब दुसरे दरवाजे चला !!
अजय जी
दुख तो अपने ही दिया करते हैं .आपने एक साथ पंडित और मुल्लाओं की क्लास ले ली है .
विमल जी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई
देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ...
बहुत खूबसूरत गज़ल है शुभकामनायें
Shuvh Kamnayen...
वाह बहुत ही सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन और उम्दा रचना के लिए बधाई!
रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥
आपको इस सुन्दर विचार के लिए बधाई ये सचमुच मेरे दिल के करीब सा लगा
धन्यवाद
... बहुत खूब !!!!
विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना
बकिया-सटीक और जबरदस्त!!
bahut hi achhi rachnayein hain, meri or se badhaiyan.
वाकई, आपने जिंदगी को करीब से देखा है। इस शानदार गजल के लिए बधाई।
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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।
गम देने वाला कोई अपना सबसे करीबी ही होता है ...
गुनगुनाने को जी चाहता है ..इतनी खूबसूरत पंक्तियाँ ...
रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥
mai pahalee var hee aapke blog par aai hoo.aapakee rachanae dil par chap chodane walee hai.har post ek se bad kar ek.
this is beautifully written ...this is the best way to greet someone who is close to you...lines are really striking minds....
बहुत खूब अजय जी ....आप की सोच और कलम को सलाम
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