Monday, November 23, 2009

जिंदगी

आज ठुमरी वाले विमलजी का जन्मदिन है , उनके दीर्घायु होने की कामना करते हुये ,आज की रचना उनको समर्पित करता हूं-


देखा है जिंदगी को कुछ कुछ करीब से ।
एहसास इस सफर में हुए हैं अजीब से ॥

रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥

देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ॥

दो वक्त की रोटी मिलेगी ,रहने को घर भी ।
नेताजी कर रहे हैं ,दिल्लगी गरीब से ॥

मुल्ला कहीं पंडित कहीं और पादरी कहीं ।
कैसे बचेंगे लोग  ,मजहबी सलीब से ॥

34 comments:

उम्दा सोच said...

विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना और आप को सुन्दर लेख पर साधुवाद !!!

Kusum Thakur said...

"देखा है जिंदगी को कुछ कुछ करीब से ।
एहसास इस सफर में हुए हैं अजीब से ॥"



विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें !! वाह !!बहुत अच्छी रचना है ....

rashmi ravija said...

रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥
BAHUT HI SUNDAR PANKTIYAN HAIN...VIMAL JEE KO JANMDIN KI HAARDIK SHUBHKAAMNAAYEN

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब , सुन्दर सजाया आपने जिन्दगी के इस तराने को !

Anonymous said...

बहुत सुन्दर रचना

सदा said...

रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम,
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ।

बहुत ही सुन्‍दर रचना, और यह पंक्तियां तो बेहतरीन बन पड़ी हैं ।

डॉ टी एस दराल said...

दो वक्त की रोटी मिलेगी ,रहने को घर भी ।
नेताजी कर रहे हैं ,दिल्लगी गरीब से ॥

दो रूपये किलो मिलेंगे, चावल और दाल
८० रूपये किलो से हुए , हाल बे-हाल

बहुत अच्छी रचना लिखी, बधाई।

भंगार said...

बहुत खूब अजय जी ....आप की सोच और कलम को सलाम

Rajeysha said...

हमारी कोशि‍श :
चेहरा मेरा क्‍या दि‍ख गया, मुंह फेर चल दि‍ये
ऐसे तो तुम मि‍लते नहीं, कि‍सी भी रकीब से

*रकीब-प्रति‍द्वंद्वी

डिम्पल मल्होत्रा said...

tmaam umar kaha koee sath deta hai....magar thori door sath chalo.....

Anonymous said...

इस अजीब ज़िंदगी के मुख़्तलिफ़ रंग ख़ूब नुमाया किये हैं आपने

शमीम said...

पहली बार आपके ब्लाग में आने का मौका मिला। सच कह रहा हूं , आपकी रचनाएं देखकर दिल हर्ष से भर उठा है। शुभकामनाएं।

देवेन्द्र पाण्डेय said...

देता है कौन साथ यहाँ किसका उम्र भर
हम आप मिल गए हैं अच्छे नसीब से
-वाह! क्या खूबसूरत शेर है।

दिगम्बर नासवा said...

देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ...

बहुत ही सुन्‍दर ग़ज़ल है ... अछे शेर हैं सब के सब .......... और यह पंक्तियां तो बेहतरीन हैं .....विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब , सुन्दर सजाया आपने जिन्दगी के इस तराने को !

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं.
आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं.
SANJAY KUMAR
http://sanjaybhaskar.blogspot.com

manish maurya said...

Nice..

Yogesh Verma Swapn said...

happy birthday, umda rachna.

Rohit Jain said...

Achchhi rachna hai. Ab toh khair manaate hain.....

खुला सांड said...

विमलजी को जन्म दिन की शुभ कामना !!! बहुत ही सुन्दर पंकितान पेश की है सांड को चारा मिला ऐसे ही कहलाते रहिई सांड जरुर आयेगा , अब दुसरे दरवाजे चला !!

खुला सांड said...
This comment has been removed by the author.
padmja sharma said...

अजय जी
दुख तो अपने ही दिया करते हैं .आपने एक साथ पंडित और मुल्लाओं की क्लास ले ली है .

निर्मला कपिला said...

विमल जी को जन्म दिन की बहुत बहुत बधाई
देता है कौन साथ यहां ,किसका उम्र भर ।
हम आप मिल गये हैं ,कुछ अच्छे नसीब से ...
बहुत खूबसूरत गज़ल है शुभकामनायें

Kumar Ajay said...

Shuvh Kamnayen...

Urmi said...

वाह बहुत ही सुंदर और शानदार रचना लिखा है आपने! इस बेहतरीन और उम्दा रचना के लिए बधाई!

kanhji said...

रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥

आपको इस सुन्दर विचार के लिए बधाई ये सचमुच मेरे दिल के करीब सा लगा

धन्यवाद

कडुवासच said...

... बहुत खूब !!!!

Udan Tashtari said...

विमल जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामना

बकिया-सटीक और जबरदस्त!!

aditya said...

bahut hi achhi rachnayein hain, meri or se badhaiyan.

Arshia Ali said...

वाकई, आपने जिंदगी को करीब से देखा है। इस शानदार गजल के लिए बधाई।


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क्या है कोई पहेली को बूझने वाला?
पढ़े-लिखे भी होते हैं अंधविश्वास का शिकार।

Renu goel said...

गम देने वाला कोई अपना सबसे करीबी ही होता है ...
गुनगुनाने को जी चाहता है ..इतनी खूबसूरत पंक्तियाँ ...

Apanatva said...

रहता है मेरे दिल में ही, जिसने दिया है गम ।
शिकवा करुंगा कैसे मैं ,इतने अज़ीज से ॥

mai pahalee var hee aapke blog par aai hoo.aapakee rachanae dil par chap chodane walee hai.har post ek se bad kar ek.

Unknown said...

this is beautifully written ...this is the best way to greet someone who is close to you...lines are really striking minds....

संजय भास्‍कर said...

बहुत खूब अजय जी ....आप की सोच और कलम को सलाम