Thursday, November 19, 2009

तन्हाई

तन्हा तन्हा सफ़र जिन्दगी का ।
साथ मुझको मिला न किसी का ॥

उनके दामन से निकली जुदाई ।
अब भरोसा नही है किसी का ॥

उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥

लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥

चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है  ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥

42 comments:

Rajeysha said...

चंद टुकड़े में बि‍कने लगा है
क्‍या करें भरोसा आदमी का


वाकई आदमी काफी सस्‍ता हो गया है।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

छोटी बहर की गजल बढ़िया है।

दिगम्बर नासवा said...

चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का ....

KAMAL KA SHER HI ... SACH MEN AADMI KO KHREEDNA AASAAN HO GAYA HAI ...
BEHATREEN GAZAL HAI ..

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

लोग सजने सवारने पे घायल
मुझपे बिजलिया गिरा सादगी का
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का

बहुत सुन्दर अजय जी !

निर्मला कपिला said...

चंद टुकड़े में बि‍कने लगा है
क्‍या करें भरोसा आदमी क
वाह बहुत ख्होब बधाई बहुत सुन्दर गज़ल है

डॉ टी एस दराल said...

चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥

बढ़िया ग़ज़ल है भाई।

उम्दा सोच said...

सुन्दर रचना की है आप ने अजय जी !
हमें तो सब ही पंग्तिया पसंद आई है !

तन्हा तन्हा सफ़र जिन्दगी का ।
साथ मुझको मिला न किसी का ॥

उनके दामन से निकली जुदाई ।
अब भरोसा नही है किसी का ॥

उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥

लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥

चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥

वाह भाई वाह !!!

Savita Rana said...

लोग सजने सवारने पे घायल
मुझपे बिजलिया गिरा सादगी का
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का
Waw !!! kin shabdo main tarip krun aapki ajay ji shabd nhi hai mere pass..bahut hi umda rachna hai.....or bahut-bahut shukria aapka mere blog per aane ke liye....abhi nye hai blogjaget me bus aapki kerpadarsti bani rhe......

savita khari

दीपक 'मशाल' said...

poori gazal hi shaandaar hai... iski ravani to bahut khoob hai..
Jai Hind...

Unknown said...

itna nirash hone ki zarurat nahi hai

M VERMA said...

चन्द टुकडो मे बिकने लगा ---

कटु यथार्थ की सुन्दर रचना

मनोज कुमार said...

चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
खूबसूरत ग़ज़ल, लाजवाब शेर।

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
>
लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥
>>
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
>>>

Janaab Ghaayal kar diya aapne. Ye Ghazal hai to WAAH!! BAHUT KHUB.

Udan Tashtari said...

चंद टुकड़े में बि‍कने लगा है
क्‍या करें भरोसा आदमी का

-बहुत उम्दा बात कही है, वाह!

Dr.Aditya Kumar said...

excellent literaruy expression in your poems. congratulations.

भंगार said...

अजय जी ,जो भी कुछ लिखते हैं ,वह सब कमाल का होता है ,पिछ्ला लेख भी पढ़ा

Jyoti Verma said...

kalam ki rachana likhi hai. kash har koi aap sa socha kare.

aajay said...

wah sir kaya kavita hai vaise aadmi ka toh bharosa hai bhi nahin

योगेन्द्र मौदगिल said...

वाहवा.... सुंदर रचना..

jayanti srivastava said...

आप की कविता सराहनीय है.

A.U.SIDDIQUI said...

अरमां,आंसू,कसक,ठहाके
क्या क्या रंग न जाने निकले

देखें उस गठरी के अंदर
क्या एहसास न जाने निकले
@A.u.siddiqui

Science Bloggers Association said...

आपकी यह तन्हाई जल्दी ही दूर हो, हमारी यही कामना है।

------------------
सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।

A.U.SIDDIQUI said...

अजय जी
वर्ड वेरीफिकेशन हटा दिया है
ध्यान दिलाने के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया

आप के लिये दो पंक्तियां लिखी थी, आप को कैसी लगी ।

शरद कोकास said...

आदमी पर भरोसा तो करना ही होगा फिर भी .. बढिया है गज़ल।

दीपक 'मशाल' said...

ब्लॉग पर आके आशीर्वचन देने के लिए आभारी हूँ अजय सर...
#जय हिंद...

Asha Joglekar said...

उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
बहुत सुंदर अजय जी ।

Yogesh Verma Swapn said...

sabhi sher behatareen, khubsurat bhav, badhaai.

ज़मीर said...

Blog ki duniya me naya hu .Aapka blog khula. Bahut khusi hui hai Apki yeh gazal padkar .Kabile tarif .Dhanyawad.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

चंद टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का
--यह शेर लाजवाब है।

संतोष त्रिवेदी said...

bahut khoob mile ho,tumhare jaise hi kisi chehre ki talaash thi....na...na...na...mai koi film producer nahin hoon !

ज़मीर said...
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ज़मीर said...
This comment has been removed by the author.
ज़मीर said...

अपनी त्रुटि के लिए क्षमाप्रार्थी । आपका आभार एवं धन्यवाद ।

विजय पाण्डेय said...

अजय जी हर आदमी चंद टुकड़ों में नहीं बिकता.. नजर रखें...

संजय भास्‍कर said...

अजय जी ,जो भी कुछ लिखते हैं ,वह सब कमाल का होता है

संजय भास्‍कर said...

लाजवाब पंक्तियाँ
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.

संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Email- sanjay.kumar940@gmail.com

Rohit Bagla said...

mere blog par aane ke liye dhanyawad Ajay JI.....
waise aapki gathari ka main kayal ho gaya hu....

sunil kumar sagar said...

you are a good blogger.

Anonymous said...

dil ko chhu gayee...............

Unknown said...

sir gi hosla afjai ke liye dhanyvaad

sir gi kya aapke yeh gajal lucknow se publish magzine me aapke he naam se le sakta hi agar aap ejajat de to

satish said...

priyvar ! aadmi hi devta hai,admi hi hai haiwan.aadmi hi shanti bhi hai admi hi hai toofan.aadmi dhkha bhi hai,aadmimbharosa bhi hai.samya ka takaja hai kahi rawan to kabhi ram hai. yahi to jeevan sangram hai.

Swati said...

Its really a nice one...I really dont read other blogs...as blogging is my new interest, but as you suggest me to read others as well...so here am I...

your all creations are very inspirational and nice...keep sharing n be in tune!!