तन्हा तन्हा सफ़र जिन्दगी का ।
साथ मुझको मिला न किसी का ॥
उनके दामन से निकली जुदाई ।
अब भरोसा नही है किसी का ॥
उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
145. लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
14 hours ago
42 comments:
चंद टुकड़े में बिकने लगा है
क्या करें भरोसा आदमी का
वाकई आदमी काफी सस्ता हो गया है।
छोटी बहर की गजल बढ़िया है।
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का ....
KAMAL KA SHER HI ... SACH MEN AADMI KO KHREEDNA AASAAN HO GAYA HAI ...
BEHATREEN GAZAL HAI ..
लोग सजने सवारने पे घायल
मुझपे बिजलिया गिरा सादगी का
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का
बहुत सुन्दर अजय जी !
चंद टुकड़े में बिकने लगा है
क्या करें भरोसा आदमी क
वाह बहुत ख्होब बधाई बहुत सुन्दर गज़ल है
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
बढ़िया ग़ज़ल है भाई।
सुन्दर रचना की है आप ने अजय जी !
हमें तो सब ही पंग्तिया पसंद आई है !
तन्हा तन्हा सफ़र जिन्दगी का ।
साथ मुझको मिला न किसी का ॥
उनके दामन से निकली जुदाई ।
अब भरोसा नही है किसी का ॥
उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
वाह भाई वाह !!!
लोग सजने सवारने पे घायल
मुझपे बिजलिया गिरा सादगी का
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का
Waw !!! kin shabdo main tarip krun aapki ajay ji shabd nhi hai mere pass..bahut hi umda rachna hai.....or bahut-bahut shukria aapka mere blog per aane ke liye....abhi nye hai blogjaget me bus aapki kerpadarsti bani rhe......
savita khari
poori gazal hi shaandaar hai... iski ravani to bahut khoob hai..
Jai Hind...
itna nirash hone ki zarurat nahi hai
चन्द टुकडो मे बिकने लगा ---
कटु यथार्थ की सुन्दर रचना
चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
खूबसूरत ग़ज़ल, लाजवाब शेर।
उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
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लोग सजने सँवरने पे घायल ।
मुझ पे बिजली गिरा सादगी का ॥
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चन्द टुकड़ों पे बिकने लगा है ।
क्या भरोसा करें आदमी का ॥
>>>
Janaab Ghaayal kar diya aapne. Ye Ghazal hai to WAAH!! BAHUT KHUB.
चंद टुकड़े में बिकने लगा है
क्या करें भरोसा आदमी का
-बहुत उम्दा बात कही है, वाह!
excellent literaruy expression in your poems. congratulations.
अजय जी ,जो भी कुछ लिखते हैं ,वह सब कमाल का होता है ,पिछ्ला लेख भी पढ़ा
kalam ki rachana likhi hai. kash har koi aap sa socha kare.
wah sir kaya kavita hai vaise aadmi ka toh bharosa hai bhi nahin
वाहवा.... सुंदर रचना..
आप की कविता सराहनीय है.
अरमां,आंसू,कसक,ठहाके
क्या क्या रंग न जाने निकले
देखें उस गठरी के अंदर
क्या एहसास न जाने निकले
@A.u.siddiqui
आपकी यह तन्हाई जल्दी ही दूर हो, हमारी यही कामना है।
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सिर पर मंडराता अंतरिक्ष युद्ध का खतरा।
परी कथाओं जैसा है इंटरनेट का यह सफर।
अजय जी
वर्ड वेरीफिकेशन हटा दिया है
ध्यान दिलाने के लिये बहुत-बहुत शुक्रिया
आप के लिये दो पंक्तियां लिखी थी, आप को कैसी लगी ।
आदमी पर भरोसा तो करना ही होगा फिर भी .. बढिया है गज़ल।
ब्लॉग पर आके आशीर्वचन देने के लिए आभारी हूँ अजय सर...
#जय हिंद...
उनके बिन तारे लगते हैं फीके ।
रंग उतरा सा है चाँदनी का ॥
बहुत सुंदर अजय जी ।
sabhi sher behatareen, khubsurat bhav, badhaai.
Blog ki duniya me naya hu .Aapka blog khula. Bahut khusi hui hai Apki yeh gazal padkar .Kabile tarif .Dhanyawad.
चंद टुकड़ों पे बिकने लगा है
क्या भरोसा करें आदमी का
--यह शेर लाजवाब है।
bahut khoob mile ho,tumhare jaise hi kisi chehre ki talaash thi....na...na...na...mai koi film producer nahin hoon !
अपनी त्रुटि के लिए क्षमाप्रार्थी । आपका आभार एवं धन्यवाद ।
अजय जी हर आदमी चंद टुकड़ों में नहीं बिकता.. नजर रखें...
अजय जी ,जो भी कुछ लिखते हैं ,वह सब कमाल का होता है
लाजवाब पंक्तियाँ
बढ़िया प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई.
ढेर सारी शुभकामनायें.
संजय कुमार
हरियाणा
http://sanjaybhaskar.blogspot.com
Email- sanjay.kumar940@gmail.com
mere blog par aane ke liye dhanyawad Ajay JI.....
waise aapki gathari ka main kayal ho gaya hu....
you are a good blogger.
dil ko chhu gayee...............
sir gi hosla afjai ke liye dhanyvaad
sir gi kya aapke yeh gajal lucknow se publish magzine me aapke he naam se le sakta hi agar aap ejajat de to
priyvar ! aadmi hi devta hai,admi hi hai haiwan.aadmi hi shanti bhi hai admi hi hai toofan.aadmi dhkha bhi hai,aadmimbharosa bhi hai.samya ka takaja hai kahi rawan to kabhi ram hai. yahi to jeevan sangram hai.
Its really a nice one...I really dont read other blogs...as blogging is my new interest, but as you suggest me to read others as well...so here am I...
your all creations are very inspirational and nice...keep sharing n be in tune!!
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