Monday, February 21, 2011

लिखना तो बहुत कुछ है----( अजय की गठरी )

आँखों को कमल ,ज़ुल्फ़ को नागिन या लता लिख दूं ?
लिखना तो बहुत कुछ है , क्या बात बता लिख दूं ?

कहने को हजारों हैं .बातें तो मुहब्बत में ।
कैसे करूं शुरू मैं ,क्या लिखना है इस खत में॥
वो बात सोचता हूं ,बेचैन सी हालत में ।
अब दूर से न इतना , तूं प्यार जता लिख दूं ॥
लिखना तो बहुत कुछ है , क्या बात बता लिख दूं ?

मेरा तो इस जहां में , कोई नहीं ठिकाना ।
कब तक कहां रहुंगा , मुश्किल है बता पाना ॥
कपड़े की तरह मैनें ,बदला है आशियाना ।
किस गली ,किस शहर का ,किस घर का पता लिख दूं ?
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

जब नींद नहीं आये , यादों में समाती हो ।
कुछ पल जो नींद आये ,ख्वाबों में सताती हो ॥
मेरी जिंदगी में कैसे हालात बनाती हो ?
आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं  ॥
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

वो दिन नही हूं भूला , जब हां कहा था तुमने ।
हमने सजा लिये थे , ना जाने क्या क्या सपने ॥
जो बीच में खड़े थे ,वो थे हमारे अपने ।
किसको बनाऊं मुजरिम , है किसकी खता लिख दूं ?
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

34 comments:

सदा said...

वाह ...बहुत ही खूबसूरत भावमय करते शब्‍द ...बधाई इस बेहतरीन प्रस्‍तुति के लिये ।

पी.एस .भाकुनी said...

कपड़ों की तरह मैंने बदले हैं आशियाने ,
किस गली,किस शहर ,किस घर का पता लिख दूँ ?......................
आज बहुत दिनों बाद गठरी खोली तो पाया की इसमें तो एक बहुत सुंदर रचना पड़ी है,
सुंदर प्रस्तुति......................

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब, बहुत सुन्दर रचना ! ख्वाबो में सताती हो,,,,को सपनो में सताती हो, कर दें तो अति उत्तम क्योंकि ख्वाब तो इंसान जगकर ही बुनता है

Amit Chandra said...

बेहद ही खुबसुरत भाव भरे हैं आपने अपनी कविता में। सुंदर रचना। आभार।

Sunil Kumar said...

कपड़ों की तरह बदले है घर मैंने .........क्या बात है इसे कहते है जज्बात , बहुत खूब, मुबारक हो

deepti sharma said...

bhavmaye karte sabd
bahut sunder abhivaykti
.

Kailash Sharma said...

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..भावों में अपने साथ बहा ले जाती है..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

बहुत कुछ तो लिख दिया ...अभी भी बाकी है बहुत कुछ ...सुन्दर अभिव्यक्ति

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

यह भी एकतरीका है कि सब कुछ कह दिया और कहा कि बहुत कुछ है कहने को!! वैसे कुछ अनकहा रहना भी चाहिये...

Udan Tashtari said...

वाह जी..बहुत खूब....और बता क्या लिख दूँ. :)

प्रतिभा सक्सेना said...

बहुत सुन्दर रचना .'बहुत कुछ' और लिखेंगे आप आगे तो !

Anupama Tripathi said...

मेरा तो इस जहां में , कोई नहीं ठिकाना ।
कब तक कहां रहुंगा , मुश्किल है बता पाना ॥
कपड़े की तरह मैनें ,बदला है आशियाना ।
किस गली ,किस शहर का ,किस घर का पता लिख दूं ?
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?


गहरे भाव अभिव्यक्त कराती हुई रचना -स्लाइड शो भी बहुत सुंदर है -
सुंदर पोस्ट के लिए बधाई.-

मुकेश कुमार सिन्हा said...

जब नींद नहीं आये , यादों में समाती हो ।
कुछ पल जो नींद आये ,ख्वाबों में सताती हो ॥
मेरी जिंदगी में कैसे हालात बनाती हो ?
आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं ॥
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

iss khubsurat jajbaat ke liye badhai:)

vandana gupta said...

वाह बेहद भावभरी रसमयी कविता मन को भा गयी।

दिगम्बर नासवा said...

जब नींद नहीं आये , यादों में समाती हो ।
कुछ पल जो नींद आये ,ख्वाबों में सताती हो ॥
मेरी जिंदगी में कैसे हालात बनाती हो ?
आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं ॥
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

बहुत खूब ... अजय जी मज़ा आ गया ... प्रेम हो तो ऐसे शब्द अपने आप निकल आते हैं ...
लाजवाब रचना है ...

राज शिवम said...

बहुत ही खुबसुरत प्रस्तुति......

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

प्रिय अजय कुमार जी
सादर सस्नेहाभिवादन !

क्या बात है जनाब ! बहुत प्यारा गीत लिखा आपने …

जब नींद नहीं आये , यादों में समाती हो ।
कुछ पल जो नींद आये ,ख्वाबों में सताती हो ॥
मेरी जिंदगी में कैसे हालात बनाती हो ?
आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं ॥
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

पूरा गीत पसंद आया , बहुत बहुत बधाई ! आपके अन्य गीत भी पुरानी पोस्ट्स में देखने पड़ेंगे । पुनः बधाई और आभार !

सप्ताह भर पहले प्रणय दिवस था … बसंत ॠतु अभी बहुत शेष है ।
मंगलकामना के अवसर तो हैं न … ?
प्रणय दिवस की मंगलकामनाएं !

♥ प्यारो न्यारो ये बसंत है !♥
बसंत ॠतु की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार

Akhilesh pal blog said...

bahoot sundar likha hai aap ne

डॉ. मोनिका शर्मा said...

कोमल भाव लिए बेहतरीन रचना...... सुंदर

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

बस बस साहब ...अब मत कुछ लिखिए....अब हम लिखेंगे टिप्पणी....बहुत भावपूर्ण कविता लगी...

ZEAL said...

.

आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं..
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?....

जब कोई लिखने बैठता है तो साथ बिताया हुआ हर लम्हा आकर ये जिद करने लगता है , मुझे भी लिखो ...मुझे भी लिखो ..... मस्तिष्क में हल पल उमड़-घुमड़ कर आते हुए ख्यालों कों शब्दों में उतार पाना भी एक कला है ।

इस शानदार रचना के लिए बधाई स्वीकार करें ।

.

रजनीश तिवारी said...

लिखना तो बहुत कुछ है , क्या बात बता लिख दूं ?
बहुत अच्छी लगी आपकी ये रचना ! धन्यवाद

निर्मला कपिला said...

लिखना तो बहुत कुछ है बता क्या लिख दूँ/ चलो अभी तो इस सुन्दर रचना के लिये बहुत बहुत बधाई लिख देती हूँ। आपकी गठरी मे बहुत कुछ है लिखने के लिये लिखते रहिये। शुभकामनायें।

Mithilesh dubey said...

बढ़िया रचना लगी,बधाई

नारी स्वतंत्रता के मायने

Rajeysha said...

इन सुन्‍दर पंक्‍ि‍तयों को सब में बांटने के लि‍ये, धन्‍यवाद।

महेन्‍द्र वर्मा said...

जब नींद नहीं आये , यादों में समाती हो ।
कुछ पल जो नींद आये ,ख्वाबों में सताती हो ॥
मेरी जिंदगी में कैसे हालात बनाती हो ?
आ आ के खयालो में ,ऐसे ही सता लिख दूं ॥
लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?

गीत में भावों के फूल खिल उठे हैं।
इन भावपुष्पों की सुरभि चहुं ओर विसरित हो।

kavita verma said...

bahut sunder bhav....aapki yadon ki gathari me..

वीना श्रीवास्तव said...

क्या बात है पूछते भी रहे और लिख भी दिया....
बहुत खूब

Vijuy Ronjan said...

khubsoorat nazm.badhayi

सहज समाधि आश्रम said...

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ज्ञानचंद मर्मज्ञ said...

प्यार के अहसास में डूबी खूबसूरत अभिव्यक्ति !

Dr Varsha Singh said...

कपड़ों की तरह मैंने बदले हैं आशियाने ,
किस गली,किस शहर,किस घर का पता लिख दूँ?.

बेहतरीन भावपूर्ण रचना के लिए बधाई।

स्लाइड शो भी बहुत खूबसूरत है...
आपको सपरिवार होली पर अग्रिम वासन्ती शुभकामनायें..

Urmi said...

बहुत सुन्दर ! उम्दा प्रस्तुती!

आपको और आपके परिवार को होली की हार्दिक शुभकामनायें!

Richa P Madhwani said...

लिखना तो बहुत कुछ है ,क्या बात बता लिख दूं ?
बेहतरीन,बहुत सुंदर रचना पड़ी है
http://shayaridays.blogspot.com