(६५)
हर शाम हो जैसे गजलों का ,हर रात हो जैसे पूनम की |
दिल मेरा तेज धड़कता है , जब झलक दिखे मेरे साजन की ||
इक गीत प्यार का होठों पर
इक जाम प्यार का आँखों में |
साँसों में फूलों की खुशबू ,
अंदाज प्यार का बातों में ||
मिल गया मुझे पूरा सागर ,ख्वाहिश थी केवल शबनम की ||
मैंने इक सपना देखा था
जब मुझे मिले वो राहों में |
जब नजर मिली तो दिल भी मिले
फिर डाल दी बाहें , बाहों में ||
आहें भरकर क्यों गुजरेगी , अब रात हमारे सावन की ||
तुम्हें प्यार मैं कितना करता हूँ
ये पूंछ रही हो मुझसे तुम |
मेरा जवाब मिल जाएगा
ज़रा पूंछ के देखो खुदसे तुम ||
मेरे दिल की बातें छोड़ो ,तुम बात करो अपने मन की ||
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गठरी पर अजय कुमार
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हर शाम हो जैसे गजलों का ,हर रात हो जैसे पूनम की |
दिल मेरा तेज धड़कता है , जब झलक दिखे मेरे साजन की ||
इक गीत प्यार का होठों पर
इक जाम प्यार का आँखों में |
साँसों में फूलों की खुशबू ,
अंदाज प्यार का बातों में ||
मिल गया मुझे पूरा सागर ,ख्वाहिश थी केवल शबनम की ||
मैंने इक सपना देखा था
जब मुझे मिले वो राहों में |
जब नजर मिली तो दिल भी मिले
फिर डाल दी बाहें , बाहों में ||
आहें भरकर क्यों गुजरेगी , अब रात हमारे सावन की ||
तुम्हें प्यार मैं कितना करता हूँ
ये पूंछ रही हो मुझसे तुम |
मेरा जवाब मिल जाएगा
ज़रा पूंछ के देखो खुदसे तुम ||
मेरे दिल की बातें छोड़ो ,तुम बात करो अपने मन की ||
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गठरी पर अजय कुमार
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6 comments:
बहुत ही खूबसूरत.
रामराम.
बहुत सुंदर
क्या कहने
वह रे प्यार !! खुबसूरत :)
बहुत सुन्दर .. प्रेम भाव लिए अच्छी रचना ...
सुन्दर
वाह ! स्वपनिल प्रेममयी सुन्दर गीत।
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