Monday, October 26, 2009

बेवफा

मेरे सामने था प्याला ,और आँख में नमी थी |
मेरी जिंदगी में शायद ,तेरे प्यार की कमी थी ||
मेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
मैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
मुझे दर्द-ए-दिल दिया है ,तूने रास्ता बदलकर |
तेरा प्यार तेरी चाहत ,मेरे साथ दिल्लगी थी ||
वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||

49 comments:

सदा said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है बधाई ।

परमजीत सिहँ बाली said...

वाह!! अजय जी।बहुत बढिया गजल है।बधाई।

दिगम्बर नासवा said...

अजय जी ...........
कमाल की ग़ज़ल है ........ख़ास कर ग़ज़ल का आगाज़ लाजवाब है .......

ओम आर्य said...

एक सुन्दर रचना!

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बढ़िया गज़ल है जी।
गुनगुनाते हुए मजा आ रहा है।

Nirbhay Jain said...

bahut khoob

BAD FAITH said...

खूब गा रहें है, अच्छा बजा रहें है.
देख्नना है आगे क्या- क्या सुना रहें है.

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

बहुत खूब !

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वैसे बुरा न माने तो एक सजेसन दूंगा कि गजल या नज्म लिखे तो जो सुरुआती आख़िरी अहब्द ले आप पकड़ कर चल रहे है उसी में अपनी गजल को समाने की कोशिश करे, उससे गजल ज्यादा प्रभावी और सुनने में सुन्दर लगते है जैसे आपकी इस रचना के सुरु की दो लेने कमी और नमी पर ख़त्म हुई, उसी तरह अगर आगे के चंदो में भी "जमी', 'थमी' 'लाजमी' जैसे सब्द प्रयोग होते तो रचना और भी प्रभावी लगती ! खैर, मुझे बड-बड करने की पुरानी बीमारी है, बुरा लगे तो क्षमा करना !

अजय कुमार said...

आदरणीय गोदियाल जी, आपने अपनेपन के साथ एक सुझाव दिया , अच्छा लगा | मुझे लगा की लय ठीक है तो लिख दिया था |भविष्य में ध्यान रखूँगा

शोभना चौरे said...

vah ji
bahut achha pryog shayri ka andaj achha lga .

भंगार said...

कहीं इश्क हो गया ........?बहुत उम्दा ख्याल बहुत
खुबसूरत है ........दिल जलता है तो जलने दे ...
रख मत होने देना ...

Urmi said...

वाह वाह क्या बात है! बहुत सुंदर रचना लिखा है आपने!

M VERMA said...

sundar bhaav aur abhivyakti

Yogesh Verma Swapn said...

wo gazal..........shayri thi.
'
wah. bahut khoob.

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत लाजवाब रचना.

रामराम.

डिम्पल मल्होत्रा said...

gazal jaisee baate or geet jaisa chehra....chehre jaisee gazal...

अबयज़ ख़ान said...

Ajay Ji Shaandar.. Achcha Blog hai

Udan Tashtari said...

वाह वाह!! बहुत सही..मजा आया.

दर्पण साह said...

मेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
मैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||

wow !!

kabhi ek she'r likha tha....

"Baal hai bikre hue,Chehra shikan aalod hai..."

uski phir yaad taaza ho aie...

"वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
"

ye baat to aapke liye bhi laago hoti hai...
pehli baar aapke blog main aaiya aur accha laga !!

रंजू भाटिया said...

खुबसूरत लगे यह एहसास ..शुक्रिया

नदीम अख़्तर said...

बहुत ही आला तरीन अंदाज़ है। इतनी अच्छी लाइनें शाया करने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया।

kshama said...

Wah ! Koyi sher kya kahega, wo khud shayaree thee..."

Nape tule alfaaz lekin gazab ravaani!

डॉ टी एस दराल said...

वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||

अच्छी उपमाएं. सुन्दर रचना.

Chandan Kumar Jha said...

बहुत सुन्दर !!!!!!!

Unknown said...

वाह अजय जी, आग अभी बाकी है

Unknown said...

वाह अजय जी, आग अभी बाकी है

दीपक 'मशाल' said...

Bahut khoobsoorat bhavon ke sath behad umda rachna ban padi hai Ajay sir, aap nishchay hi badhai ke patra hain....

jai Hind

वन्दना अवस्थी दुबे said...

सुन्दर है.

Pawan Kumar said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है बधाई ।

निर्मला कपिला said...

मेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
मैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
लाजवाब बहुत सुन्दर रcचना है शुभकामनायें

रश्मि प्रभा... said...

प्यार का खूबसूरत फलसफा

विवेक सिंह said...

thanx ajay ji for visting n gve suggesn
mere reading list me blog nahi hai
bt i lik reading

Unknown said...

अच्छा लगा आपकी लेखनी पढ़्कर.

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

अरे वाह, अपने दिल की बात क्या इतने सलीके से और प्रभावी ढंग से भी कही जा सकती है? गजब किया है आपने। बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

योगेन्द्र मौदगिल said...

सुंदर रचना..... निरन्तरता बनाए रखें...

Arshia Ali said...

मन के भावों को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से बयां किया है। एकदम पानी की सी रवानी है।
बधाई।
--------
स्त्री के चरित्र पर लांछन लगाती तकनीक।
चार्वाक: जिसे धर्मराज के सामने पीट-पीट कर मार डाला गया।

कंचनलता चतुर्वेदी said...

bahut hi achchha gajal hai.
badhai...

कडुवासच said...

koi sher .........
...... bahut khoob !!!!

श्रीमती रजनी माहर said...

सुन्दर गजल पढ़वाने के लिए आभार!

aajay said...

ajai ji mere khayal se ab woh din door nahin jab aap ko kisi sangeetkar ka phone aaye ga ki bhai hamari film ke liye gana likhye aur film ke title pe likha hoga lyrics by ajai kumar........

aajay said...

ajai ji woh din lagta hai ki ab door nahin hai jab koi producer ya sangeetkar aap ko phone kar ke kahega ki bhai mere film ke gane aap likhye aur film ke titles pe aap ka naam lyrics by ajai kumar likha aayega..........bhaut hi sunder kavitayen hain

Asha Joglekar said...

वो गज़ल से अच्छी बातें और गीत जैसा चेहेरा,
क्या बात है, बहुत खूब ।

शरद कोकास said...

बढिया है लिखते रहिये ।

रचना दीक्षित said...

वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||
अजय जी बहुत खूब कहा और हमें भी अपनी गली में भटकने को मजबूर कर दिया है बधाई
मेरे ब्लॉग पर आने और ख़ूबसूरत प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया
रचना

Pawan Kumar said...

बहुत ही अच्‍छा लिखा है बधाई ।

Roshani said...

अजय जी बहुत ही अच्छी ग़ज़ल है बधाई हो आपको .......

संजय भास्‍कर said...

सुन्दर गजल पढ़वाने के लिए आभार

Unknown said...

i am a regular visitor of ur blog section....and the way u have written this..simply superb..