(71 )
खेलती थी ,मेरी गोदी में अक्सर |
चहकती थी ,जो घर आँगन में दिनभर ||
उसकी शादी , विदाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
मेरी तितली , मेरी नन्ही सी चिड़िया |
टहलती थी , लिए हाथों में गुड़िया ||
आँख मेरी , जुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
बहुत व्याकुल , ह्रदय था ,कैसे कुछ बोल देता |
सिसक कर , मैं भी रोता ,अगर मुंह खोल देता ||
यूँ ही छुप छुप , रुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
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डेढ़ साल के अंदर दो भतीजियों की शादी होने पर ये उदगार निकले
---------गठरी पर अजय कुमार----------
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खेलती थी ,मेरी गोदी में अक्सर |
चहकती थी ,जो घर आँगन में दिनभर ||
उसकी शादी , विदाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
मेरी तितली , मेरी नन्ही सी चिड़िया |
टहलती थी , लिए हाथों में गुड़िया ||
आँख मेरी , जुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
बहुत व्याकुल , ह्रदय था ,कैसे कुछ बोल देता |
सिसक कर , मैं भी रोता ,अगर मुंह खोल देता ||
यूँ ही छुप छुप , रुलाई हो गयी है |
मेरी बेटी , परायी हो गयी है ||
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डेढ़ साल के अंदर दो भतीजियों की शादी होने पर ये उदगार निकले
---------गठरी पर अजय कुमार----------
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