Monday, October 26, 2009

बेवफा

मेरे सामने था प्याला ,और आँख में नमी थी |
मेरी जिंदगी में शायद ,तेरे प्यार की कमी थी ||
मेरे जुल्फ बिखरे बिखरे ,मेरे पांव डगमगाते |
मैं जहाँ भटक रहा था ,वो तुम्हारी ही गली थी||
मुझे दर्द-ए-दिल दिया है ,तूने रास्ता बदलकर |
तेरा प्यार तेरी चाहत ,मेरे साथ दिल्लगी थी ||
वो ग़ज़ल से अच्छी बातें ,और गीत जैसा चेहरा |
कोई शेर क्या कहेगा ,वो खुद ही शायरी थी ||

Wednesday, October 21, 2009

गुजारिश

तकरार नहीं करते ,इंकार नहीं करते
अच्छे मौसम को यूँ ,बेकार नहीं करते |
जब भी पूछा उनसे ,है प्यार तुम्हें मुझसे ?
नज़रें वो झुकाते हैं , इजहार नहीं करते |
क्यों होने लगी तुमको ,परवाह जमाने की
कह दो खुलकर मुझसे ,तुम प्यार नहीं करते |
आहें न भरा करते ,हम आपकी यादों में
तस्वीर अगर होती ,तो चूम लिया करते |
पूनम की रातों को सब प्यार में डूबे थे
जब तुम ही नहीं आये ,हम प्यार किसे करते |
ये सच है नहीं आये ,मिलने के लिए तुमसे
पर ये न समझ लेना ,हम प्यार नहीं करते |
हर एक से मिलते हैं ,हम प्यार मोहब्बत से
बस एक है दिल अपना , दो चार नहीं रखते
ढूंढो ऐसी दुनिया ,इंसान जहाँ पर हों
मजहब में बँटे दर को संसार नहीं कहते |

Thursday, October 15, 2009

कैसा दौर ?

इकरार भी होता है ,इंकार भी होता है |
तुम भी लगालो डुबकी ,ये प्यार का गोता है ||
पहले कभी-कभी था ,अब रोज ये होता है
मैं उसको जगाती हूँ ,वो मुंह फेर के सोता है ||
बच्चे से प्यारी बातें ,पत्नी से मुलाकातें
इस दौर में मुहब्बत , वीकेंड में होता है ||
सबकी उड़ा के खिल्ली ,तूने कहकहा लगाया
तुझ पर हंसा जमाना ,तो दर्द क्यों होता है ||
हो के रहेगा गन्दा ,तू बचाए लाख दामन
जब रास्ता गलत हो ,अंजाम ये होता है ||

Sunday, October 11, 2009

उनके लिए

जिंदगी का अब मजा आने लगा है |
देखकर उनको नशा छाने लगा है ||
फिर बहारों से चमन आबाद है ,
बाग़ में शायद कोई आने लगा है |
दूर हूँ , मजबूरियां हैं इसलिए ,
बेवफा मुझको कहा जाने लगा है |
रात भर बाँहों में रहते हैं मेरे ,
ख्वाब मेरा ये बिखर जाने लगा है |
नज़र तिरछी ,मुंह में ऊँगली .सर झुकाकर ,
प्यार का इकरार हो जाने लगा है |
जबसे रक्खा है ,जवानी में कदम ,
देखिये पर्दा किया जाने लगा है |

Friday, October 9, 2009

दिन-दहाड़े

जब गुंडे पाँव पकडें , नेताजी मुस्कुराये |
जनता समझ गयी है , फिर से चुनाव आये ||
बंटने लगी है दारु मिलने लगा है पैसा |
कन्फ्यूज हुआ वोटर , किसका बटन दबाये ?
जी भर के दे रहे हैं , एक दूसरे को गाली |
मुंह है या गन्दी नाली , कोई समझ न पाये ||
सबको मिलेगा मौका , सबका विकास होगा |
ये कहने वाले अब तो , अपना ही बुत बनाये ||
है वोट की जरूरत , तो द्वार पे खड़े हैं |
अगले चुनाव तक फिर , शायद नजर ये आये ||
सत्ता के लिए अपने, सिद्धांत बेच डाले |
कोई किसी के गोदी में जा के बैठ जाए ||
भारत के बन रहे हैं , अब वो ही कर्ता-धर्ता |
भारत का नक्शा जिनके बिलकुल समझ न आये ||

Sunday, October 4, 2009

प्रेम-डगर

है ये लंबा सफर ,चलना है उम्र भर |
हंसके रस्ता कटे ,प्यार की बात कर ||
लोग मतलब की अब बात करने लगे |
लोग अपने पड़ोसी से डरने लगे ||
ऐसा माहौल हमको बनाना है अब |
खुशियाँ जाने न पायें शहर छोड़ कर ||
कृष्ण , ईशा ने , नानक ने , इक बात की |
सबने सम्मान की , हर इक जात की ||
सबके तालीम में , एक ही बात थी |
रास्ते हैं कई , एक मंजिल मगर ||
जब गुनहगार बस एक इंसान हो |
सारा मजहब ही क्यों उसका बदनाम हो ?
मत बनाओ , ऐसे इबादत के घर |
जो बन जाते हैं , सियासत के घर ||

Friday, October 2, 2009

इस गली में नेता रहता है

२ अक्तूबर को दो महान सपूतों , महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्मदिन है आज इन महापुरुषों को इस लिए याद कर रहा हूँ क्योंकि मैं एक राजनीतिक व्यक्ति हूँ ,और राजनीति में इन्हे अपना आदर्श बता कर अपना कैरियर बनाने का ट्रेंड है इसके लिए जन्मदिन या इनके बारे में जानना जरूरी नही है, इन्टरनेट पे मिल जाता है ,वैसे मीडिया भी बता ही देता है शास्त्री जी निर्धन परिवार से थे और संघर्ष कर के आगे आए थे संघर्ष मैं भी कर रहा हूँ , टिकट के लिए ,और यकीन मानिये दो साल पहले तक मैं भी गरीब था वो तो मंत्री जी ने मेरी प्रतिभा को पहचाना और मैं गरीबी से उबर गया गाँधी जी लाठी ले कर चलते थे ,लोग उन्हें महात्मा कहते हैं उस समय का जमाना और था, आज समय बदल गया है मैंने इसमे दो बदलाव किया है - एक तो लाठी की जगह रिवाल्वर और दूसरा ये की मैं नही मेरे आदमी ले कर चलते हैं मीडिया मुझे बाहुबली कहती है ,पता नही क्यों ?हमारे महापुरुष आजादी की लडाई में कई बार जेल गए मैं भी जेल जाता रहता हूँ अब चूँकि आजादी मिल चुकी है तो सिर्फ़ लड़ाई के कारण जाना पड़ता है स्वतंत्रता आन्दोलन में लोग गाँधी -टोपी पहनते थे , मैं ने बहुतों को टोपी पहनाया है लोग मुझे टोपीबाज कहते हैं जय जवान -जय किसान नारे का प्रचार मैंने बालीवुड में किया आज बड़े बड़े स्टार किसान बनने के लिए बेचैन है अंत में मैं कहूँगा की ये दोनों महापुरुष उन गिने चुने नामों में है जो राजनीति में बहुत उपयोगी हैं अब मैं इस बार अपना टिकट पक्का समझते हुए अपनी बात एक शेर के साथ ख़त्म करूँगा ---

इनके रास्ते पर चलूँ न चलूँ , इनका जिक्र जरूर करूंगा

देश का काम करूँ न करूँ , देश की फिक्र जरूर करूँगा