Friday, May 21, 2010

नासमझ

                   **माफ करना समझने में भूल हुई****



वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे !!

वो रोज़ मुझे आदाब आदाब कहकर मुस्कुराने लगे!!



एक दिन दाब दिया गला पकड़कर तो छ्टपटाने लगे !


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    (इससे पहले ’सस्ते शेर’ ब्लाग पर प्रकशित हो चुका है )

कुछ दिनों के लिये अपने गाँव जा रहा हूं , ब्लाग-जगत से दूर रहुंगा ।




Sunday, May 9, 2010

माँ तूं मुझको याद आती है---

जब कोई चिड़िया गाती है . मुझको नींद नहीं आती है ।
 तेरी  लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

दिन भर कुछ करती रहती है , सुबह सुबह तूं उठ जाती है ।
माँ तूं कब सोने जाती है ?
तेरी लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

जब बच्चे ऊधम करते हैं , बाबूजी गुस्सा करते हैं ।
बनकर ढ़ाल चली आती है  ।
तेरी लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

प्यार से खाना हमें खिलाये , दाल या सब्जी जो बच जाये ।
वही चपाती से खाती है ।
तेरी लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

धरा है तूं धारण करती है , स्रिष्टि का तूं कारण बनती है ।
दर्द ,स्नेह से सह जाती है ।
तेरी लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

सबसे सुरक्षित माँ का आँचल , माँ सारे प्रश्नों का है हल ।
जीवन पाठ पढ़ा जाती है ।
तेरी लोरी याद आती है , माँ तूं मुझको याद आती है ॥

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संसार की समस्त माताओं को समर्पित