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पैरोडी की तर्ज है --फ़िल्म 'गोपी' से
"रामचन्द्र कह गए सिया से ऐसा कलयुग आयेगा
हंस चुनेगा दान तिनका ,कौव्वा मोती खायेगा "
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फिर चुनाव का मौसम आया ,सब नेता चिल्लायेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
बेटे को नौकरी मिलेगी ,बेटी की होगी शादी |
कर्जे से भी मुक्ति मिलेगी ,मंहगाई से आजादी ||
थोड़े से पैसों में ,घर का ,पूरा राशन आयेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
अपराधी जेलों में होंगे .फिर नैतिकता आयेगी |
उंच नीच का भेद मिटेगा ,सामाजिकता छायेगी ||
हाथ में ,कोई ,लाठी लेकर ,भैंस न ले जा पायेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
अब ना झूठा वादा होगा ,सच होंगे सारे सपने |
धरती का सिरमौर बनायें , प्यारे देश को हम अपने ||
अब विदेश में देश का पैसा ,कोई ना ले जा पायेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
इंतज़ार है चाँद दिनों का ,राम राज अब आयेगा |
हर किसान अब फसल का अपने ,दाम भी पूरा पायेगा ||
भूख कर्ज से ,व्याकुल कोई ,फांसी नहीं लगायेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
अब विकास की नदी बहेगी , देश के कोने कोने में |
अब प्रयास हो ,सभी योजना ,समय से पूरा होने में ||
नहर ,सड़क,बिजली ,शिक्षा ,सब ,गाँव गाँव तक आयेगा |
भोला भाला आम आदमी ,फिर कुछ आस लगायेगा ||
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---------गठरी पर अजय कुमार -----
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