दोनों हाथी देखकर खुश हुएे और ताली बजाई, तभी उनके कान में आवाज आयी -"मितरों... कहां जा रहे हो" ऊन्हों ने उसकी तरफ देखा लेकिन सायकिल डगमगा गयी.. हड़बड़ी में दोनों ने हाथी की पूँछ पकड़नी चाही लेकिन हाथी अनियंत्रित था क्यों कि महावत चढ़ उतर रही सवारियों को adjust करने में मशगूल थी. आगे किसी अधूरे project के लिये खुदा हुआ गड्ढा था... डगमगाई सायकिल और अनियंत्रित हाथी उसी में गिर गये, बिना मौसम की बरसात हुई थी गड्ढे में भरपूर पानी था... कमल खिला था.
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गठरी पर अजय कुमार
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