अब अपने नन्हें-बच्चों को पाठ विनम्रता का न पढ़ाना !
आने वाले कल की ख़ातिर सत्य -अहिंसा नहीं सिखाना !!
जब नेता हों चोर -उचक्के ऐसे मंज़र रोज़ ही होंगे,
अपनों में गद्दार छुपे हों दिल पर खंज़र रोज़ ही होंगे !
रोज़ ही होगा देश में मातम,ख़ूँ के समन्दर रोज़ ही होंगे
खूँन के मंजर जब दिख जाएं, आँख हाथ से नहीं दबाना !!
आने वाले कल की खा़तिर सत्य - अहिंसा नहीं सिखाना
झूठ बोलना,फूट डालना,जगह जगह दंगे करवाना !
उसे पढ़ाना पाठ घृणा का ,सिखलाना नफ़रत फ़ैलाना !!
सिखलाना कटु शब्द बोलना ,मजहब की दीवार बनाना !
नहीं प्यार की थपकी देना,लोरी गाकर नहीं सुलाना !!
आने वाले कल की खा़तिर सत्य - अहिंसा नहीं सिखाना
कर डाले जो देश का सौदा,ऐसा सौदेबाज़ बनाना !
धर्म की ख़ातिर कत्ल करा दे,धर्म का धंधेबाज़ बनाना !!
उसका कोमल ह्रदय कुचलकर,पत्थर दिल यमराज बनाना !
चोट लगे तो रोने देना , गोद में लेकर मत बहलाना !!
आने वाले कल की खा़तिर सत्य अहिंसा नहीं सिखाना
ना भागे तितली के पीछे, किसी पार्क में नहीं घुमाना !
नहीं खेलने जाने देना ,उसे खिलौने नहीं दिलाना !!
मीठी बातें कभी न करना, परीकथाएं नहीं सुनाना !
लाकर मत गुब्बारे देना , हाथी बनकर नहीं घुमाना !!
आने वाले कल की ख़ातिर सत्य अहिंसा नहीं सिखाना
आजकल के आतंकी माहौल, नाकाम शासन, प्रशासन और घटिया राजनीति ने ऐसा कहने पर विवश कर दिया । लेकिन इसके लिये मैं बुजुर्गों, अभिभावकों और बच्चों से माफ़ी मांगता हूं।
ये रचना पिछले साल मुम्बई हमले के तुरंत बाद की है , जिसे मेरे मित्र विमल वर्मा ने अपने ब्लाग ठुमरी पर ०४.१२.०८ को पोस्ट किया था ।
76. बच्चों की पढ़ाई
13 hours ago