औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ।
जिसने हम सबको जन्म दिया , वो जननी औरत होती है ॥
जो करती भाईदूज के दिन , भाई के माथे पर टीका ।
राखी के दिन राखी बांधे , वो बहना औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥
उसके बिन सभी अधूरा है , घर लगता नहीं है घर जैसा ।
घर का स्वरूप देने वाली , पत्नी भी औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥
बच्चा न जने तो अपमानित , बेटी जन्मे तो अपमानित ।
क्या पुरुष का कोई दोष नही , क्यों दोषी औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥
जब महिला दिवस मनाते हैं , होती हैं बातें बड़ी बड़ी ।
फिर चिंता किसे कौन देखे , किस हाल में औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥
106. मुम्बई जाकर वकालत
18 hours ago
47 comments:
aurat ka samman theek hai par kyo aap ka blog padane me nahi aaraha
औरत के विभिन्न रूपों का सुन्दर वर्णन।
एक सार्थक रचना।
नारी के अलग अलग पहलुओ पर अच्छी कविता,सुदर.
विकास पाण्डेय
www.विचारो का दर्पण.blogspot.com
बेहतरीन चित्रण...उम्दा रचना!!
विश्व की सभी महिलायों को अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
-उड़न तश्तरी
wah ajay ji, bahut khobsurat shabd chitra.
Aaurat ke sabhi swarupo ko bhalibhanti ukera aapane...bahut umda rachana. Dhanywaad!
yaha bhi padhariye
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
नारी के विभिन्न पहलुयों का बहुत अच्छा वर्णन किया है सही है एक दिन के बाद सब भूल जाते हैं। जब कि ये हमेशा याद रखने की बात है। धन्यवाद इस समसायमिक रचना के लिये।
औरत संसार की ज्योति भी है ,,.. शक्ति भी है .. साहस भी है तो कल्पना चावला भी है और किरण बेदी भी है .... हर रूप में औरत का सम्मान होना चाहिए ... बहुत अच्छी रचना है ,,...
नारी के भिन्न भिन्न रूपों का वर्णन
महिला दिवस को सही अर्थों में चित्रित करता है..
अति सुंदर....
बच्चा न जने तो अपमानित , बेटी जन्मे तो अपमानित ।
क्या पुरुष का कोई दोष नही , क्यों दोषी औरत होती है ॥
औरत का सम्मान करो , औरत संसार की ज्योती है ॥
Bahut khoob!
auorat ke har roop ko chitrit karatiek bahut hi achchi post.
poonam
बहुत खूब । अच्छे विचार ।
aapki rachnaaOURAT KAA SAMMAAN KARO padhaa ,padkar bahut bahut achchhaa lagaa or ourat ke sabhi swroopon ko aapki rachnaa ke dwaaraa jaana , achchhaa likhaa hai aatmaa prasann hui
औरत के हर रूप को आपने बखूबी शब्दों में पिरोया है! उम्दा रचना!
I appreciate your feelings. It was a supreup peom descriping woman.
blog par aapke margdharshan ke liye kotish: dhanyavaad. abhi lekhan ki shuruaat ki hai, so margdharshan ki ichchha samajhiye ya lalach, dete rahiye. meri email id: snehi.aryaparveen@gmail.com hai, kya main aapki id jaan sakta hoon?
सुन्दर सार्थक रचना !
आपने स्त्रियों के पक्ष में बहुत सुन्दर विचार रखे....बहुत बहुत बधाई
भाई आप किस तरह का सम्मान औरत का करवाना चाहते हो? हम तो उन्हें बराबरी का मानते हैं और जहाँ सब कुछ समान हो वहाँ सम्मान से भेदभाव जन्म लेता है। (मुझे लगता है आप जिस औरत की बात कर रहे हैं वो अब बहुत कम देखने को मिलती है)
Vichar achche hain! Par apko nahin lagta updeshatmak shaily ke kavya aksar man ko chchoone se pehle hi kahin kho jate hai?
par achcha prayas hai.
सत्य है अजय जी,
जहाँ नारी का सम्मान नहीं वहां नर्क है!
ममतामयी, करुणामयी,स्नेही, सहनशील,
माता, बहिन, पत्नी, बेटी हर रूप में वह पूर्ण है!
Yatra Naryastu Poojyate Tatra Ramante Devata...
Jahan Naari ki pooja hoti hai wahan devaton ka nivaas hota hai.
Aapki ye rachna apratim hai. Sahaj sabdon ka prayog karke ek gambhir vishya par kavita ki rachna karna, sarahneeya karya hai.
भाव बहुत सही है । सिर्फ सम्मान करो कि जगह ..हम सम्मान करें हो जाये तो शिल्प और निखर जायेगा ।
bahut badhiya!
नारी के विषय में लिखने कि आपकी शैली बहुत लाजवाब है !
vinay pandey
nari divas par khubsurat tohfa.
dhnywad
औरत के सम्मान की बाते तो चारो तरफ होती हैं , किताबों कहानियों में भी सम्माननीय बताया जाता है ., पर क्या अभी तक उतना सम्मान पाया है औरत ने ..>? निष्पक्ष हो कर बताईये ...
भाई अजयजी आपकी गठरी बहुरँगी है। यह भावनाओँ के महकते फूलोँ से भरी है।
भाई अजयजी आपकी गठरी बहुरँगी है। यह भावनाओँ के महकते फूलोँ से भरी है।
aurat ke har roop ko bahut hi behtarin dhang se prastut kiya hai aapne....mahila divas ke ek din ke khokhle bayaanon par tippani umda hai....
aapkii baat dil ko chhune wali hai par samaaj me naari ko aaj bhi wo sthaan nahi mila hai jiski wo haqdaar hai baate to sabhi karte hai naari uthaan ki par wo baate sansad me bahas karne or apna swarth saadhne tak hi seemit hoti hai .
its really nice
आपका लेखन हृदय स्पर्शी है। शुभकामनाएं!
नारी के हरफनमौला होने का अच्छा उदाहरण बनी ये रचना..
औरत के विभिन्न रूपों का सहज चित्रण करते हुए एक सार्थक रचना प्रस्तुति के लिए आभार .
इतनी लम्बी चुप्पी क्यों?
बहुत ही सुन्दर
bahut sunder bahut khubsurat likha aap ne
आपका लेख मुझे बहुत अच्छा लगा में चाहता हूँ की आप म.फ्उस्सैन के मुद्दे पर भी अपनी राय दें. ओर गंगा नदी बनने वाले बाँध यमुना मे प्रदूषण नाम हो रही पासे लूट खाषोट बारे मानी लिखें.
आपका लेख मुझे बहुत अच्छा लगा में चाहता हूँ की आप म.फ्उस्सैन के मुद्दे पर भी अपनी राय दें. ओर गंगा नदी बनने वाले बाँध यमुना मे प्रदूषण नाम हो रही पासे लूट खाषोट बारे मानी लिखें.
wah.....bahut hi badhiya likha
aap ne.
अत्यंत सुन्दर और सार्थक रचना.....
wah sir uttam rachna hai aapko is rachna ke liye dhero badhai
ब्लॉग परे पहुँच कर विचार प्रकट करने के लिये शुक्रिया.....
सादर चन्दर मेहेर
sadhuvad
bahut badhia, aisa main nahi mera dil or dimag dono kah raha hai. apne blog ke jariye kabita ko ek nai jagah di hai. mere sath un logo ke liye ye prernadai hai.
Aadarneeya aur aatmeeya saathi,
blog kee duniyaa men nayaa hoon. aap kee tippanee ne mijhe bharpoor utsaahit kiyaa. AABHAAR!
waah kyaa khoob likhaa hai
AURAT KA SAMMAN KARO.....
kavita aapki aisee
ki jee chaahey aapki kalam kaa gungaan karo....
aapki rachan sehaj, sunder aur saral hone ke saath saarthak bhi hai......
shubhkaamnaayen.
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