सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी ।
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ।
मैं उसे हटा दुंगा , कुछ करीब आउंगा ।
अधरों से अधरों को , एक में मिलाउंगा ॥
बादलों के पीछे से , चाँद कैसे निकला था ।
ये अंधेरा रोशनी में , धीरे धीरे बदला था ।
लोगों को बताउंगा , करके मैं दिखा दुंगा ।
तेरे रुख से घूंघट को , धीरे से उठाउंगा ॥
194. हिंद स्वराज-6
4 hours ago
39 comments:
वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !
बहुत ही बढ़िया!
पर माफ़ करना,अधूरी सी लग रही है!
मतलब और पढने को मन कर रहा था कि ख़त्म हो गयी!
कुंवर जी,,
रात , पूनम , प्रिये ---ये कहाँ आ गए हम !
प्रेम पत्री पढ़कर कहीं खो से गए हम ।
वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !
कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ..
बहुत खूब ... प्रेम की मस्ती में झूम कर लिखा ... दिल से निकला गीत .. बेहद लाजवाब है ...
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
सुन्दर रूमानी रचना
बेहतरीन्
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
बहुत सुन्दर !
वाह जी, बेहतरीन कल्पनालोक में परियोजना को उकेरा है..बढ़िया है.
बहुत ही सुन्दर श्रंगार रस में हमें भी डूबो दिया आपने ,,,
विकास पाण्डेय
www,vicharokadarpan.blogspot.com
बहुत खूब अजय जी! बेहतरीन्
सुंदर रचना !!!
कोमल एहसासों से भरी सुन्दर अभिव्यक्ति
सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
बेहद खूबसूरत. शुभकामनाएं.
रामराम.
सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
बहुत अच्छी कविता।
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥
bahut hi khoob surat post.
बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती! बधाई!
maza aa gaya
युवकोचित बात अच्छी लगी। उपदेश देकर बूढे मत बनना। बधाई।
आज कल मुक्तछंद की कविता के दौर में आपकी गेय शैली की कविता ऋंगार रस से सराबोर एक अलग ही आनंद प्रदान करती हैं.
arey to itne din se isliye gaayab the???
wah pyar se sarbor bahut pyari rachna likh dali is antraal me...bahut khoob.
badhayi.
श्रृंगार रस को बहुत ही रसमय कर दिया आपने.. मज़ा आगया पढ़ कर अजय सर.
Romaani! Umda!
Lekin mujhe bhi aisa laga ki anayaas hi rachna samaapt ho gayee!
Is paapi ko aur ummeed thi!
Shringaar-ras se sarabor hote-hote reh gaya!
raseeli.....rangeeli....aur mast rachna..........mazaa aa gaya
kuch yaad aa raha hai...."maikade band karde laakh jamaane waale.........shahar me kam nahi hai ankho se pilaane waale"!!!!!!!!!
बहुत ही शानदार लिखा आपने। मज़ा आगया
अजय कुमार जी
आप ने मिलने जब आउगा बहुत good लिखा
lovly...........
रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
बहुत ताकतवर है भाई आपका प्यार
और उसे बयाँ करने का ये मासूम अंदाज
thanx
shandar prastuti aur shabdon ke umda chayan ke liye badhai.
क्या बात है अजय जी खासा रोमांटिक मूड है ।
बहुत ही उम्दा रचना है.
bahut sunder cha gaye sirji
acha hai zanab
ओफ्फो आप ने ग़दर ढा दिया ... कातिल लेख !!!
बहुत खूब । प्यार का रस छलकाते रहिये । बधाई ।
आपकी गठरी में बहुत कीमती सामान है ....ढेरों शुभकामनायें
अजय जी!
आप की अगली रचना का इंतज़ार है।
अजय जी आपमे बहुत पोटेंशियल है , कुछ नई चीज़ों को लेकर रचना कीजिये ।
nice one
rgds
alok
मैं क्या हूँ ? इसकी तलाश जारी है----
ये तलाश आप कबीर की अनुराग सागर
पङे..पङकर आप को ठीक लगे.. लेकिन लिखे
हुए को प्राप्त कैसे करे..तो मुझसे मिल लेना
सभी मैं माना हुआ है इसके हटते ही सत्य
नजर आने लगता है..मेरी बात के संदर्भ
में आप कबीर की इस रचना को...तेरा
मेरा मनुआ एक कैसे होई रे..मान सकते
है वैसे खुद को जानना सब से आसान है
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