Saturday, March 27, 2010

मिलने जब आउंगा

सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥

रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
 खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥

कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी ।
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ।
मैं उसे हटा दुंगा , कुछ करीब आउंगा ।
अधरों से अधरों को , एक में मिलाउंगा ॥

बादलों के पीछे से , चाँद कैसे निकला था ।
ये अंधेरा रोशनी में , धीरे धीरे बदला था ।
लोगों को बताउंगा , करके मैं दिखा दुंगा ।
तेरे रुख से घूंघट को , धीरे से उठाउंगा ॥

39 comments:

पी.सी.गोदियाल "परचेत" said...

वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !

kunwarji's said...

बहुत ही बढ़िया!
पर माफ़ करना,अधूरी सी लग रही है!
मतलब और पढने को मन कर रहा था कि ख़त्म हो गयी!
कुंवर जी,,

डॉ टी एस दराल said...

रात , पूनम , प्रिये ---ये कहाँ आ गए हम !
प्रेम पत्री पढ़कर कहीं खो से गए हम ।

संजय भास्‍कर said...

वाह-वाह बहुत खूब , शुरू की दो पंक्तियाँ दिल को छुं गई अजय जी !

दिगम्बर नासवा said...

कर के मुझे मदहोश , जब झुमाना चाहोगी
मुझको जाम प्याले से , जब पिलाना चाहोगी ..

बहुत खूब ... प्रेम की मस्ती में झूम कर लिखा ... दिल से निकला गीत .. बेहद लाजवाब है ...

M VERMA said...

सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
सुन्दर रूमानी रचना
बेहतरीन्

Kusum Thakur said...

रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥

बहुत सुन्दर !

Udan Tashtari said...

वाह जी, बेहतरीन कल्पनालोक में परियोजना को उकेरा है..बढ़िया है.

Unknown said...

बहुत ही सुन्दर श्रंगार रस में हमें भी डूबो दिया आपने ,,,
विकास पाण्डेय
www,vicharokadarpan.blogspot.com

Shah Nawaz said...

बहुत खूब अजय जी! बेहतरीन्

मनोज भारती said...

सुंदर रचना !!!

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कोमल एहसासों से भरी सुन्दर अभिव्यक्ति

ताऊ रामपुरिया said...

सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥


बेहद खूबसूरत. शुभकामनाएं.

रामराम.

मनोज कुमार said...

सुन लो हे प्राणप्रिये , मिलने जब आउंगा ।
सारी रात पूनम की , जाग कर बिताउंगा ॥
बहुत अच्छी कविता।

पूनम श्रीवास्तव said...

रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे ।
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
खुशबुएं लुटाउंगा , बाग इक बनाउंगा ।
तेरी जुल्फ फूलों से , इस तरह सजाउंगा ॥

bahut hi khoob surat post.

Urmi said...

बहुत बढ़िया लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा प्रस्तुती! बधाई!

Anamikaghatak said...

maza aa gaya

अजित गुप्ता का कोना said...

युवकोचित बात अच्‍छी लगी। उपदेश देकर बूढे मत बनना। बधाई।

सम्वेदना के स्वर said...

आज कल मुक्तछंद की कविता के दौर में आपकी गेय शैली की कविता ऋंगार रस से सराबोर एक अलग ही आनंद प्रदान करती हैं.

अनामिका की सदायें ...... said...

arey to itne din se isliye gaayab the???

wah pyar se sarbor bahut pyari rachna likh dali is antraal me...bahut khoob.

badhayi.

दीपक 'मशाल' said...

श्रृंगार रस को बहुत ही रसमय कर दिया आपने.. मज़ा आगया पढ़ कर अजय सर.

सूफ़ी आशीष/ ਸੂਫ਼ੀ ਆਸ਼ੀਸ਼ said...

Romaani! Umda!
Lekin mujhe bhi aisa laga ki anayaas hi rachna samaapt ho gayee!
Is paapi ko aur ummeed thi!
Shringaar-ras se sarabor hote-hote reh gaya!

CS Devendra K Sharma "Man without Brain" said...

raseeli.....rangeeli....aur mast rachna..........mazaa aa gaya

kuch yaad aa raha hai...."maikade band karde laakh jamaane waale.........shahar me kam nahi hai ankho se pilaane waale"!!!!!!!!!

anil gupta said...

बहुत ही शानदार लिखा आपने। मज़ा आगया

Naresh Shakya said...

अजय कुमार जी
आप ने मिलने जब आउगा बहुत good लिखा

Shri"helping nature" said...

lovly...........

alka mishra said...

रास्ते में चलते चलते , लोग ठहर जायेंगे
और सारे भौंरे भी राह भूल जायेंगे ।
बहुत ताकतवर है भाई आपका प्यार
और उसे बयाँ करने का ये मासूम अंदाज

akelahoon said...

thanx

shandar prastuti aur shabdon ke umda chayan ke liye badhai.

Asha Joglekar said...

क्या बात है अजय जी खासा रोमांटिक मूड है ।

Mayur Malhar said...

बहुत ही उम्दा रचना है.

akelahoon said...

bahut sunder cha gaye sirji

Amit kumar said...

acha hai zanab

उम्दा सोच said...

ओफ्फो आप ने ग़दर ढा दिया ... कातिल लेख !!!

dipayan said...

बहुत खूब । प्यार का रस छलकाते रहिये । बधाई ।

नताशा said...

आपकी गठरी में बहुत कीमती सामान है ....ढेरों शुभकामनायें

Himanshu Mohan said...

अजय जी!
आप की अगली रचना का इंतज़ार है।

शरद कोकास said...

अजय जी आपमे बहुत पोटेंशियल है , कुछ नई चीज़ों को लेकर रचना कीजिये ।

Unknown said...

nice one

rgds
alok

सहज समाधि आश्रम said...

मैं क्या हूँ ? इसकी तलाश जारी है----
ये तलाश आप कबीर की अनुराग सागर
पङे..पङकर आप को ठीक लगे.. लेकिन लिखे
हुए को प्राप्त कैसे करे..तो मुझसे मिल लेना
सभी मैं माना हुआ है इसके हटते ही सत्य
नजर आने लगता है..मेरी बात के संदर्भ
में आप कबीर की इस रचना को...तेरा
मेरा मनुआ एक कैसे होई रे..मान सकते
है वैसे खुद को जानना सब से आसान है