जिनका बाल दिवस होता ,कैसे बच्चे होते हैं ?
खाने के ढाबे पर अब भी ,बरतन बच्चे धोते हैं ||
भूख ,गरीबी ,लाचारी में ,जीवन इनका बीत रहा |
जाने कितने नौनिहाल बस पेट पकड़कर सोते हैं ||
खेलकूद ,शैतानी करना ,जिद करना तो भूल गए |
इनको पता चलेगा कैसे ,अक्षर कैसे होते हैं ?
महाशक्ति बनकर उभरेगा ,कैसे कोई देश भला |
भूख ,अशिक्षा ,बीमारी में जिसके बच्चे होते हैं ???
199. टॉल्सटॉय फार्म - सादगी से जीवन निर्वाह
11 hours ago
32 comments:
एकदम सही बात आपने कविता के माध्यम से कह दी ! मुझे तो कभी-कभी उन विद्वानों पर भी कोप आता है जो यह कहते है कि बच्चो के प्रिय चाचा, पता नहीं किसने यह मुहावरा बना दिया!
रचना का एक एक शब्द अपने आप मे एक सवाल है सच मे ही अधिकतर बच्चे आज भी भूखे ही सोते हैं। देश के भविश्य की ओर से सरकार ने आँखें मूँद रखी हैं। लाजवाब रचना बधाई
सवाल करती ये रचना बेहद मार्मिक है ......इन सवालो मे दर्द ही मिलता है यहा देश के सभी लोगों को एक साथ जगने की जरुरत है ......वरना गरीबी और जनसंख्या मे पिस के रह जयेंगे यह बच्चे .............बहुत ही सुन्दर!
एक अच्छी रचना के लिये आपका शुक्रिया...आपकी रचना से शैलेन्द्र जी की एक रचना की कुछ लाईने याद आ रही है....
झूठे सपनो के छल से निकल चलती सड़को पर आ,
अपनो से न रह यूँ दूर दूर आ कदम से कदम मिला
लूटी जिसने बच्चों की हंसी,उस भूत का भूत भगा,
अपनो से न रह यूँ दूर दूर आ कदम से कदम मिला’
महाशक्ति बनकर उभरेगा कैसे कोई देश भला
भूख अशिक्षा बिमारी में जिसके बच्चे होते हैं
अजय जी बाल दिवस पर एक ज्वलंत सवाल .....!!
जीवन के कुछ सीधे-सादे सवालों से जूझने का मोह स्पष्ट दीखता है। इन सवालों के प्रति जागरूकता बी
शब्द विशेष पर एक कविता लिख लेना अपने आप मे दिव्यता का
प्रमाण ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
BAHUT JAWALANT PRASHN UTHAAYE HAIN AAPNE ... MAARMIK RACHNA HAI ...
SACH HAI ... JIS DESH KA BACHPAN AISA HAI ... US DESH KI JAWAANI KYA HOGI ....
महाशक्ति बनकर उभरेगा ,कैसे कोई देश भला |
भूख ,अशिक्षा ,बीमारी में जिसके बच्चे होते हैं ???
एकदम सटीक.
ये ऐसी सच्चाई है जिसके रहते हम हमेशा विकासशील ही बने रहेंगे, कभी विकसित देश नहीं बन पाएंगे.
एक अच्छी रचना के लिए बधाई.
kavita ke bhav bahut hi aachhe hai .
ham yogdan kre mhashkti bnne me desh ko .
abhar
रचना मार्मिक है.
एक-एक शब्द जाने कितने सवाल करता हुआ, बहुत ही बेहतरीन अभिव्यक्ति, आभार ।
बहुत सच्ची बात कही है आपने...कटु सत्य...इस रचना के लिए बधाई स्वीकार करें...
नीरज
लाजवाब साहब.आप की रचना पढ़ कर जाना कि कलेजा मुँह तक आ जाना किस को कहते है. आंखों में आँसू आ गये... कुछ कवितायें ऐसी मिलती हैं ब्ब्ळोग पर जिन्हें "सेव" करने का मन करता है. आपकी अनुमती चाहते हैं इसे आपके नाम से प्रकाशित करने की, जहाँ भी मौका मिलेगा उस म्न्ध से इसे आप्का नाम ले कर ज़रूर सुनायेंगे. और हाँ अगर रचनायें इतनी सवेंदनशील हों तो लिसी को ब्लोग पर बुल्लना नहीं पड़ता है लोग स्व्यं दीवाने हो जाते हैं
आप्का ही चन्दर मेहेर्
chandarji aapne likha hai
aapko meri kavita (BAAL DIWAS )pasand aayi to
mai iske liye aabhaari hoon , aap agar mere naam se is kavita ka kahin jikra karna chahte hain to jaroor kijiye , blag jagat to ek parivaar hai |udhrit karte samay blog aur blagar ka naam jaroor dena chahiye
main roman hindi likhane ke liye maafi chahta hoon ,mere blag ka hindi likhane wala font theek se kaam nahi kar raha hai |
aasha hai aap aage bhi mera hausala badhane mere blag par aate rahenge
khari bat....bahut badhiya.
अजय जी ,
बाल मज़दूरी के साथ ही भारत के सामने कई सम्मस्याएँ हैं .जिनका समाधान बिना द्रढ इच्छा शक्ति के संभव नहीं .
महाशक्ति बनकर उभरेगा ,कैसे कोई देश भला |
भूख ,अशिक्षा ,बीमारी में जिसके बच्चे होते हैं ???
ek behtrin kavita aur chacha nehru ke janam divas par desh ki ankhen kholne vali shrdhanjali
badhaii
बाल दिवस की इस प्रस्तुति के लिए आभार।
बाल साहित्य से जुडाव के कारण बाल दिवस से एक विशिष्ट नाता है। इसलिए आपका इस विषय पर लेखन देख कर अच्छा लगा, बधाई।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Thank You for visiting my blog. Please keep in touch.
Lots of Love to You
Avatar Meher Baba Ji Ki Jai
Chandar Meher
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बहुत ही सुन्दर रचना है आपकी.....बेहतरीन भाव के साथ
आप की ये कविता सोनिया जी और मनमोहन जी को भी सुनाई जानी चाहिए !
महाशक्ति बनकर उभरेगा कैसे कोई देश भला
भूख अशिक्षा बिमारी में जिसके बच्चे होते हैं
बहुत बढिया कविता लिखी है । यही भावनाऍं मैंने भी तस्वीरों के माध्यम से व्यक्त की थीं ।
अजय जी,
सबसे पहले.....आप आये मेरे ब्लॉग पर मेरा हौसला बढाया ...आपको ह्रदय से धन्यवाद देना चाहूंगी....
और आपकी कविता तो बस लाजवाब है...सही भाव और नपे तुले शब्द ....
समाज को आईना दिखा दिया है आपने...
बहुत खूब...
Marmsparshi!
महाशक्ति बनकर उभरेगा ,कैसे कोई देश भला |
भूख ,अशिक्षा ,बीमारी में जिसके बच्चे होते हैं ???
bahut sarthak prashn.....ek katu saty ko ujaagar karati rachna.....
bal divas par aap ne acchi kavita
likhi aur bhi cheeje likhte rahiye
बहुत बढिया कविता लिखी है । यही भावनाऍं मैंने भी तस्वीरों के माध्यम से व्यक्त की थीं ।
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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11वाँ राष्ट्रीय विज्ञान कथा सम्मेलन।
गूगल की बेवफाई की कोई तो वजह होगी?
bahut achh hai.
bahut achh hai.
एक बहुत ही अच्छा और सच्चा सवाल खड़ा किया आपने तो...
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