मां-बाप के लिये कभी , कुछ ना करे फिर भी ।
मां-बाप की आँखों का , तारा है आदमी ।।
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ॥
अपनों का कत्ल करके , बादशाह बन गया ।
मक्कारी में बुलंद सितारा है आदमी ॥
इक दूसरे के खून का , प्यासा कभी कभी ।
इक दूसरे का गम में सहारा है आदमी ॥
बरबाद कभी बाढ़ में , तूफान में कभी ।
कुदरत के आगे कितना , बेचारा है आदमी ॥
गरमी कभी ठंडक कभी ,और जलजला कभी ।
बरसात का , हालात का , मारा है आदमी ॥
फरमाइशें लम्बी हैं , पूरी नहीं होतीं ।
बीबी की नजर में तो , नकारा है आदमी ॥
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी ॥
199. टॉल्सटॉय फार्म - सादगी से जीवन निर्वाह
3 hours ago
73 comments:
बंधु आपकी कविता पढ़ कर बरबस नज़ीर याद आते रहे.आदमी और रोटी पर उनकी बेजोड़ नज़्म है.आपने भी कमाल किया ही है.
समय हो यदि तो
माओवादी ममता पर तीखा बखान ज़रूर पढ़ें: http://hamzabaan.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
सियासत में आदमी एक चारा है...
.वाह अजय कुमार जी बहुत ही बिंदास रचना...बधाई.
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ||
फरमाइशें लम्बी हैं , पूरी नहीं होतीं ।
बीबी की नजर में तो , नकारा है आदमी ॥
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी
बहुत सटीक लिखा है ....अच्छी अभिव्यक्ति
इक दूसरे के खून का , प्यासा कभी कभी ।
इक दूसरे का गम में सहारा है आदमी ..
काश आदमी एक दूजे का सहारा ही बन के रहे ....
आज तो बस सब अपनी अपनी ढपली ही बज़ा रहे हैं ....
सच बयां करती खूबसूरत कविता लगी, बधाई ।
आदमी का फ़ितरत खूब समझाए हैं आप... बहुत सुंदर!!
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (23/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
अपनी पोस्ट के प्रति मेरे भावों का समन्वय
कल (23/8/2010) के चर्चा मंच पर देखियेगा
और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी ॥
बहुत खूबसूरत ।
सभी पंक्तियाँ लाज़वाब ।
यह आदमी है कौन ???? ???????
सब कुछ तो बन गया,
बस आदमी नहीं है आदमी।
बॉस आपकी पोस्ट का आदमी कभी आदमी(मर्द) और कभी इंसान के रूप में दिखा।
आनंद आ गया पढ़कर आदमी के दोनों रूपों में।
बहुत सटीक हर शॆर..वाह!! मजा आ गया.
बीबी की नजर में तो , नकारा है!
बनता है शेर, पर कितना बेचारा है!
हर एक बात खरी उतरती है कलयुग के इस आदमी पर.
हर शेर लाजवाब.बहुत उम्दा रचना.
लाजवाब !!!!!!!!!
आँखों में दर्द ,लेकिन होंठों पे हंसी है |
मुखौटा नहीं है ,वक़्त का मारा है आदमी ||
waah bhai kya baat hai...
har ek pankti lajawab
mere blog par is baar..
पगली है बदली....
http://i555.blogspot.com/...
I liked your poem the most !!!
I wanted to share it with my office colleagues... ofcourse with your name. But couldn't copy it. :)
Then i realized, u've protected your blog.
I could have easily copied it, but then i thought, I should not.
There must be a reason, you don't want people to copy. :)
One suggestion : Always do put your name in the end of every poem that you create. So that if someone copies it, he won't have to type your name. :)
Sorry aapki permission ke bagair, maine aapki post apne blog par post ki hai.
If you have any objection, please let me know, i would remove it (Though I would love to keep it in my collection )
http://yogi-collection.blogspot.com/2010/08/blog-post_23.html
I would like to share this post of yours with more friends of mine (on official blog of my company)
If you don't have objection....Please let me know your thoughts.
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी
लाजवाब !!!!!!!!
हर पंक्ति गहराई लिये हुये, इसका हर भाव मन को छू गया, बधाई सुन्दर प्रस्तुति के लिये ।
Bahut khoob Ajayji. Main aapke blog ko padhane wala ek niyamit pathak hun aur apki rachanao ka besabri ke saath intezaar karata rahata hun. Abki baar badi der kar di. Khair....! Der aayad durusht aayayd. Apki agli rachana ke intezaar mein.
सच्चाई की चादर में लिपटी खूबसूरत रचना
'.....बहुत अच्छा लगा मित्र , बहुत अच्छा ! मुम्बई में रहकर लिट्टी- चोखा और घुइयाँ जैसी अपनी जड़ों को आप नहीं भूले हैं,इसी से पता चलता कि आपके अन्दर अभी आदमियत बची है ,नहीं तो जहाँ आप हैं वहाँ लिट्टी को पिज्जा में बदलते देर नहीं लगती. मेरे ब्लॉग नयामोर्चा पर अपने आफ़र दिया था , सो मैं अपने को रोक नहीं पाया.
-----सुनील अमर (पत्रकार- लेखक )
--
योगेश जी आपने मेरी रचना पसंद की ,अच्छा लगा ।रही बात कापी करने की तो अगर आप इंतजार कर लेते तो अच्छा लगता ,लेकिन आपके दिये गये लिंक पर गया तो बहुत अच्छा लगा ,क्योंकि वहां पर मेरी रचना मेरे नाम के साथ मौजूद है ।
कविता के द्वारा आपने आदमी की बिल्कुल सही तस्वीर खींची है।
आपकी कविता पढ़कर आज की एक दुखद घटना की स्मृति हो आई। आज हमारे यहां एक नदी में भीड़ में एक पिता ने अपने बालक को खो दिया। क्या यही हमारे भीतर आदमियत बची रह गई है अपने ही अजीजों से हारा है आदमी
Ajay ji,
Mera shauk gazalein collect karna hai, chori karna nahi :).
I forward it with poet's name and source if I know, otherwise i write Unknown.
Aap se request hai, apni har rachna ke end me apna naam zaroor likhe....
yogesh249@gmail.com
har ek sher behtareen hai ....behad khubsurat gazal.
रक्षाबंधन पर हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
बहुत सुन्दर कविता लिखा है आपने ! उम्दा प्रस्तुती!
@---अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ॥
waah !...kya baat likh di aapne.
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ||
bahut sundar
nakraatmak -sakraatmak dono hi pahloo se judi hui hai ye rachna .
अजय जी आपकी कविता पढ़ते हुए नज़ीर (अकबराबादी) बहुत याद आए. वैसे अच्छी कविता और विषय-वस्तु के लिए बधाई.
baite kee jid ke aage ....#
bahut hi sateek sher hai.
अच्छी कविता..
आदमी को सही आइना दिखाया आपने. बहुत खूब.
This poetry is the real life situation a good and simple approach to visualize the truthful facts of life
This poetry is the real life situation a good and simple approach to visualize the truthful facts of life
heart touching lines...dil ke behad kareeb lagi aapki kaveeta.
गठरी बहुत बढ़िया ब्लॉग है . आपने मेरी ब्लॉग पढ़ी उसके लिए धन्यवाद आप जैसे लोगो से प्रेरणा पाकर मै और अच्छा लिखने का प्रयास करुँगी
शुक्ला
आप शायद मुझे ब्लॉग जगत में नया समझ रहे हैं , मेरे चार और ब्लोग्स हैं , जिनमें से तीन पर मैं सक्रिय रहती हूँ , इस ब्लॉग पर मैं अपनी लिखी हुई छोटी सी पुस्तक प्रकाशित कर रही हूँ । इसे मैनें २००५ में लिखा था और खुद ही छपवा कर , जरुरत मंद लोगों को बाँट दिया करती हूँ । इससे काफी सकारात्मक परिणाम मिले । आपको शिकायत है कि मैं टिप्पणियाँ नहीं दिया करती ... इसमें कोई राजनीति नहीं है , मुझे जितना वक्त मिलता है और जो रास्ते में मिल जाए ...चिटठा-जगत के रोल पर तीन चार लाइनों में जो रोचक या कहिये जो मेरी रूचि से सम्बंधित होता है उसे खोल कर पढ़ कर अच्छा लगे तो जरुर टिप्पणी देती हूँ । कुछ ब्लोग्स ज्यादा चीजें डाउन लोड किये रहते हैं तो उन तक पहुंचना भी मुश्किल हो जाता है । सिर्फ उपस्थिति दर्ज कराने के लिये बिना पढ़े टिप्पणी करना मेरे उसूलों में शामिल नहीं है ।
आपकी रचना पसंद आई , सचमुच मारा मारा फिरता है आदमी ।
@शारदा अरोरा जी
चिठ्ठाजगत के माध्यम से मुझे प्रतिदिन नये चिट्ठों की सूची मेरे ईमेल पर प्राप्त होती हैं । मैं पूरी कोशिश करता हूं कि उन सभी का स्वागत करूं और अन्य ब्लागों पर (सिर्फ मेरे ब्लाग पर ही नही )टिप्पणी देने का अनुरोध भी ।
जानकर अच्छा लगा कि आप काफी सक्रिय ब्लागर हैं ।
सियासत में आदमी का चारा है आदमी और
कुदरत के सामने बिचारा है आदमी ।
क्या खूब लिखते हैं । आपकी कलम ऐसे ही हमें आनंद देती रहै ।
मेरे ब्लॉग पर टिप्पणी के लिए धन्यवाद. पहली बार आपका ब्लॉग देखा है. आपका संदेश मैंने रंगकर्मी ज़ुल्फ़िकार को फोन पर दे दिया है. उन्होंने ने सभी बलॉग देखने वालों को 'थिएटर एज' में आने का न्यौता दिया है.
आपके ब्लॉग पर आपकी रचनाओं से मैं प्रभावित हुआ हूँ. आपने बहुत अच्छी कविताएँ कही हैं.
मां-बाप के लिये कभी , कुछ ना करे फिर भी ।
मां-बाप की आँखों का , तारा है आदमी ।।
bilkul saty
फरमाइशें लम्बी हैं , पूरी नहीं होतीं ।
बीबी की नजर में तो , नकारा है आदमी
ye bhi utna hi saty
badhiya sher hai
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ||
waah...
sundar rachna.... aadmi ko bhinn rangon mein paribhasit karti hui si:
subhkamnayen:)
आपने सही कहा अपने कितने भी गलत हो हम उन्हें कभी अलग नहीं कर पाते!
मां-बाप के लिये कभी , कुछ ना करे फिर भी ।
मां-बाप की आँखों का , तारा है आदमी ।।
Bahut sundar aur sateek abhivyakti. Mere blog par apne vichar dene ke liye aabhar.
Kailash C Sharma
http://sharmakailashc.blogspot.com/
durust farmaya,
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी
अजय कुमार जी नमस्कार! आपकी गजल लाजबाव हैँ। हर शेर अपनी मुकम्मल कहानी कह रहा हैँ।शुभकामनायेँ! -: VISIT MY BLOG :- गमोँ की झलक से जो डर जाते हैँ।..........गजल को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व्यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ।आप इस लिँक पर क्लिक कर सकते हैँ।
आपको एवं आपके परिवार को श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें !
very nice kavita
'निरत' पर पधारने के लिए धन्यवाद. पुनः शुभकामनाएँ.
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ||
उनकी नजर में वोट हैं , इंसान नही हैं ।
सियासत में आदमी का , चारा है आदमी
आदमी की भीड़ में खो गया है आदमी ,
कितना संकुचित अब हो गया है आदमी.
मेरी कविता के एक पंक्ति दे रही ,क्योंकि हमदोनो के मन के अभिव्यक्ति मिल रहे इसमें
सादर नमन
.
Read it again...
awesome !
.
aisa laga jaise dushyant kumar ji ko pad rahi hu.....bohot badiya...
अजय कुमार जी,
बुत धन्यवाद् मेरे ब्लॉग पर आ कर कमेंट्स देने के लिए. आपके ब्लोग्स काफी अच्छे लगे. बहुत बधाइयाँ.
प्रशांत ( अधूरी दुनिया)
you have rich vocablury and creative thoughts
मेरे ब्लॉग पर अपनी बहुमूल्य टिपण्णी देने के लिए हार्दिक धन्यवाद् अजय जी ......आपके सरे पोस्ट एक से बढ़ कर एक हैं ......
ांपनो का कत्ल कर ----
इक दूसरे के खून--- वाह वाह बहुत सुन्दर शेर घडे हैं बधाई इस लाजवाब नज़्म के लिये।
शिक्षक दिवस की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनायें!
अति सुंदर रचना जी धन्यवाद
कई सारी कडवी सच्चाइयां एक गठरी की तरह ही सिमेटे है आपकी ये रचना..
श्री अजय जी, आपके ब्लोग्स में आज पहली बार आया . सिर्फ एक ही "ब्लॉग विजिट" में यूँ लगा के " कौन कहता है के यहाँ लोग नहीं मिलते अपने..बस दिल से टटोलो तो तुम्हारा है आदमी ".
इक दूसरे के खून का , प्यासा कभी कभी ।
इक दूसरे का गम में सहारा है आदमी ..
लाज़वाब पंक्तियाँ ............
दोनों रूपों में आदमी ........
आइए,कामना करें कि आदमी आदमी बने।
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ||
bahut sundar ikha hai ajay ji ... samman ..
Aaj ke aadmi ki asliyat batane ke liye dhanyvaad.
Ayush ka banaya rekha chitr bahut achha hai use protsahan ki avashyakta hai.Hamara aashirvad uske sath hai.
बेटे की जिद के आगे , धृतराष्ट्र झुक गये ।
अपने ही अजीजों से , हारा है आदमी ॥
सही बात
गरमी कभी ठंडक कभी ,और जलजला कभी ।
बरसात का , हालात का , मारा है आदमी ॥
ये शेर लाज़वाब है ....बेहतरीन
उम्दा ग़ज़ल हुई है
सुंदर...सराहनीय ..... सत्य .... हृदय ग्राही
लगी आपकी रचना ... बस ऐसे ही लिखते रहिये
इस्वर से यही प्रार्थना है मेरी..
Its really very Nice
tariif ke liye mere paas shabda nahii hai..........aapki har pankti par wah wah
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